इस्कॉन को बांग्लादेश में बताया कट्टरपंथी, जानिए बुरे वक्त में स्टीव जॉब्स का पेट भरने वाली संस्था का इतिहास

Hindus in Bangladesh : बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है और अब वहां के अटॉर्नी जनरल ने इस्कॉन को कट्टरपंथी संस्था बताया है, जो पूरे विश्व में अपने सेवा कार्यों के लिए पहचानी जाती है. स्टीव जॉब्स जैसे लोग इस संस्था से अपने खराब दौर में मदद ले चुके हैं. वे इस संस्था के भोजन और विचार दोनों से काफी प्रभावित थे. इस्कॉन के प्रवक्ता राधारमण दास का कहना है कि हम भजन-कीर्तन करने वालों को कट्टरपंथी कहना दुखद है.

By Rajneesh Anand | November 28, 2024 7:07 AM

Hindus in Bangladesh : बांग्लादेश में हिंदू एक बार फिर निशाने पर हैं. बांग्लादेश के अटॉर्नी  जनरल ने बुधवार को हाईकोर्ट में यह कहा है कि इस्कॉन एक कट्टरपंथी संगठन है. इस्कॉन को बैन करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान अटॉर्नी  जनरल ने कोर्ट में यह बात कही. उन्होंने कहा कि यह एक धार्मिक संगठन है, जिसकी जांच पहले से ही सरकार कर रही है. इस्कॉन पर प्रतिबंध की मांग तब उठी है, जब उनके देश में हिंदू धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा है.

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी क्यों हुई?

चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश में इस्कॉन के पूर्व प्रमुख थे. जब से बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हुआ है, हिंदुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं. हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ चिन्मय कृष्ण दास हमेशा आवाज उठाते रहे हैं. हालांकि उनका प्रदर्शन हमेशा शांतिपूर्ण रहा, बावजूद इसके उनकी गिरफ्तारी हो गई है. इतना ही नहीं उन्हें जेल भी भेज दिया गया है. चिन्मय कृष्ण दास पर राष्ट्रद्रोह का केस दर्ज किया गया है. एक हिंदू पुजारी के खिलाफ इस तरह देशद्रोह का केस दर्ज करने पर भारत की ओर से तीखी प्रतिक्रिया थी दर्ज की गई है.

बांग्लादेश में कट्टरपंथी हावी

चिन्मय दास की गिरफ्तारी का विरोध करने पर हिंदुओं पर हुए हमले

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार और उनके धार्मिक स्थलों को निशाने पर लेना कोई नई बात नहीं है. इस तरह के मामले वहां पहले भी होते रहे हैं, लेकिन सत्ता से बेदखल की गईं प्रधानमंत्री शेख हसीना की नीतियों की वजह से वहां हिंदुओं पर अत्याचार कम हुआ था. शेख हसीना अब वहां प्रधानमंत्री नहीं हैं और कट्टरपंथ एक बार फिर वहां हावी हो रहा है.

क्या है इस्कॉन, जो बांग्लादेशी कट्टरपंथियों के निशाने पर है?

इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस यानी इस्कॉन एक धार्मिक संगठन है. इस संगठन को हरे कृष्ण आंदोलन के रूप में भी जाना जाता है. यह एक गौड़ीय वैष्णव हिंदू धार्मिक संगठन है. गौड़ीय वैष्णव उनलोगों को कहते हैं, जिनका यह मानना है कि भगवान कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार नहीं उनका मूल रूप या स्रोत हैं. इस्कॉन की स्थापना एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने 13 जुलाई 1966 को किया गया था.  इस्कॉन का मुख्यालय पश्चिम बंगाल के मायापुरी में है.  दुनिया भर में इसके लगभग 1 मिलियन सदस्य हैं, ऐसा दावा संस्था की वेबसाइट पर किया गया है. 
इस्कॉन के सदस्य एकेश्वरवादी हिंदू धर्म के एक अलग रूप का पालन करते हैं, जो हिंदू धर्मग्रंथों पर आधारित है जिसमें भगवद गीता और भागवत पुराण सर्वप्रमुख है. हरे कृष्ण इनका मूल मंत्र है और विश्व के कई देशों में इसकी शाखाएं हैं. इस्कॉन मुख्यत: धार्मिक और सामाजिक कार्यों से जुड़ा है और इसके सदस्य सेवा भाव को सर्वोपरि मानते हैं.

