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digital shakti campaign: साइबर स्पेस में महिलाओं को सशक्त बना रही डिजिटल शक्ति

आज के समय में डिजिटल कनेक्टिविटी महिलाओं के सशक्तिकरण का एक अहम जरिया बन गया है. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर महिलाएं ज्ञान और वित्तीय जानकारी हासिल कर आज दुनिया के साथ कदमताल करते हुए आगे बढ़ रही हैं.

digital shakti campaign: आज देशभर में आधी आबादी के लिए डिजिटल तक पहुंच बहुत जरूरी है. मगर जिस गति से डिजिटल क्षेत्र में लोगों की भागीदारी बढ़ रही है, उसी रफ्तार से साइबर क्राइम की घटनाएं भी घट रही हैं. इनमें से ज्यादातर अपराध महिलाओं के खिलाफ किये जाते हैं. इसके लिए भारत में व्याप्त लैंगिक असमानता व डिजिटल साक्षरता की कमी मुख्य कारण हैं. ऐसे में महिलाओं को डिजिटल क्षेत्र में सशक्त बनाने की दिशा में डिजिटल शक्ति अभियान अहम भूमिका निभा रहा है.

सूचना क्रांति के इस दौर में देश की आधी आबादी को डिजिटल क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने की काफी जरूरत है. इस क्षेत्र में जागरूक न होने के कारण अधिकांश महिलाएं साइबर क्राइम का शिकार बन रही हैं. लिहाजा, देशभर में महिलाओं को डिजिटल क्षेत्र में जागरूकता के स्तर को बढ़ाने में मदद करने के लिए जून, 2018 में डिजिटल शक्ति अभियान की शुरुआत हुई थी. राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार, पूरे भारत में इस परियोजना के जरिये तीन लाख से अधिक महिलाओं को साइबर सुरक्षा के बारे में परामर्श और सूझ-बूझ के बारे में अवगत कराया गया है, लेकिन यह संख्या का काफी कम है और यह सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित है. बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के शहरों की महिलाएं इस पहुंच से कोसों दूर हैं, जबकि उनकी आबादी इन छोटे शहरों में ही अधिक है और ये महिलाएं आसानी से दूरदराज बैठे साइबर अपराधियों की शिकार हो जाती हैं.

जानिए क्या है डिजिटल शक्ति अभियान

डिजिटल शक्ति साइबर स्पेस में महिलाओं एवं बालिकाओं को डिजिटल रूप से सशक्त तथा कुशल बनाने की एक अखिल भारतीय परियोजना है. डिजिटल शक्ति महिलाओं को किसी भी अनुचित घटना के विरुद्ध खड़ा करने की पहल है, जो वे ऑनलाइन स्पेस में देख सकती हैं. पिछले एक दशक में भारत में साइबर क्राइम की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. दुर्भाग्य से, इन अपराधों का एक बड़ा हिस्सा महिलाओं के खिलाफ होता है. इसका प्रमुख कारण भारत में प्रचलित भारी लैंगिक भेदभाव और डिजिटल ज्ञान की कमी भी है. एक और चुनौती यह है कि साइबर क्राइम की शिकार ज्यादातर महिलाएं शिकायत दर्ज नहीं कराती हैं. इसके पीछे सामान्य कारण या तो परिवार या कानून प्रवर्तन एजेंसियों से समर्थन की कमी और उनमें जागरूकता का अभाव है, जो उन्हें ऑनलाइन स्पेस में अपराधों के लिए कमजोर बना देती है. घटनाओं की रिपोर्ट करने और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने पर ही रोकथाम की जा सकती है. हालांकि, साइबर क्राइम के लिए स्पेशलाइज्ड पोर्टल शुरू किया गया है, लेकिन कई मामले अनसुलझे रह जाते हैं. जो मामले सुलझ जाते हैं और निपटाये जाते हैं, वे औसतन 6-12 महीनों में फिर से रिपोर्ट किये जाते हैं.

