History of Munda Tribes 9 : मुंडा से नागवंशियों के हाथों में सत्ता हस्तांतरण का कालखंड था राजा मदरा मुंडा का शासनकाल

History of Munda Tribes : छोटानागपुर पर 2000 साल तक शासन करने वाले नागवंशी राजाओं का मुंडा आदिवासियों से अटूट संबंध है. मुंडा जनजाति का दावा है कि अगर वे नागवंशियों की सभा में चले जाएं, तो राजा भी अपनी कुर्सी छोड़कर उठ जाते हैं. प्रचलित कथाओं की मानें तो नागवंशी राजा का मुंडाओं के प्राचीन निवास सुतियांबे से गहरा संबंध है.

By Rajneesh Anand | January 8, 2025 5:31 PM
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Munda Tribes of Jharkhand : झारखंड के छोटानागपुर में मुंडा कब आए और किस रास्ते से आए, इसपर विवाद अबतक नहीं सुलझ पाया है. वजह साफ है लिखित इतिहास का अभाव, लेकिन इस बात पर इतिहासकार और मुंडा जनजाति भी सहमत है कि रीसा मुंडा के नेतृत्व में 21 हजार मुंडा छोटानागपुर आए और यहां रीसा मुंडा और उनके अनुयायियों ने अपना साम्राज्य स्थापित किया. इन्होंने यहां अपनी सुविधानुसार जंगलों को साफ करके अपना आशियाना बसाया और यहां एक सुसंगठित शासन व्यवस्था भी कायम की. पिछले अंकों में यह जानकारी दी गई है कि किस तरह रीसा मुंडा के अनुयायियों ने यहां अपने गांव बसाए और एक सुदृढ़ शासन व्यवस्था भी कायम की.

रीसा मुंडा के उत्तराधिकारी थे सुतिया मुंडा   

शरत चंद्र राय ने अपनी The Mundas and Their Country में जिक्र किया है कि 6ठी शताब्दी ईसा पूर्व तक मुंडा छोटानागपुर में बस गए थे.रीसा मुंडा उनके पहले नेता माने जाते हैं. उसके बाद सुतिया मुंडा ने अपने लोगों का नेतृत्व किया. सुतिया मुंडा ने ही सुतिया नागखंड का निर्माण किया था. सुतिया मुंडा ने अपने राज्य को सात खंडों में बांटा जिसे गढ़ कहा जाता है और सातों गढ़ों को 21 परगना में विभाजित किया गया. बालमुकंद वीरोत्तम ने अपनी किताब झारखंड: इतिहास एवं संस्कृति में इन गढ़ों के नामों का जिक्र किया है. वे लिखते हैं कि सुतिया मुंडा ने अपने राज्य को इन सात गढ़ों में बांटा-

  • लोहागढ़ (लोहरदगा)
  • हजारीगढ़ (हजारीबाग)
  • पालुनगढ़(पलामू)
  • मानगढ़(मानभूम)
  • सिंहगढ़(सिंहभूम)
  • केसगलगढ और सुरगुगगढ़ (सुरगुज्जा)

ये सात गढ़ इन 21 परगना में विभाजित थे

  • ओमदंडा
  • दोइसा
  • खुखरा
  • सुरगुजा
  • जसपुर
  • गंगपुर
  • पोरहट
  • गिरगा
  • बिरूआ
  • लचरा
  • बिरना
  • सोनपुर
  • बेलखादर
  • बेलसिंग
  • तमाड़
  • लोहारडीह
  • खरसिंग
  • उदयपुर
  • बोनाई
  • कोरया
  • चंगमंगकर

