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Chandrayaan 4 Mission: चंद्रयान 4 अंतरिक्ष में लगाएगा बड़ी छलांग, चंद्रमा से ऐसे लाएगा मिट्टी

Chandrayaan 4 Mission...ये भारत की उन उम्मीदों का मिशन है, जिसमें चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री कदम रखेगा. इस सपने को पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2040 तय किया गया है. चंद्रयान-4 मिशन इसी लक्ष्य को पाने का पहला कदम है. जिसमें चंद्रमा से मिट्टी के नमूने लेकर धरती पर वापस आना है. अंतरिक्ष में चंद्रयान-4 के अलग-अलग हिस्सों की डॉकिंग-अनडॉकिंग होगी. आइए जानते हैं क्या है पूरा मिशन.

इसरो (ISRO) अब चंद्रयान-4 मिशन (Chandrayaan 4 Mission) की तैयारी में है. केंद्र सरकार ने हाल ही में चंद्रयान-4 मिशन को मंजूरी दी है. इस मिशन के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, नेक्स्ट-जेनरेशन लॉन्च वाहन (LVM 3), शुक्र ऑर्बिटर मिशन विकास योजना को भी मंजूरी दी गई है. चंद्रयान-4 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर सफल लैंडिंग, वहां ड्रिलिंग करके मिट्टी का नमूना लेना और वापस पृथ्वी पर लौटना है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-4 के विकास और लॉन्च को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है.

अंतरिक्ष में डॉकिंग व अनडॉकिंग भी

भारत सरकार ने चंद्रयान-4 मिशन के लिए 2104.06 करोड़ रुपये दिए हैं. इसरो इससे अपग्रेडेड एलवीएम 3 रॉकेट (LVM 3) का इस्तेमाल करेगा. जो कि 5.1 टन (5100 KG) भार जीटीओ (Geostationary Transfer Orbit) तक ले जा सकेगा. इसरो की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार एलवीएम-3 दो हिस्सों में लॉन्च किया जाएगा. इसके अलावा इसमें डॉकिंग-अनडॉकिंग भी होगी. इससे भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) बनाने में भी मदद मिलेगी.

एलवीएम 3 में होंगे पांच मॉड्यूल

  • इसमें एक प्रोपल्सन मॉड्यूल होगा. लिक्विड अपोजी मोटर (LAM) कहा जाता है. ये वो इंजन है जो कि चंद्रयान 3,आदित्य एल-वन और मंगलयान मिशन में पूरी तरह से सफल रहा है.
  • दूसरा डिसेंडर मॉड्यूल होगा. जो चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा. इसमें 800 न्यूटन के 6 थ्रस्ट इंजन होंगे.
  • तीसरा असेंडर मॉड्यूल होगा. इसमें 800 न्यूटन के 2 थ्रस्ट इंजन होंगे. असेंडर वो हिस्सा है, जो डिसेंडर के ऊपरी हिस्से से जुड़ा होगा. इसमें चंद्रमा से लिया गया मिट्टी का नमूना होगा और उसे वापस चंद्रमा की ऑर्बिट में ट्रांसफर मॉड्यूल से जोड़ा जाएगा.
  • चौथा ट्रांसफर मॉड्यूल इसमें 1 एलएएम इंजन, 2200 न्यूटन के 8 थ्रस्टर होंगे. इसके अलावा 150 मिली न्यूटन के 16 थ्रस्टर लगे होंगे. ये ट्रांसफर मॉड्यूल चंद्रमा के ऑर्बिट में चक्कर लगाता रहेगा और असेंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह से आकर इसमें डॉक (जुड़ेगा) करेगा. असेंडर मॉड्यूल से रोबोटिक आर्म मिट्टी के नमूने लेकर ट्रांसफर मॉड्यूल से जुड़े एक हिस्से रिएंट्री मॉड्यूल में लाएगी. यहां असेंडर ट्रांसफर मॉड्यूल से अलग हो जाएगा. इसके बाद ट्रांसफर मॉड्यूल वापस पृथ्वी के ऑर्बिट में आएगा. यहां रिएंट्री मॉड्यूल ट्रांसफर मॉड्यूल से अलग हो जाएगा और धरती पर लैंड करेगा.
  • पांचवां हिस्सा रिएंट्री मॉड्यूल ये मिट्टी का नमूना लेकर धरती पर वापस लौटेगा.

भारत को इस मिशन से क्या होगा फायदा

भारत चंद्रयान-4 मिशन पर ₹2,104.06 करोड़ खर्च करेगा. इसका उद्देश्य 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा की धरती पर उतारना और वापस लाना है. चंद्रयान-4 मिशन में सुरक्षित लैंडिंग, मिट्टी का नमूना लेकर वापसी और चंद्रमा के ऑर्बिट में डॉकिंग फिर वहां से पृथ्वी के ऑर्बिट में वापस आकर जमीन पर सुरक्षित उतरना है. चंद्रयान-4 मिशन चंद्रयान-3 मिशन की सफलता को आगे बढ़ाएगा. चंद्रयान-3 में भारत ने चंद्रमा पर लैंडिंग और 14 दिन बाद फिर वहां से रॉकेट को दागने में सफलता पायी थी. चंद्रयान-4 मिशन चंद्रमा पर उतरने और फिर वापस पृथ्वी पर आने की तकनीक पर मुहर लगाएगा. इस मिशन को 36 महीने में पूरा करना है.

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