रिटायरमेंट से पहले बुलडोजर एक्शन पर डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनाया फैसला, ‘पत्नी, पति की संपत्ति नहीं’ के फैसले में भी थे शामिल

Chief Justice DY Chandrachud : भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल का 10 नवंबर अंतिम दिन है. उसके बाद वे सेवानिवृत्त हो जाएंगे, उनकी जगह जस्टिस संजीव खन्ना भारत के मुख्य न्यायाधीश बनेंगे, वे 11 नवंबर को चीफ जस्टिस का पदभार ग्रहण करेंगे. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने हिंदुस्तान टाइम्स से अपने रिटायरमेंट प्लान पर बात की है. एक सीजेआई जब रिटायर होता है तो लोगों की रुचि उनके रिटायरमेंट प्लान और ऐतिहासिक फैसलों में होती है.

By Rajneesh Anand | November 10, 2024 4:25 PM
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Chief Justice DY Chandrachud :  जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल में कई अहम फैसले सुनाए हैं, यही वजह है कि आमलोग उनके रिटायरमेंट प्लान के बारे में जानना चाहते हैं. क्या वे सार्वजिनक जीवन में रहेंगे हैं या फिर वे निहायत ही निजी जीवन जीएंगे? हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बात करते हुए डीवाई चंद्रचूड़ ने बताया है कि एक चीफ जस्टिस को जनता हमेशा उसी रूप में देखती है, इसलिए उसे रिटायमेंट के बाद भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए. 

डीवाई चंद्रचूड़ ने पूरा किया दो वर्ष से अधिक का कार्यकाल

रिटायरमेंट से पहले बुलडोजर एक्शन पर डीवाई चंद्रचूड़ ने सुनाया फैसला, ‘पत्नी, पति की संपत्ति नहीं’ के फैसले में भी थे शामिल 3

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के इतिहास में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 14वें ऐसे चीफ जस्टिस हैं जिन्होंने दो साल से अधिक का कार्यकाल पूरा किया. भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मंडकोलाथुर पतंजलि शास्त्री पहले ऐसे जस्टिस थे, जिन्होंने दो साल 139 दिन का कार्यकाल पूरा किया था. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 2016 सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे और और 9 नवंबर 2022 में वे मुख्य न्यायाधीश बने थे. 

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पांच बड़े फैसले

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का फेयरवेल

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल पर नजर डालेंगे तो उन्होंने कई अहम फैसले चीफ जस्टिस के पद पर रहते हुए सुनाए, जिनका व्यापक प्रभाव पड़ा. अपने फेयरवेल पर उन्होंने भाषण दिया और यह भी कहा कि जो लोग उन्हें ट्रोल करते थे वो अब बेरोजगार हो जाएंगे.

1. आर्टिकल 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखा : चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय बेंच ने यह फैसला सुनाया कि सरकार द्वारा आर्टिकल 370 को निरस्त करना सही था, क्योंकि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने का प्रावधान संविधान में एक अस्थायी व्यवस्था थी.

2. चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक बताने का फैसला : जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पांच सदस्यीय बेंच की अध्यक्षता करते हुए चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक बताया और यह कहा इस योजना को लागू करने के लिए संविधान में जो संशोधन किए गए हैं वो असंवैधानिक हैं, इसलिए बैंक तत्काल इस बांड को बेचना बंद करें. चुनावी बांड को बैंक से खरीदा जा सकता था, जिसके जरिए राजनीतिक दलों को फंडिंग की जाती थी. 

3. बुलडोजर मामला : सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन के खिलाफ अपना निर्णय सुनाया और कहा कि कोई व्यक्ति अगर दोषी है, तो  बुलडोजर एक्शन उचित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर एक्शन कानून के शासन में उचित नहीं है. सीजेआई के रूप में जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसी मसले पर अपना अंतिम फैसला सुनाया और बुलडोजर एक्शन को मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया. इसके अलावा में कई अन्य महत्वपूर्ण मामलों के निर्णय में भी जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल रहे, हालांकि वे उस वक्त चीफ जस्टिस नहीं थे. जैसे निजता का अधिकार , समलैंगिकता को अपराधमुक्त करना, व्यभिचार को अपराध से मुक्त करना, अयोध्या विवाद और सबरीमाला विवाद जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल रहे.

चीफ जस्टिस रिटायरमेंट के बाद क्या नहीं कर सकते?

संविधान के आर्टिकल 124 में सुप्रीम कोर्ट की आवश्यता और गठन पर फोकस किया गया है. इस आर्टिकल की धारा 124(7) में यह बताया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और अन्य जस्टिस कार्यकाल समाप्त होने यानी रिटायर होने के बाद भारत के किसी भी कोर्ट में वकालत नहीं कर पाएंगे. इस व्यवस्था का उद्देश्य जजों की प्रतिष्ठा को बरकरार रखना है. हालांकि जज सार्वजनिक सेवा कर सकते हैं और कई जज  राज्यपाल या सरकारी समितियों के सदस्य के रूप में काम करते हैं. 

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