Table of Contents
History of Munda Tribes : नागवंशियों की परंपरा के अनुसार मुंडा राजा मदरा मुंडा के उत्तराधिकारी फणिमुकुट राय, नागवंशियों के पहले राजा हुए. उन्होंने मुंडा समाज की शासन व्यवस्था के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं और उन्हें उसी तरह चलने दिया. कुछ बदलाव उन्होंने नामों में किया. नागवंशी राजाओं ने अन्य जातियों के लोगों को छोटानापुर में बसाने का काम किया, जिसमें कायस्थ जाति को दीवान बनाकर छोटानागपुर में बसाने का उल्लेख इतिहासकार वीरोत्तम करते हैं. फणिमुकुट राय का विवाह पंचेत के गोवंशी राजपूत घराने की राजकुमारी से हुआ था.
कब हुआ था फणिमुकुट का राज्याभिषेक
नागवंशी परंपरा की मानें तो छोटानागपुर में नागवंशियों का शासनकाल पहली शताब्दी से ही शुरू हो जाता है. लेकिन इतिहासकर बालमुकुंद वीरोत्तम ने अपनी किताब झारखंड : इतिहास एवं संस्कृति में लिखा है कि नागवंशियों का यह दावा सही नहीं जान पड़ता है. वे लिखते हैं कि नागवंशियों के कुर्सीनामे में कुछ राजाओं का शासनकाल असाधारण रूप से बड़ा बताया जाता है. जिसमें यह कहा जाता है कि फणिमुकुट राय ने 94, मुकुट ने 55, उदय ने 60, मोहन ने 58 और रघुनाथ ने 60 तक की आयु में औसतन 29 साल तक शासन किया. बालमुकुंद वीरोत्तम लिखते हैं कि कुशान और गुप्तकालीन ऐतिहासिक स्रोतों में इस राजवंश का जिक्र नहीं मिलता है. रांची जिला के गजेटियर ने इन राजाओं के शासनकाल को औसतन 25 साल का मानते हुए यह माना है कि नागवंशियों के शासनकाल की शुरुआत चौथी शताब्दी में हुई होगी. लेकिन इस तिथि को भी वीरोत्तम ने खारिज करते हुए लिखा है लिखा है कि समुद्रगुप्त ने प्रयाग प्रशस्ति में इस इलाके का जिक्र मुरुंड के रूप में किया है. अगर उस काल में नागवंशी यहां होते तो समुद्रगुप्त के प्रयाग प्रशस्ति में उनका जिक्र होता.बालमुकुंद जे रीड के सर्वे और गजेटियर का जिक्र करते हुए कहते हैं कि नागवंशी राज्य की स्थापना 10वीं शताब्दी में हुई होगी.
प्रताप उदयनाथ शाही देव थे नागवंशियों के 61वें महाराजा
शरतचंद्र राय ने अपनी किताब The Mundas and Their Country में लिखा है कि वर्तमान राजा प्रताप उदयनाथ शाही देव नागवंशियों के 61वें महाराजा थे, इस हिसाब से प्रत्येक राजाओं के शासनकाल को औसतन 23 वर्ष का मानने से कुल अवधि 1525 वर्ष की होती है, जो 384 ईसवी के आसपास की बताई जाती है. इस लिहाज से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि नागवंशियों का शासनकाल चौथी शताब्दी से शुरू हुआ माना जा सकता है.
इसे भी पढ़ें :History of Munda Tribes 9 : मुंडा से नागवंशियों के हाथों में सत्ता हस्तांतरण का कालखंड था राजा मदरा मुंडा का शासनकाल
विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें
नागवंशी कौन थे?
नागवंशी परंपरा के अनुसार पुंडरीक नाग और वाराणसी की ब्राह्मण कन्या पार्वती के पुत्र थे फणिमुकुट राय, जिन्हें मुंडा राजा मदरा मुंडा ने अपना दत्तक पुत्र मानकर उसका लालन-पालन अपने पुत्र मुकुट के साथ किया था. चूंकि फणिमुकुट, मुकुट से ज्यादा मेधावी और प्रतिभाशाली था, इसलिए मदरा मुंडा ने अपने राज्य के प्रमुख लोगों से सलाह करके उसे राजा बना दिया. इस बात को समाज के लोग स्वीकार करते हैं और इस बात को आदर्श स्थिति मानते हैं कि एक राजा ने अपने समुदाय का हित देखते हुए दूसरे कुल के व्यक्ति को अपनी सत्ता सौंप दी. हालांकि इस बात से नाराजगी आम लोगों में थी, लेकिन अपनी प्रशासकीय व्यवस्था से बंधे लोगों ने इसका विरोध नहीं किया.हां, यह बात जरूर सामने आती है कि मुंडा समाज के लोगों का नागवंशी राजाओं ने भरपूर सम्मान किया और उनकी जो पड़हा शासन व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया और उन्होंने अपना ध्यान राज्य के कामकाज में लगाया. फणिमुकुट को मदरा मुंडा का उत्तराधिकारी स्वीकार करने के साथ ही छोटानागपुर में एक नए राजवंश की स्थापना हुई, जिसने पूरे राज्य को एकत्र किया और पड़हा से ऊपर राज्य को स्थापित किया. कर्नल डाल्टन नागवंशियों को कोल वंश का मानते हैं, लेकिन फादर एफए ग्रिगनार्ड उन्हें चेरो परिवार की एक शाखा बताते हैं.
इसे भी पढ़ें : History of Munda Tribes 8 : मुंडा समाज में मौजूद हैं दो शाखाएं, लोककथाओं में मिलते हैं प्रमाण
FAQ : पहले नागवंशी राजा कौन थे?
फणिमुकुट राय को पहला नागवंशी राजा माना जाता है.
पुंडरीक नाग से किस राजवंश का इतिहास जुड़ा है?
नागवंशी राजवंश