15 साल बिना शासक के रहा मुगल साम्राज्य, जानें उस वक्त किसने किया दिल्ली पर राज
Delhi Elections : भारत में मुगलों का साम्राज्य 1526 से शुरू हुआ और लगभग 1857 तक यह साम्राज्य उतार–चढ़ाव के साथ कायम रहा. इस साम्राज्य के शासनकाल में एक ऐसा दौर भी आता है, जब 15 साल तक कोई बादशाह नहीं रहा फिर उसके बाद इस साम्राज्य का स्वर्णिम युग शुरू हुआ.
Table of Contents
Delhi Elections : भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना बाबर ने 1526 में पानीपत के पहले युद्ध में दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इब्राहिम लोदी को मारकर की थी. हालांकि बाबर ने दिल्ली को अपनी राजधानी नहीं बनाया था, बाबर के युग में आगरा मुगलों की राजधानी थी. दिल्ली को पहली बार मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी राजधानी बनाया था.
बाबर महज चार साल ही कर सका शासन
मुगल बादशाह बाबर का शासनकाल 1526 से 1530 तक का है. इस कालखंड में उसने अपने राज्य का विस्तार किया और कई युद्ध भी लड़े. लेकिन उसकी मृत्यु खराब स्वास्थ्य की वजह से हो गई और उसका बेटा हुमायूं मुगल शासक बना.
हुमायूं को झेलना पड़ा 15 साल का निर्वासन
हुमायूं एक योद्धा नहीं था, उसकी रुचि युद्ध से ज्यादा कविताओं और शायरी में थी. जबकि उस वक्त मुगल साम्राज्य को विस्तार की जरूरत थी, क्योंकि यह साम्राज्य विस्तार ही पा रहा था. कमजोर सैन्य नेता की वजह से मुगल बादशाह हुमायूं को अपने ही सौतेले भाइयों की वजह से कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा और 1540 में बाबर की सेना में सेनापति रहे शेरशाह सूरी ने उसे परास्त कर संपूर्ण उत्तर भारत में सूरी वर्ष की स्थापना की. हालांकि शेरशाह सूरी का शासनकाल महज 5 पांच साल का ही रहा, लेकिन इतने कम समय में भी उसने नगरीय व्यवस्था बनाने और सैन्य प्रशासन की स्थापना करने का अहम काम किया. 1545 में शेरशाह सूरी को चंदेल राजा ने युद्ध में मार दिया. उसके उत्तराधिकारी बहुत सशक्त नहीं थी जिसकी वजह से 1555 में हुमायूं पुन: वापस आया और उसने एक बार फिर मुगल साम्राज्य को स्थापित किया और बादशाह बना. हुमायूं के निर्वासन के दौरान ही अकबर का जन्म हुआ था, जो सबसे लोकप्रिय मुगल शासक था. दोबारा शासन संभालने के बाद मुगल साम्राज्य को मजबूत करने के लिए हुमायूं ने कई कदम उठाए, लेकिन दुर्भाग्यवश महज एक वर्ष बाद ही सीढ़ियों से गिरने से उसकी मौत हो गई और उसका बेटा अकबर महज 13 वर्ष की आयु में शहंशाह बना. उसे बैरम खान का संरक्षण प्राप्त था, जो उसकी सेना का सेनापति और अकबर का खास था.
इसे भी पढ़ें : कौन हैं वो लोग जिन्हें सेना के विमान में कैदियों की तरह भरकर अमेरिका ने भारत वापस भेजा ?
पानीपत के 20,000 मुसलमानों की महात्मा गांधी ने बचाई जान, लेकिन उन्हें पाकिस्तान जाने से नहीं रोक सके
विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें
अकबर मुगल साम्राज्य का सबसे लोकप्रिय शासक था
अकबर मुगल साम्राज्य का सबसे लोकप्रिय शासक था और उसकी स्वीकार्यता हिंदू प्रजा में किसी भी मुगल शासक से अधिक थी. अकबर ने देश में हिंदू–मुस्लिम एकता के लिए काफी प्रयास किए और दीन ए इलाही धर्म भी चलाया. उसने एक हिंदू रानी जोधाबाई के बेटे जहांगीर को अपना उत्तराधिकारी भी घोषित किया था. उस वक्त मुगलों की राजधानी आगरा ही थी. लेकिन जहांगीर के बेटे शाहजहां ने दिल्ली को राजधानी बनाया.
शाहजहां ने दिल्ली को राजधानी बनाया
शाहजहां ने सुरक्षा की दृष्टि से 1648 में दिल्ली को मुगलों की राजधानी बनाया. उसने दिल्ली में शाहजहानाबाद नाम का शहर बसाया, जिसे आज पुरानी दिल्ली के नाम से जाना जाता है. हालांकि उसने आगरा में भी कई बेहतरीन निर्माण कराए, जिसमें ताजमहल सबसे प्रमुख है. मुगलों की राजधानी आगरा, फतेहपुरसीकरी, लाहौर और दिल्ली रहा. साम्राज्य के अंत के वक्त दिल्ली ही राजधानी थी.
इसे भी पढ़ें :पानीपत के युद्ध में इब्राहिम लोदी को पस्त कर बाबर ने भारत में मुगलों का साम्राज्य स्थापित किया