दिल्ली का यह सुल्तान अपने एक फैसले की वजह से कहा गया ‘सनकी’, तुगलक वंश से था नाता

Delhi Elections : दिल्ली पर राज करने वाले राजवंशों ने दिल्ली को अपने हिसाब से बसाया और नियम कानून बनाएं. परिणाम यह हुआ कि दिल्ली कभी बहुत आबाद रही और कभी बेरौनक. तुगलक वंश के शासक मुहम्मद बिन तुगलक ने तो 1327 में राजधानी दिल्ली से दौलताबाद शिफ्ट कर दिया था, दिल्ली को वीरान कर दिया था. दिल्ली विधानसभा चुनाव के वक्त पढ़ें दिल्ली के इतिहास से जुड़ीं कुछ रोचक बातें.

By Rajneesh Anand | February 4, 2025 5:25 PM

Delhi Elections : ऐ वाए इंक़लाब ज़माने के जौर से, दिल्ली ‘ज़फ़र’ के हाथ से पल में निकल गई . यह शायरी है मुगलों के अंतिम बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र की, जिसमें उन्होंने अपना यह दर्द बयां किया है कि किस तरह दिल्ली उनके हाथों से निकल गई. दिल्ली अपने स्थापना काल से वर्तमान समय तक कई बार बसी और उजड़ी है. इतिहास में जाएं तो पांडवों द्वारा बसाई गई दिल्ली पर तोमर वंश, चौहान वंश, गुलाम वंश, खिलजी वंश,तुगलक वंश, सैय्यद वंश, लोदी वंश, मुगल और फिर अंग्रेजों ने शासन किया. आजादी के बाद दिल्ली देश की राजधानी बनी और आज हर भारतीय दिल्ली से इश्क करता है. दिल्ली पर शासन करने वाले कुछ ऐसे शासक भी हुए, जिन्होंने अपने फैसलों से लोगों को चौंकाया. दिल्ली का ऐसा ही एक शासक था तुगलक वंश का मुहम्मद बिन तुगलक.

कौन था मुहम्मद बिन तुगलक ?

चौहान राजवंश को समाप्त कर मोहम्मद गोरी के गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली सल्तनत की स्थापना की. गुलाम वंश के बाद दिल्ली पर खिलजी वंश के शासकों का अधिकार था और फिर तुगलक वंश का शासन स्थापित हुआ. तुगलक वंश की स्थापना गाजी मलिक ने की थी. वह 1320 ईसवी में गयासुद्दीन तुगलक के रूप में सिंहासन पर बैठा था. लेकिन 1325 में उसकी मौत हो गई, जिसके बाद उसका बेटा मुहम्मद बिन तुगलक गद्दी पर बैठा. कई इतिहासकार यह मानते हैं कि पिता की मौत के लिए मुहम्मद बिन तुगलक जिम्मेदार था. मुहम्मद बिन तुगलक ऐसा शासक था जिन्होंने राजकाज में कई प्रयोग किए. जिसमें सबसे प्रमुख था कृषि क्षेत्र में सुधार, टोकन मुद्रा और राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित करना. मुहम्मद बिन तुगलक अन्य शासकों की अपेक्षा काफी शिक्षित था. उसने नस्ल आधारित भेदभाव को समाप्त करने की कोशिश की और योग्यता के आधार पर अधिकारियों की नियुक्ति की.

मुहम्मद बिन तुगलक ने राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद स्थानांतरित किया 

दिल्ली से दौलताबाद रांजधानी का स्थानांतरण, एआई तस्वीर

मुहम्मद बिन तुगलक के सबसे विवादास्पद फैसलों में शुमार है राजधानी को दिल्ली से दौलताबाद शिफ्ट करना. दौलताबाद को देवगीर कहा जाता था. प्रसिद्ध मुस्लिम यात्री इब्न बतूता ने मुहम्मद बिन तुगलक के समय ही भारत का दौरा किया था. इब्न बतूता से अपने यात्रा वृतांत में लिखा है कि मुहम्मद बिन ने अपनी राजधानी दिल्ली से दौलताबाद इसलिए शिफ्ट की थी क्योंकि वह यह चाहता था कि राजधानी मंगोलों और अफगानों से सुरक्षित रहे. दिल्ली से दौलताबाद की दूरी 1500 किलोमीटर थी और इस रास्ते को तय करना बहुत मुश्किल था. हालांकि मुहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली से दौलताबाद तक जाने के लिए राजमार्ग बनवाया और वहां कई तरह की सुविधाएं भी दीं. आपातकाल से निपटने के लिए कई उपाय भी किए जिसमें तीव्र गति से मैसेज पहुंचाने की व्यवस्था भी शामिल थी. लेकिन राजधानी को दौलताबाद स्थानांतरित करने का उनका फैसला सही साबित नहीं हुआ, जिसकी वजह से उसे एक बार फिर दिल्ली को ही राजधानी बनाना पड़ा था. 

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मुहम्मद बिन तुगलक ने गैर मुसलमानों को भी दिया था सम्मान

मुहम्मद बिन तुगलक एक ऐसा शासक था जिसने मुसलमान होते भी अन्य धर्म के लोगों को सम्मान दिया और उनके धर्म का आदर किया. इतिहासकार बताते हैं कि मुहम्मद बिन तुगलक ने एक जैन साधु जिनप्रभा सूरी को सम्मानित किया था. जिनप्रभा सूरी ने तीन जैन प्रार्थनाओं का फारसी में अनुवाद भी किया था.ब्रिटिश इतिहासकार पीटर जैकसन ने अपनी किताब The Delhi Sultanate A Political And Military History में जिक्र किया है कि मुहम्मद बिन तुगलक एकमात्र ऐसा शासक थे जो हिंदुओं के त्योहारों में शामिल होता था.

टोकन मुद्रा की शुरुआत कर मुहम्मद बिन तुगलक विवादों में आया

मुहम्मद बिन तुगलक को टोकन मुद्रा की शुरुआत करने के लिए भी जाना जाता है. टोकन मुद्रा उस पैसे को कहते हैं, जिसपर अंकित मूल्य और उस सिक्के की क्वालिटी में कोई मेल ना हो. मुहम्मद बिन तुगलक एक ऐसा शासक था,जिसने कई सैन्य अभियान चलाए और उदारता भी दिखाई. इसकी वजह से उसका खजाना खाली हो गया था. मजबूरी में उसे टोकन मुद्रा शुरू करनी पड़ी और चांदी के सिक्कों की जगह पर तांबे का सिक्का चलाया और यह घोषणा की कि तांबे का सिक्का चांदी के सिक्के के समतुल्य होगा. लेकिन आम लोगों में उसका यह प्रयोग नहीं चला और अंतत: उसे यह मुद्रा बंद करनी पड़ी, क्योंकि जाली सिक्कों का चलन शुरू हो गया था. 

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तुगलक वंश की स्थापना किसने की थी?

तुगलक वंश की स्थापना गाजी मलिक ने की थी. वह 1320 ईसवी में गयासुद्दीन तुगलक के रूप में सिंहासन पर बैठा था.

दिल्ली से दौलताबाद राजधानी कौन सुल्तान लेकर गया था?

मुहम्मद बिन तुगलक

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