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Historical Place in Hazaribagh: गोंडवाना लैंड का हिस्सा है दुधिया नाला, जहां डायनासोर से पुराने जीवों के जीवाश्म होने के संकेत मिले

जीएसआइ के उपमहानिदेशक अखौरी विश्वप्रिया बताते हैं कि दुधियानाला अपने-आप में एक विशिष्ट साइट हो गया है, झारखंड में इससे पुराने जीवाश्म होने के संकेत और कहीं नहीं मिले है. यहां अभी कोयले का खनन भी हो रहा है. उन्होंने कहा कि दुधिया नाला में मिले संकेत कई बातें बताती है.

-मनोज सिंह, रांची-

Historical Place in Hazaribagh: हजारीबाग जिले के दुधिया नाला में वैज्ञानिकों को डायनासोर से पहले के जीवों होने के संकेत मिले हैं. जो इस क्षेत्र को पुरातात्विक दृष्टि से अत्यंत महत्वपुर्ण बना रहा है. जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (JSI) इस खोज के संरक्षण और प्रचार- प्रसार के लिए विशेष प्रयास कर रहा है. जीएसआइ ने इस ऐतिहासिक खोज से संबंधित डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की है. इसमें दुधिया नाले के जियोलॉजिकल इतिहास को विस्तार से बताया गया है.

गोंडवाना लैंड का हिस्सा है दुधिया नाला

भारत सरकार के खान मंत्री जी किशन रेड्डी नें इस तरह के पौराणिक स्थलों के संरक्षण का निर्देश दिया है. इसे जियो टूरिज्म सेंटर के रुप में विकसित करने को कहा है. यह साइट रामगढ़ जिले के पतरातू से 20 किलेमीटर दूर मांडू के पास है. जीएसआइ के उपमहानिदेशक अखौरी विश्वप्रिया बताते हैं कि दुधियानाला अपने-आप में एक विशिष्ट साइट हो गया है, झारखंड में इससे पुराने जीवाश्म होने के संकेत और कहीं नहीं मिले है. यहां अभी कोयले का खनन भी हो रहा है. उन्होंने कहा कि दुधिया नाला में मिले संकेत कई बातें बताती है. यहां की पत्थरें हमें कई सूचनाएं देती है. बताया जाता है कि यहां कभी ग्लेशियर हुआ करता था. यह इलाका गोंडवाना लैंड का हिस्सा था. इसके बाद कई भूवैज्ञानिक धटनाएं हुई है. यह धटना उस समय की है जब सारी भूमि बर्फ से ढकी थी. कुछ धटनाओं के कारण ग्लेशियर की घाटियों में गहरी दरार आ गयी थी. उस समय यह इलाका अंटार्कटिका और भारत तक फैला हुआ था. कहा जाता है कि यहां भारत प्रायद्वीप के निगलनेवाले अंतिम महान हिमयुग के प्रमाण देखने को मिले है.

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दुधिया नाला का महत्व

दुधिया नाला एक प्रकार का संगम है. यहां तीन प्रकार की भू वैज्ञानिक संरचनाएं है. इसमें तालचिर, करहरबारी और बराकर है. यहां का तलछट आगे बढ़ने, पीछे हटने और स्थिर ग्लेशियरों और हिमनदों से जमा होने के संकेत देते है. दुधिया बोकारो बेसिन प्री कैम्ब्रियन के ऊपर स्थित है. प्री कैम्ब्रियन को ग्रेनाइट द्वारा दर्शाया गया है. यहां बलुआ पत्थर और स्ल्टिस्टोन विकल्प में दिखता है. इंद्रा और जारवा गांवों के पूर्व और दक्षिण-पूर्व में यह स्थित है. इसके लगभग 3.5 किमी की दूरी तक करहरबारी संरचना दिखती है.

विकास और संरक्षण के लिए प्रशासन का प्रयास

इस क्षेत्र का स्वामित्व और रखरखाव स्थानीय प्रशासन के पास है. स्थानीय प्रशासन और जीएसआई मिलकर इस क्षेत्र के संरक्षण और विकास के लिए कार्य कर रहे हैं. जियो टूरिज्म सेंटर के रुप में इसका विकास इस क्षेत्र को पर्यटन के नक्शे पर महत्नपूर्ण स्थान दिला सकता है. जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा.

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