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NGO से समाज सेवा के साथ अपने करियर को दें सकते हैं नया आयाम

मौजूदा समय में NGO समाज सेवा के साथ करियर को सवारने और रोजगार के लिए भी बढ़िया जरिया बन रहा है. चाहे मामला बाल श्रमिकों का हो या मानव तस्करी का या फिर मादक द्रव्यों से छुटकारा दिलाने का, ऐसे हर क्षेत्र में एनजीओ काम कर रहा है.

By Vikash Kumar Upadhyay | May 19, 2024 10:31 AM
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NGO: एनजीओ गैर सरकारी संस्थान होता है, जो समाज के विविध क्षेत्रों में बिना किसी लोभ-लालच के कार्य करता है. यह शिक्षा, चिकित्सा, पर्यावरण, संस्कृति, महिलाओं से जुड़े मुदों समेत अनेक क्षेत्रों में कार्य करता है. शिक्षा, स्वास्थ्य और निर्धनता को दूर करने में एनजीओ की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

ग्रामीण क्षेत्रों में कई एनजीओ शिक्षा स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. शहरी क्षेत्रों में खास तौर पर झुग्गी बस्तियों में साक्षरता अभियान चलाना, स्वास्थ्य-शिक्षा के प्रति जागरूकता लाना एनजीओ के महत्वपूर्ण काम हैं. चाहे मामला बाल श्रमिकों का हो या मानव तस्करी का या फिर मादक द्रव्यों से छुटकारा दिलाने का, ऐसे हर क्षेत्र में एनजीओ काम कर रहा है. बुजुर्ग, बेसहारा लोगों को सहारा देने जैसे अनेक प्रकार के कार्यों को साकार करने में एनजीओ मजबूत कड़ी के रूप में काम कर रहा है. युवा वर्ग के लिए यह न केवल समाज सेवा का कार्य है बल्कि जीविकोपार्जन का सशक्त माध्यम भी है.

“मैं NGO झारखंड सरकार प्रेझा फाउंडेशन द्वारा संचालित कल्याण गुरुकुल कौशल कॉलेज में काम कर रही हूं. मैं यहां ज्यादा से ज्यादा एक्सप्लोर कर पा रही हूं. यहां रोजगार के साथ साथ करियर ग्रोथ के लिए भी काफी संभावना है.”

नूतन कुमारी, मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव, प्रेझा फाउंडेशन
Shubhangi kumari | piramal foundation gandhi fellow

एनजीओ क्यों बन रहा रोजगार का साधन

पीरामल फाउंडेशन, गांधी फेलो शुभांगी कुमारी के अनुसार नॉन प्राफिट अर्गेनाइजेशन होने के बावजूद ये रोजगार का साधन इसलिए बन रहा है, क्योंकि यह देश हित में समुदाय के लिए और सरकार को सपोर्ट करने के लिए कार्य कर रहा है. इसमें हम स्वेच्छा से किसी भी कार्य को करने के लिए स्वतंत्र होते हैं, जबकि कॉरपोरेट में आपके ऊपर किसी भी कार्य के लिए दबाव होता है. कॉरपोरेट में अगर मैं जॉब करती तो मुझे सेल्फ डेवलपमेंट करने का मौका नहीं मिलता और मेरी कार्य शैली सीमित हो के रह जाती. इससे जुड़ कर हम देश के विकास में काम कर रहे हैं जैसे कि- कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा. इससे जुड़ कर मुझे समाज के लोगों का मदद करने का मौका मिला साथ ही साथ देशभाव एवं सेवाभाव प्रदान करने का भी अवसर मिला. एनजीओ हमें पार्टिकुलर डोमेन प्रदान करता है. नॉन प्रोफिट ऑर्गेनाइजेशन सामाजिक और आर्थिक योगदान के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं.

साइबरपीस फाउंडेशन कई लोगों को दे रहा रोजगार

विनीत कुमार साइबरपीस एनजीओ के संस्थापक हैं. वे बताते हैं कि रांची स्थित उनके एनजीओ में 40 लोगों की टीम काम करती है. इसके अलावा दिल्ली, बॉम्बे और भारत के बाहर करीब 120 लोगों की टीम हैं, जो लगातार काम कर रही है. इनके टीम में करीब 1 लाख के आस-पास वालंटियर्स की संख्या है. इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि एक एनजीओ कितने लोगों को रोजगार दे रहा है.

कुछ प्रमुख कोर्सज जिसके जरिए एनजीओ में मिल सकती है जॉब

  • मास्टर ऑफ सोशल वर्क
  • बैचलर ऑफ सोशल वर्क
  • डिप्लोमा इन एनजीओ मैनेजमेंट
  • सर्टिफिकेट कोर्स इन एनजीओ मैनेजमेंट

” पहली प्राथमिकता एमएसडबल्यू, रूरल डेवलपमेंट, बीएसडबल्यू जैसे कोर्सेज को दी जाती है. फिर मैनेजमेंट के कोर्सेज को तव्वजो दी जाती है. इसके अलावा किसी भी स्ट्रीम के विद्यार्थी एनजीओ को ज्वाइन कर सकते हैं. हम एनजीओ के साथ जुड़कर भारत को और विकसित बना सकते हैं.”

