Cyber Fraud : देश में डिजिटल ठगी में हुई भारी वृद्धि, जानें कितने पैसे लूटे जालसाजों ने

देश में तेजी से होते डिजिटल विकास ने साइबर फ्रॉड के मामलों में भी तेजी ला दी है. बीते चार वर्षों में जालसाजों ने लोगों से 33,165 करोड़ रुपये लूटे हैं.

By Aarti Srivastava | February 11, 2025 7:33 PM

Cyber Fraud : जिस गति से देश में डिजिटलीकरण बढ़ रहा है, साइबर धोखाधड़ी भी उसी गति से बढ़ती जा रही है. बीते चार वर्षों में देश में साइबर ठगी के मामले में अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज हुई है, जो देश में साइबर अपराध की घटनाओं में होने वाली भारी वृद्धि को दर्शाता है. ऐसे में हमें सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है, नहीं तो अपराधी पलक झपकते हमारी गाढ़ी कमाई में सेंध लगा सकते हैं.

900 प्रतिशत बढ़े जालसाजी के मामले

  • सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि बीते चार वर्षों में देश में साइबर ठगी के मामले में 900 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है.
  • नेशनल साइबर रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म (एनसीआरपी) द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि जालसाजों ने बीते चार वर्षों में लोगों से 33,165 करोड़ रुपये लूटे हैं. इनमें 2024 में अकेले 22,812 करोड़ रुपये की ठगी की गयी है.
  • वर्ष 2021 में अपराधियों ने जहां लोगों से 551 करोड़ रुपये की ठगी की, वहीं 2022 में 2,306 करोड़ रुपये और 2023 में 7,496 रुपये की धोखाधड़ी की.
  • आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि 2021 में साइबर ठगी की 1,37,254, शिकायतें दर्ज हुईं, तो 2022 में यह बढ़कर 5,15,083 पर पहुंच गयी. वहीं 2023 में साइबर धोखेबाजी की 11,31,649 और बीते वर्ष, यानी 2024 में 17,10,505 शिकायतें सामने आयीं. यानी 2021 की तुलना में 2024 में शिकायतों की संख्या में 15 लाख से अधिक की वृद्धि सामने आयी.

यूपीआइ ठगी के मामले में अप्रत्याशित वृद्धि

जैसे-जैसे देश में डिजिटल भुगतान बढ़ रहा है, इसे सुरक्षित बनाये रखने को लेकर चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं. बीते वर्ष नवंबर में वित्त मंत्रालय ने संसद में बताया कि वित्त वर्ष 2024 में देश में यूपीआइ धोखाधड़ी के मामले में 85 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है.

  • 13.42 लाख यूपीआइ ठगी के मामले सामने आये, वित्त वर्ष 2024 में, जबकि 2023 में ऐसे मामलों की संख्या 7.25 लाख थी.
  • 1,087 करोड़ रुपये की चपत लगायी जालसाजों ने यूपीआइ धोखाधड़ी के जरिये वित्त वर्ष 2024 में, जो 2023 के 573 करोड़ से लगभग दोगुना है.
  • 6.23 लाख यूपीआइ जालसाजी के मामले दर्ज हुए वित्त वर्ष 2024-2025 के पहले ही कुछ महीनों में. जिनमें लोगों से 485 करोड़ रुपये लूटे गये.
  • 57 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई यूपीआइ लेनदेन में वित्त वर्ष 2023 की तुलना में 2024 में. जहां वित्त वर्ष 2023 में 8,371 करोड़ यूपीआइ लेनदेन हुए, वहीं वित्त वर्ष 2024 में यह 13,113 करोड़ (4,742 करोड़ की बढ़ोतरी के साथ) पर पहुंच गया.

बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले भी बढ़े

आरबीआइ की कुछ दिनों पूर्व आयी रिपोर्ट इस बात का खुलासा करती है कि वित्त वर्ष 2024 के दौरान बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में चिंताजनक वृद्धि दर्ज हुई है. अप्रैल और सितंबर के बीच, 18,461 धोखाधड़ी के मामले सामने आये, जिसमें 21,367 करोड़ रुपये ठगे गये. ठगी के ये आंकड़े पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में काफी अधिक हैं, क्योंकि वित्त वर्ष 2023 की समान अवधि के दौरान जालसाजी के 14,480 मामले दर्ज हुए और 2,623 करोड़ रुपये की राशि लोगों से लूटी गयी.

क्रेडिट-डेबिट कार्ड फ्रॉड से वित्त वर्ष 2024 में 177 करोड़ की हानि

बीते वर्ष अगस्त में लोकसभा में एक लिखित उत्तर में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भारतीय रिजर्व बैंक के हवाले से बताया था कि वित्त वर्ष 2023-2024 में क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण देश को लगभग 177 करोड़ रुपये की हानि हुई है, जो 2022-2023 की तुलना में दोगुने से अधिक है.

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क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, एटीएम और इंटरनेट बैंकिंग धोखाधड़ी के कारण होने वाले नुकसान का वर्षवार तुलनात्मक आंकड़ा

वित्त वर्ष हानि (करोड़ रुपये में)

2019-2020 44.22

2020-2021 50.01

2021-2022 80.33

2022-2023 69.68

2023-2024 177.05

कई टियर 2 व 3 शहर बने जालसाजी के केंद्र

सरकारी आंकड़े यह भी बताते हैं कि बीते कुछ समय में कई टियर 2 और टियर 3 शहर साइबर अपराध हॉटस्पॉट के रूप में उभरे हैं. इनमें झारखंड का देवघर, राजस्थान का जयपुर व जोधपुर, हरियाणा का नूह, उत्तर प्रदेश का मथुरा और गौतमबुद्ध नगर, पश्चिम बंगाल का कोलकाता, गुजरात का सूरत, बिहार का नालंदा और नवादा, कर्नाटक का शहरी बेंगलुरु और केरल का कोझिकोड शामिल हैं.

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