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Digitalisation Of Air Transport : फरवरी 2024 में जारी एसीआई वर्ल्ड ट्रैफिक पूर्वानुमान 2023-2052 के अनुसार वैश्विक यात्री यातायात 8.7 बिलियन तक पहुंच जाएगा. भारतीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने सितंबर 2024 में एक सोशल मीडिया पोस्ट लिखा था, जिसके अनुसार मांग, सहायक नीतियों और सरकारी प्रतिबद्धता की वजह से भारत में विमानन क्षेत्र में जबरदस्त तेजी देखी गई है.
इस गतिशील बदलाव ने भारत को वैश्विक विमानन पारिस्थितिकी तंत्र में सबसे आगे खड़ा कर दिया है. भारत अब संयुक्त राज्य अमेरिका एवं चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू बाजार बन गया है. रिपोर्ट के अनुसार भारत के विमानन उद्योग ने पिछले 10 वर्षों में महत्वपूर्ण वृद्धि की है. देश में परिचालित हवाई अड्डों की संख्या 2014 में 74 से दोगुनी होकर 2024 में 157 हो गई है. 2047 तक इसे 350-400 तक करने का लक्ष्य है. पिछले एक दशक में घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या दोगुनी से भी अधिक हो गई है. भारतीय एयरलाइंस उल्लेखनीय रूप से अपने बेड़े का विस्तार कर रहा है.
सुरक्षा, संरक्षा और सुविधाओं से लैस यात्रा का अनुभव
रिपोर्ट के अनुसार नागरिक उड्डयन उद्योग में डिजिटल प्रोद्योगिकी के उपयोग से हवाई यात्रियों के अनुभवों को बेहतर बनाया जा रहा है. साथ ही उन्हें सुरक्षा, संरक्षा और सुविधाओं से लैस यात्रा का अनुभव कराया जा रहा है. कोविड 19 के दौर में दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा था. कोविड के कारण परिवहन उद्योग पर व्यापक प्रभाव पड़ा. सेवाएं बाधित हुईं. तब कंपनियों ने अपने कारोबार को चालू रखने के लिए सेवाओं के डिजिटल समाधान तलाशने शुरू किए और वे सफल भी रहीं. कर्मचारियों और ग्राहकों के साथ जुड़ने के तरीके डिजिटल माध्यम में तलाशे गए और सफलता मिली.
आज के समय में हम अगर एक हवाई अड्डे की कार्यप्रणाली और वहां की सुविधाओं पर गौर करें तो पाएंगे कि वहां नवीनतम तकनीकों के साथ उनका डिजिटलीकरण भी हो गया है. इसकी वजह से विमानन क्षेत्र को काफी राहत मिली है.आज का आधुनिक यात्री या जिसे हम हवाई यात्री कहेंगे डिजिटल मूलनिवासी बन गया है. वह यात्री इंटरनेट की शक्ति और विभिन्न एप्स से लैस है. यात्रा के दौरान वे सहज वैयक्तिकृत अनुभव, त्वरित संचार एवं पारदर्शिता की अपेक्षा रखते हुए आगे बढ़ते हैं.
डिजिटल परिवर्तन है क्या?
डिजिटल सुविधाओं को समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि डिजिटल परिवर्तन है क्या? नागर विमानन उद्योग में कौन से डिजिटल रूझान है और प्रौद्योगिकियां काम में आती हैं. साथ ही इससे कौन-कौन से लाभ प्राप्त होते हैं. डिजिटल परिवर्तन किसी भी व्यवसाय के हर पहलू में डिजिटल प्रौद्योगिकी को एकीकृत करने, संचालन और ग्राहक मूल्य वितरण को बदलने की प्रक्रिया है.डिजिटल बदलाव को आगे बढ़ाने वाली प्रमुख तकनीकों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एवं मशीन लर्निंग सबसे आगे है. यह विमानन में हवाईजहाजों को पूर्वानुमानित रखरखाव को सक्षम करके एयरलाइंस ऑपरेटरों को परिचालन दक्षता और सुरक्षा बढ़ाने में मदद करते हैं. यह दृष्टिकोण अनियोजित डाउनटाइम और रखरखाव लागत को कम करता है. साथ ही विमानन में एआई चैटबोट और वर्चुअल असिस्टेंट की शक्ति भी प्रदान करता है. हवाई यात्री ग्राहक सेवा या यूं कहें कि संपर्क रहित ग्राहक सेवा को सुव्यवस्थित करता है. जिसके परिणामस्वरूप यात्रियों के संतुष्टि स्तर में सुधार होता है. साथ ही परिचालन लागत में भी कमी आती है.