डॉ. पिनाकी घोष, एसोसिएट प्रोफेसर, जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस, रांची

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पिनाकी घोष के अनुसार देश में कुछ बड़े और अच्छे एनजीओ हैं, जिनमें आप अपना करियर बना सकते हैं और आपको अच्छी सैलरी के साथ साथ अच्छा करियर ग्रोथ मिलती है. आपको सोशल वर्क से डिग्री लेने के बाद एग्जाम और इंटरव्यू देना होता है. शुरुआत में सैलरी 10000 से 20000 तक हो सकती है, लेकिन अगर आपने एमएसडब्ल्यू से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है तो आपको प्रथम श्रेणी का अधिकारी बना दिया जाता है. आपके अनुभव और काम के आधार पर आपको 50000 से 60000 तक भी सैलरी मिल सकती है.

Experts: dr. Pinaki ghosh and jonson topno

” एनजीओ में कोई भी कंट्रैक्ट मैक्सिम्म 3 साल का होता है. एनजीओ में भी बिलकुल कॉरपोरेट की तरह एचआर मैन्युल होता है. बहुत लोग कॉरपोरेट से एनजीओ की ओर स्विच कर लेते हैं. इनमें काम करने के लिए डेवनेट पर विज्ञापन आता है. ”

जॉनसन टोपनो

एनजीओ में बहुत सारे पद होते है. इसमें सबसे बड़ा पद अध्यक्ष का होता है. फिर उसके नीचे बाकी के पद होते हैं. एनजीओ के गठन के लिए एक समिति बनाई जाती है जिसमें सभी को अलग-अलग पद दिए जाते हैं और उन्हीं के अनुसार उन्हें कार्य भी दिया जाता है.

खुद का एनजीओ कैसे शुरू करें

अगर आप अपना एनजीओ शुरू करना चाहते हैं, तो आपको उसके लिए कुछ बातों की जानकारी होनी जरूरी है. सबसे पहले एनजीओ चलाने के लिए आपको ये समझना होगा कि आप देश की किस मूल समस्या के लिए काम करना चाहते हैं. आप सबसे पहले अपने एनजीओ का मिशन, विजन और ऑब्जेक्टिव तय करें.

इसके बाद अपने साथ कुछ ऐसे लोगों का ग्रुप तैयार करें जो समाज में परिवर्तन लाना चाहते हैं. आप अपने एनजीओ को रजिस्टर कराएं. रजिस्ट्रेशन के दौरान आप अपने ग्रुप के लोगों को एक विशिस्ट पदनाम दे सकते हैं. जैसे अध्यक्ष, सचिव, सलाहकार आदि. ध्यान रहें कि एनजीओ का गठन करने के लिए ऐसे लोगों को चुने जो वाकई समाज सेवा करना चाहते हैं और जिम्मेदार भी हों.

एनजीओ को कैसे रजिस्टर करें?

अधिवक्ता श्री शैलेंद्र कुमार झा बताते हैं कि हमारे देश में एनजीओ शुरू करने के लिए कुछ एक्ट बनाए गए हैं. आप इन एक एक्ट के अंतर्गत अपना एनजीओ रजिस्टर करा सकते हैं-

  1. ट्रस्ट एक्ट : हर राज्य में अलग अलग नियम हो सकते हैं. लेकिन ट्रस्ट एक्ट के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कराने के लिए दो ट्रस्टनेस होनी चाहिए. इसके बाद आपको चैरिटी कमिश्नर या रजिस्ट्रार के ऑफिस में रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना होगा. इस एक्ट के तहत एनजीओ रजिस्टर कराने के लिए डीड डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है.
  2. सोसाइटी एक्ट : इस एक्ट के तहत एनजीओ ट्रस्टी के तौर पर रजिस्टर किया जाता है. इसके लिए “मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन एंड रूल्स एंड रेगुलेशन डॉक्यूमेंट” की जरूरत पड़ती है. ये एक्ट अलग – अलग राज्यों में थोड़ा अलग हो सकता है.
  3. कम्पनीज एक्ट : इसके लिए “मेमोरेंडम एंड आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन एंड रेगुलेशन डॉक्यूमेंट” की जरूरत पड़ती है. इस डॉक्यूमेंट को बनाने के लिए किसी भी स्टाम्प पेपर की आवश्यकता नहीं पड़ती और डॉक्यूमेंट्स के लिए 3 सदस्यों का होना अनिवार्य होता है.

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