सुतिया मुंडा के बाद आए मदरा मुंडा

मुंडा जनजाति में राजा तो थे, लेकिन उनका रहन-सहन आम लोगों की तरह ही था. मुंडा राज्य स्थापित होने के बाद इनके कितने राजा या महाराजा हुए इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता है. लेकिन मुंडा जनजाति के बीच रीसा मुंडा, सुतिया मुंडा और मदरा मुंडा का बहुत सम्मान है. वे इन्हें अपने पालक पुरखे के रूप में पूजते हैं. सुतियांबे पहाड़ पर तीन पत्थर भी हैं, जिन्हें मुंडा अपने इन तीन नेताओं के रूप में पूजते हैं. मदरा मुंडा का इतिहास में इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि इनके बाद ही नागवंशियों राजाओं का कालखंड शुरू होता है. मुंडा समाज में यह काल सत्ता के हस्तांतरण का समय था. मदरा मुंडा को अंतिम मुंडा राजा माना जा सकता है, क्योंकि उनके बाद मुंडाओं के राजा फनिमुकुट राय हुए जिनसे नागवंशी साम्राज्य की शुरुआत हुई. नागवंशी साम्राज्य को समझने के लिए हमें पौराणिक कथाओं में जाना पड़ेगा.

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नागवंशियों से जुड़ी क्या है पौराणिक कथा

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नागवंशी राजाओं के इतिहास को समझने की कोशिश करते हुए आपको पौराणिक कथाओं का रुख करना पड़ेगा जब राजा जनमेजय ने नाग यज्ञ कराया था. राजा जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मौत का बदला लेने के लिए यह यज्ञ कराया था. इस यज्ञ के जरिए नागों को समाप्त किया जा रहा था, उसी दौरान पुंडरीक नामक नाग भागकर बनारस चला गया और वहां इंसान बनकर रहने लगा. वहां पुंडरीक नाग ने पार्वती नामक ब्राह्मण कन्या से विवाह कर लिया. एक दिन पार्वती ने अपने पति को सोते हुए देखा, तो उसने पाया कि उसके पति का जीभ दो भागों में बंटा है. उसने अपने पति से इस बारे में पूछा, लेकिन पुंडरीक ने बात को टाल दिया. कुछ समय बाद दोनों पुरी जा रहे थे. उसी दौरान सुतियांबे के पिठौरिया गांव के पास आराम करने के लिए रूके. तब पार्वती ने एक बार फिर उनसे वह रहस्य जानना चाहा, तो पुंडरीक ने सच्चाई बता दी और अपने असली स्वरूप में आकर तालाब में समा गया. यह सबकुछ देखकर पार्वती घबरा गई और उसका प्रसव वहीं पर हो गया. इसके बाद वह सती हो गई. जब पार्वती सती हो गई तो पुंडरीक फिर प्रकट हुए और बच्चे की रक्षा करने लगे, उसी वक्त एक शाकद्वीपीय ब्राह्मण उधर से जा रहा था. पुंडरीक नाग ने वह बच्चा उन्हें सौंप दिया और कहा कि यह बच्चा आगे चलकर इस क्षेत्र का राजा बनेगा. उन्होंने उस ब्राह्मण को यह भी कहा कि वे ही उसके राजपुरोहित होंगे. नागवंशियों की परंपरा के अनुसार यह 104ई की थी. नागवंशियों के पुरोहित आज भी शाकद्वीपीय ब्राह्मण ही होते हैं.

मदरा मुंडा ने दत्तक पुत्र थे फणिमुकुट राय

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से यह कहानी काल्पनिक प्रतीत होती है, लेकिन इस बात पर इतिहासकार भी एकमत हो जाते हैं कि मदरा मुंडा ने एक बच्चे को गोद लिया था और आगे चलकर उसी बालक ने मदरा मुंडा की विरासत को संभाला. उस बच्चे का नाम फणि मुकुट राय था. नागवंशियों के वंशावली में फणिमुकुट राय को उनका पहला राजा माना जाता है. यहां जो बात गौर करने वाले वाली है, वह यह है कि मदरा मुंडा ने जिस वक्त फणिमुकुट राय को गोद लिया, उस वक्त उनकी अपनी संतान भी उसी आयु की थी. ऐसे में आखिर क्यों मदरा मुंडा ने अपनी संतान की बजाय एक दत्तक पुत्र को अपनी सत्ता सौंपी, यह बड़ा सवाल है?

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नागवंशी साम्राज्य के पहले राजा कौन थे?

फणिमुकुट राय नागवंशी साम्राज्य के पहले राजा थे.

कथाओं के अनुसार फणिमुकुट राय के पिता कौन थे?

फणिमुकट राय के पिता पुंडरीक नाग थे.

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