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विमानन क्षेत्र में स्वचालन हवाईअड्डे के संचालन एवं दक्षता को बढ़ाता है एवं इसमें त्रुटि होने की संभावना ना के बराबर होती है. हवाई अड्डों के स्वचालित चेकइन, बैगेज हैंडलिंग सिस्टम और बायोमैट्रिक सुरक्षा जांच इसके उदाहरण हैं. इसकी मदद से यात्री प्रवाह को सुव्यवस्थित किया जा सकता है और प्री सिक्योरिटी, पासपोर्ट कंट्रोल, बोडिंग गेट और आगमन जैसे हाॅट-स्पाॅट पर प्रतीक्षा समय को कम किया जा सकता है. साथ ही इन डिजिटल तकनीकों से कर्मचारियों के कार्यभार को कम किया जा सकता, जिससे उन्हें काम में संतुष्टि मिलती है.
इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिए यात्रियों को मिली सुविधाएं
नई वितरण क्षमता यानी एनडीसी की मदद से टिकट बुकिंग के समय चाहे वो एजेंट के जरिए टिकट बना रहे हों या एयरलाइंस के जरिए उन्हें अपनी पसंद के अनुरूप सीट चयन की सुविधा मिलती है. साथ ही सामान की प्राथमिकता भी वे चुन सकते हैं. इंटरनेट ऑफ थिंग्स के जरिए यात्री कनेक्टिविटी, विमान के समय, विमान में देरी, ग्राहक सेवा समस्याओं का समाधान कर सकते हैं. साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा संचालित पूर्वानुमानित रखरखाव , विमान में संभावित समस्याओं की घटित होने से पहले जानकारी प्राप्त कर लेने से परिचालन दक्षता और लागत प्रबंधन में सुधार होता है.
क्वांटम कंप्यूटिंग द्वारा उन्नत कंप्यूटर बड़ी मात्रा में डेटा को संभाल कर रख सकता है. जिसका प्रयोग अति जटिल एयरोस्पेस चुनौतियों जैसे अनुकूलित वायु मार्ग योजना, सटीक मौसम पूर्वानुमान और बेहतर हवाई यातायात प्रबंधन से निपटने के लिए किया जाता है. इससे हवाई यातायात दक्षता को बढ़ावा मिलता है. इसी तरह ब्लाॅकचेन प्रौद्योगिकी के जरिए यात्री प्रणालियों में डेटा सुरक्षा को बढ़ाया जा सकता है और जालसाजी और धोखाधड़ी को कम करता है. इसके जरिए सुरक्षित लेनदेन संभव है.
बिग डेटा और एनालिटिक्स तकनीकें विमानन में स्मार्ट निर्णयों का मार्गदर्शन और दक्षता बढ़ाकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मोबाइल और क्लाउड प्रौद्योगिकी विभिन्न मोबाइल एप्स यात्रियों के लिए बुकिंग चेकइन और बोडिंग को सहज बनाता है. इसके अलावा मुद्रा रूपांतरण, मार्गदर्शन अनुवाद आदि में भी सहायता प्राप्त होती है. क्लाउड आधारित सिस्टम एयरलाइंस को अपनी आईटी क्षमताओं को कुशलतापूर्वक विस्तारित करने में मदद करता है. क्लाउड तकनीकी एयरलाइन विभागों में त्वरित डेटा साझाकरण और टीमवर्क की सुविधा प्रदान करता है जिसमें परिचालन अधिक लचीला और उत्तरदायी हो जाता है.
हवाई अड्डों के सामने नई चुनौतियां
समय के साथ हवाई अड्डों को नई चुनौतियां का भी सामना करना पड़ रहा है. जिसमें सुरक्षा, आतंकवाद, साइबर हमले स्वास्थ्य जोखिम जैसी महामारी आदि प्रमुख हैं. परिवहन के अन्य साधनों के साथ भी अब विमानन उद्योग की प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है. जैसा कि सर्वविदित है भारत जैसे देश में हवाई यात्रा को एक आम नागरिक तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. अत: इस योजना का नाम भी उड़ान योजना है. डिजिटल सुविधाओं को एक आम नागरिक के सामने रखना और एवं आशा करना कि वह इन ऑनलाइन सेवाओं को भरपूर लाभ ले, यह भी एक चुनौती ही है.
आनेवाले दिनों में हवाईअड्डे एवं विमानन से जुड़ी गतिविधियों में बड़े बदलाव आने वाले हैं. नई अवधारणाएं जैसे हरित हवाई अड्डे, वाटर एयरोड्रम, हवाई शहर, हेलीपोर्ट, ड्रोनपोर्ट हमारे सामने नई चुनौतियों के साथ नए अवसरों के दरवाजे भी खोलेंगे. भविष्य के हवाई अड्डे हमें एक अद्वितीय यात्रा अनुभव में डुबो देंगे. अत: डिजिटल प्रौद्योगिकियों का अधिकतम लाभ उठाने के लिए हवाई अड्डों को डिजिटल रणनीति अपनानी चाहिए. जो उनकी व्यावसायिक रणनीति एवं हितधारकों की जरूरतों के अनुरूप हो.
(लेखक रिटायर्ड एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एयर ट्रैफिक कंट्रोल हैं)
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