पूरा विश्व जानता है इस्कॉन कैसी संस्था है:  राधारमण दास

बाढ़ के दौरान बांग्लादेश में राहत सामग्री बांटते इस्कॉन के सदस्य

राधारमण दास, प्रवक्ता इस्कॉन मुख्यालय मायापुरी का कहना है कि इस्कॉन जैसी संस्था को कट्टरपंथी बताना बहुत ही दुख है. पूरा विश्व जानता है कि इस्कॉन कैसी संस्था है. हमारे ऊपर एक आधारहीन आरोप लगाना चिंता का विषय है. जब बांग्लादेश में हमारे मंदिरों पर हमला हुआ और हमारे एक भक्त की जान भी चली गई, तब भी विश्व भर में जो प्रदर्शन हुए वे भजन-कीर्तन के रूप में हुए. मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं कि भजन-कीर्तन वालों से किसे क्या भय हो गया है? हमारी संस्था सेवा भावना से जुड़ी है, तभी तो स्टीव जॉब्स जैसे लोग हमारे यहां आकर भोजन करते थे. वो भी तब,जब उनके पास पैसे नहीं थे. वे हमारी किताबों से प्रभावित थे. हमने मानव में कोई फर्क नहीं किया.

Also Read :45 हजार मौतों के बाद सीजफायर, क्या है इजरायल और हिजबुल्लाह का गेमप्लान

संभल के जामा मस्जिद का क्या है सच ? जानिए क्या है इतिहासकारों की राय

विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें

चिन्मय दास जी के साथ जो कुछ हुआ है वह दुर्भाग्यपूर्ण है. बांग्लादेश में हिंदू तब सड़कों पर उतरे थे जब उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा था. वे चाह भी क्या रहे थे, सुरक्षा और दुर्गा पूजा में अवकाश. इसके लिए भी अगर वे अपनी सरकार से मांग नहीं कर सकते. उनपर देशद्रोह का केस दर्ज करना बहुत ही निराश करने वाला है. बांग्लादेश में हमारे 110 सेंटर हैं और आठ जगहों पर मंदिर हैं, जिनमें ढाका और चटगांव भी शामिल है. वहां ऐसा कुछ भी नहीं होता जिसे कट्टरपंथ से जोड़ा जाए. 

सेवा हमारा धर्म, कट्टरपंथ से हमारा क्या वास्ता : नंदगोपाल दास

पटना इस्कॉन के प्रवक्ता नंदगोपाल दास ने कहा कि हम यह मानते हैं कि आत्मा सर्वोपरि है. हम आत्मा पर काम करते हैं. शरीर में भिन्नता होती है आत्मा में नहीं. सेवा हमारा धर्म है, हमारा कट्टरपंथ से क्या लेना-देना. हम स्कूल चलाते हैं, भूखों को भोजन कराते हैं और प्राकृतिक आपदाओं में सेवा करते हैं. जो हमें कट्टरपंथी कह रहे हैं, दरअसल वही लोग कट्टरपंथी हैं. बांग्लादेश में चिन्मय दास की गिरफ्तारी की हम भर्त्सना करते हैं. यह सनातन धर्म के लोगों पर अत्याचार है.

कट्टरपंथियों का असली चेहरा सामने आया : डॉ धनंजय त्रिपाठी

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ धनंजय त्रिपाठी का कहना है कि जब बांग्लादेश में आरक्षण की आग सुलग रही थी और सत्ता परिवर्तन हुआ, उसी वक्त यह पता लग गया था कि वहां कट्टरपंथी हावी होंगे. उस वक्त यह बताया गया कि सत्ता परिवर्तन जनता के आक्रोश का नतीजा है, बेशक यह बात सही थी लेकिन उस आक्रोश को हवा कट्टरपंथी दे रहे थे. जनता को भड़काने और भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देने के काम में जमात की बड़ी भूमिका है, जो वहां की एक कट्टरपंथी राजनीतिक पार्टी है. बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार पहले भी होते थे, लेकिन शेख हसीना की पाॅलिसी की वजह से उनपर अंकुश लगा होता था, लेकिन अब कट्टरपंथियों का चेहरा बेनकाब हो गया है. हिंदुओं पर अत्याचार होने से भारत में बांग्लादेश के खिलाफ माहौल बनेगा, हालांकि यह उनकी डोमेस्टिक पॉलिटिक्स है, लेकिन उसका असर हमारे देश की सरकार पर भी पड़ेगा इसमें कोई दो राय नहीं है.

Also Read : Bangladesh Protests : बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ अब क्या होगा?

Next Article

Exit mobile version