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Delhi Elections : दिल्ली को देश का दिल कहा जाता है क्योंकि यह राष्ट्रीय राजधानी है. दिल्ली में 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है. अभी दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है यहां की मुख्यमंत्री आतिशी हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि दिल्ली की स्थापना किसने की और पहली बार इसे राजधानी किसने बनाया था?
महाभारत काल से जुड़ा है दिल्ली का इतिहास
कौरवों ने जब हस्तिनापुर का शासन पांडवों को देने से मना कर दिया था, तो युद्ध को टालने के लिए बंटवारा हुआ और पांडवों को खांडवप्रस्थ दे दिया गया था, जो उस समय घना जंगल और उजाड़ इलाका हुआ करता था. उसी खांडवप्रस्थ को पांडवों ने भगवान कृष्ण और विश्वकर्मा की मदद से इंद्रप्रस्थ बनाया था, जो उनकी राजधानी था. इंद्रप्रस्थ को बहुत ही खूबसूरती के साथ बसाया था. इंद्रप्रस्थ को ही आज की दिल्ली माना जाता है.
तोमर वंश के राजपूत राजा अनंगपाल ने पहली बार दिल्ली को बनाया राजधानी
ऐतिहासिक साक्ष्यों की बात करें तो कुछ इतिहासकार यह मानते हैं कि दिल्ली को 50ईपू मौर्य शासन काल में बसाया गया था और कुछ इतिहासकार यह मानते हैं कि दिल्ली को तोमर वंश के राजपूत राजा अनंगपाल ने बसाया था और उसी ने पहली बार दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया. दिल्ली के शासक पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंदबरदाई ने ‘पृथ्वीराज रासो’ में तोमर राजा अनंगपाल को दिल्ली का संस्थापक बताया है. उसने 11वीं शताब्दी में दिल्ली की स्थापना की थी. 12वीं शताब्दी में दिल्ली पर चौहान वंश का शासन था और पृथ्वीराज चौहान यहां के शासक थे. 13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई और उसी काल में दिल्ली पर पहली बार किसी महिला का शासन स्थापित हुआ.
कुतुबुद्दीन ऐबक थे दिल्ली सल्तनत के पहले शासक
मोहम्मद गोरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की थी. उनके वंश को इतिहास में गुलाम वंश के रूप में जाना जाता है. कुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली का शासन मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाने के लिए इनाम स्वरूप दिया था. कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु के बाद उसके दामाद शम्सुद्दीन इल्तुतमिश को दिल्ली सल्तनत की बागडोर मिली और उसने 1210 से 1236 तक शासन किया. जबकि कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1206 से 1210 तक शासन किया था. इल्तुतमिश की मौत के बाद दिल्ली सल्तनत की बागडोर पहली बार किसी महिला रजिया को सौंपी गई थी. वह अपने भाइयों से बहुत काबिल भी थी और उसके पिता इल्तुतमिश उसपर बहुत भरोसा भी करते थे.
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1236 ईसवी में रजिया बनी थी दिल्ली की सुल्तान
गुलाम वंश के तीसरे शासक के रूप में रजिया सुल्तान दिल्ली की गद्दी पर बैठी थी. रजिया सुल्तान ने 1236 से 1240 तक शासन किया था. उसके बाद उसे पद से हटा दिया गया था. दरअसल रजिया सुल्तान एक अच्छी शासक थी और शम्सुद्दीन इल्तुतमिश के बेटों से काफी योग्य भी थी, लेकिन उस काल में महिलाओं का सुल्तान बनना समाज में अच्छा नहीं माना जाता था और इसे धर्म के खिलाफ भी माना जाता था. रजिया सुल्तान ने अपनी आवाम के हक में फैसले किए थे और उसके शासनकाल में महिलाओं को सुरक्षा भी मिली थी. रजिया ने अपनी पहचान नहीं छुपाई और वह बिना पर्दे के दरबार में आती थी. वह एक कुशल योद्धा भी थी. कहा जाता है कि उसका एक गुलाम याकूत से करीबी रिश्ता था, जिसे उसके दरबारी पसंद नहीं करते थे इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया और उनके विरोध की वजह से रजिया को पद से हटना पड़ा. ऐतिहासिक साक्ष्यों से यह स्पष्ट नहीं है कि पद से हटने के बाद रजिया का क्या हुआ. कुछ कहते हैं कि उसके दरबारी अल्तुनिया ने विद्रोह किया था, जिसमें याकूत मारा गया था, जिसके बाद रजिया ने अल्तुनिया से शादी कर ली, कुछ दावे यह भी कहते हैं कि युद्ध में घायल याकूत रजिया को लेकर किसी सुरक्षित स्थान पर चला गया. लेकिन रजिया दिल्ली की पहली महिला शासक थी, जिसमें क्षमता होने के बावजूद उसे ज्यादा दिनों तक सत्ता पर काबिज नहीं रहने दिया गया.
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गुलाम वंश की स्थापना किसने की थी?
गुलाम वंश की स्थापना कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी.
दिल्ली की स्थापना किसने की थी?
दिल्ली की स्थापना तोमर वंश के राजा अनंगपाल ने की थी.