अब तक तीन लाख महिलाओं को किया जा चुका है जागरूक

डिजिटल शक्ति की शुरुआत सबसे पहले जून, 2018 में फेसबुक और राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से की गयी. इसका प्रमुख उद्देश्य देशभर की महिलाओं को डिजिटल क्षेत्र में जागरूकता के स्तर को बढ़ाने और साइबर अपराध से प्रभावी तरीकों से लड़ने में मदद करना था. अभियान के शुरुआती तीन चरणों की अवधि में देशभर में इस परियोजना के जरिये तीन लाख से अधिक महिलाओं को साइबर सुरक्षा परामर्शों और सूझ-बूझ, रिपोर्टिंग और निवारण व्यवस्था, डेटा गोपनीयता और उनके लाभ के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग से अवगत कराया गया. जबकि, पहले चरण के दौरान जून 2018 से दिसंबर 2019 तक ऑनलाइन, सुरक्षा और डिजिटल साक्षरता पर कुल 135 से ज्यादा कार्यशालाएं आयोजित की गयीं. भारत के छह राज्यों-दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, मेघालय, तमिलनाडु व मणिपुर में कुल 62,000 महिलाओं को जागरूक किया गया.

अभियान को देश के कोने-कोने में पहुंचाने की जरूरत

डिजिटल शक्ति महिलाओं को ऑनलाइन गेम नहीं खेलने की सलाह देता है तथा इसके खेलने से होने वाले जोखिमों से भी अवगत कराता है. वहीं, लैपटाप, मोबाइल, डेस्कटॉप और टैब आदि के लगातार प्रयोग से होने वाले स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव से भी महिलाओं से सचेत करता है. कुल मिलाकर डिजिटल शक्ति अभियान केंद्र सरकार की एक खास पहल है, जिसे देश के कोने-कोने में पहुंचाने की जरूरत है. विशेष रूप से पिछड़े राज्यों में ध्यान देने की जरूरत है. साथ ही जिला स्तर तक की महिलाओं को जागरूक करने के लिए भी अभियान चलाना जाना चाहिए.

साइबर अपराध और निवारण

डिजिटल शक्ति के दूसरे चरण में अभियान को वी थिंक डिजिटल-डिजिटल शक्ति अभियान के रूप में नया रूप दिया गया और 11 फरवरी 2020 को सुरक्षित इंटरनेट दिवस के अवसर पर एक ऑफलाइन कार्यशाला के साथ लॉन्च किया गया, जो लखनऊ में 300 से अधिक महिलाओं के लिए आयोजित की गयी थी. 12 महीनों की अवधि में कुल 167 कार्यशालाओं के माध्यम से छात्रों, शिक्षकों और केस वर्कर्स सहित अलग-अलग पृष्ठभूमियों के 1,05,000 से अधिक नेटिजन्स को डेटा और डिजिटल फुटप्रिंट को समझने, जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार, गलत सूचना से लड़ने, साइबर अपराध और निवारण से अवगत कराया गया. अभियान को डब्ल्यूएसआइएस पुरस्कार 2020 के लिए एक चौंपियन प्रोजेक्ट नामित किया गया था. जबकि, कार्यक्रम का तीसरा चरण मार्च 2021 में राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष द्वारा लेह में शुरू किया गया था. तीसरे चरण में किसी महिला के साइबर अपराध का सामना करने की स्थिति में रिपोर्टिंग के सभी तरीकों की जानकारी प्रदान करने के लिए परियोजना के तहत एक संसाधन केंद्र भी विकसित किया गया था.

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देशभर में 10 लाख नेटिजन्स को जागरूक करने का लक्ष्य

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने नवंबर 2022 में डिजिटल शक्ति अभियान के चौथे चरण का शुभारंभ किया था. महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षित ऑनलाइन स्थान बनाने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप, डिजिटल शक्ति 4.0 महिलाओं को डिजिटल रूप से कुशल बनाने और ऑनलाइन माध्यम से किसी भी अवैध व अनुचित गतिविधि के खिलाफ खड़े होने के लिए जागरूक करने पर केंद्रित है. राष्ट्रीय महिला आयोग ने इसे साइबरपीस फाउंडेशन और मेटा के सहयोग से शुरू किया है. चरण 4 के जरिये देशभर में 10 लाख लड़कियों, महिलाओं और नेटिजन्स को ऑफलाइन सुरक्षा और डिजिटल उपकरणों के सिद्धांतों पर सुझाव देना आयोग का लक्ष्य है.

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