पानीपत के युद्ध में इब्राहिम लोदी को पस्त कर बाबर ने भारत में मुगलों का साम्राज्य स्थापित किया

Delhi Elections : दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिलेगा. वह मुख्यमंत्री अगर आम आदमी पार्टी का नहीं हुआ, तो दिल्ली में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन होगा, जो यहां के इतिहास में कई बार हो चुका है. दिल्ली सल्तनत के अंतिम शासक इब्राहिम लोदी के बाद दिल्ली पर मुगलों का शासन हो गया था. इब्राहिम लोदी को उसके अपने ही लोगों ने धोखा दिया था और उसके शासन का अंत हुआ था.

By Rajneesh Anand | February 5, 2025 5:35 PM
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Delhi Elections : दिल्ली के इतिहास में इब्राहिम लोदी की चर्चा बहुत ही अहम है. इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत का आखिरी शासक था और उसकी हार के बाद देश में मुगलों का शासन प्रारंभ हुआ. मुगल शासक बाबर ने पानीपत के युद्ध में इब्राहिम लोदी को मार दिया था, जिसके बाद लोदी वंश का अंत हो गया. इतिहासकारों का मानना है कि इब्राहिम लोदी ने अपनी नीतियों से अपनी छवि एक तानाशाह की बना ली थी, जिसकी वजह से उसका पतन हुआ.

कौन था इब्राहिम लोदी

इब्राहिम लोदी, लोदी वंश के शासक सिकंदर खान का बेटा था. इब्राहिम लोदी 1517 ईसवी में सुल्तान बना था. वह अपने पिता और दादा की तरह शिक्षित और योद्धा था. लेकिन उसे अपने ही लोगों से काफी विरोध का सामना करना पड़ा. इसकी वजह यह थी कि उसने अपने उम्रदराज सरदारों की जगह युवा लोगों को कमान सौंप दी थी, जो उसके विश्वासपात्र थे. इब्राहिम लोदी के इस फैसले से लोगों में काफी नाराजगी फैल गई थी और उसके सरदारों ने उसके खिलाफ विद्रोह कर दिया था. जब 1526 में बाबर ने उसपर आक्रमण किया, तो उसे दो तरफा मार पड़ी और वह संभल नहीं सका, युद्ध में उसकी हार हुई और लोदी वंश का सूर्य अस्त हो गया.

इब्राहिम लोदी को क्रूर और तानाशाह क्यों कहा गया है?

सुल्तान इब्राहिम लोदी, एआई तस्वीर

बहलोल लोदी का पोता इब्राहिम लोदी काफी घमंडी और क्रूर माना जाता था. वह अपने फैसलों में किसी को शामिल नहीं करता था, इसलिए उसकी छवि एक तानाशाह की बन गई थी.वह पश्तून लोदी जनजाति का था. लोदी वंश का शासनकाल 1451 से 1526 के बीच तक चला और इसके तीन शासक हुए. इब्राहिम लोदी का पिता सिकंदर लोदी काफी लोकप्रिय शासक था, लेकिन इब्राहिम लोदी उसकी जगह नहीं ले सका. उसे समाज के लोगों की स्वीकार्यता नहीं मिली, खासकर अमीर वर्ग के लोग इब्राहिम लोदी को शंका की नजरों से देखते थे. इब्राहिम लोदी इसी शंका की वजह से किसी पर विश्वास नहीं कर पाता था और जल्दबाजी में उनके खिलाफ बदले की भावना से काम करता था. हालांकि वह एक शिक्षित और संभ्रात शासक था, लेकिन उसकी इसी आदत ने उसे घमंडी और क्रूर का तमगा दिला दिया था. उसके साम्राज्य के रईस यह चाहते थे कि राज्य इब्राहिम लोदी के भाई जलाल खान को मिले या फिर साम्राज्य का बंटवारा हो जाए.

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दौलत खान ने किया था विश्वासघात

इब्राहिम लोदी के अंत का सबसे बड़ा कारण बना था दौलत खान, जो पंजाब का सूबेदार था. उसने इब्राहिम लोदी के साथ विश्वासघात किया और बाबर का साथ दिया. इब्राहिम लोदी के लिए यह बहुत क्षति थी और वह इस विश्वासघात से बच नहीं सका. इब्राहिम लोदी के दरबारियों ने ही एक तरह से बाबर को इब्राहिम लोदी से युद्ध करने के लिए निमंत्रित किया था, ताकि लोदी वंश का अंत हो जाए. इब्राहिम लोदी युद्ध के दौरान मारा गया था, उसके अलावा दिल्ली सल्तनत का कोई भी राजा युद्ध में नहीं मारा गया था. 

बाबर ने इब्राहिम लोदी  को तुलगमा युद्ध विधि से हराया 

बाबर की सेना के आगे इब्राहिम लोदी की सेना टिक नहीं सकी. बाबर ने पानीपत के युद्ध में इब्राहिम लोदी के खिलाफ तुलगमा विधि से हराया था. तुलगमा विधि युद्ध की एक रणनीति है, जिसका प्रयोग बाबर ने इब्राहिम लोदी के खिलाफ किया था. इस विधि में विपक्ष की सेना को चारों ओर से घेर लिया जाता है. सेना को तीन भागों में बांटा जाता है–दाएं, बाएं और मध्य. युद्ध की इस नीति में बाएं और दाहिने हिस्से की सेनाएं पहले आगे बढ़ती हैं और बीच की सेना थोड़ा पीछे रहती है.

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