Heat Wave: झारखंड में इन दिनों हीट वेव को लेकर अलर्ट जारी किया जा रहा है. इस बीच मौसम विभाग की ओर से 11 जिलों में हीट वेव का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. अगले 3 दिन तक लोगों को प्रचंड गर्मी झेलनी पर सकती हैं. ऐसे में हीट वेव से बचने के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक, फिजिशियन और डायटिशियन द्वारा प्रमाणित घर में अपनाए जाने वाले कुछ नुस्खों को जानेंगे. हीट वेव तीन फेज में हेता है, जिसमें हीट क्रैम्प, हीट एग्जॉशन और हीट स्ट्रोक यानि लू लगना शामिल है.
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हीट क्रैम्प – हीट वेव का पहला फेज हीट क्रैम्प होता है जो बहुत बेसिक होता है. इससे शरीर की ऐंठन होने लगती है. साथ ही शरीर में दर्द भी शुरू होने लगता है. इसका उपचार घर पर ही किया जा सकता है.
हीट एग्जॉशन – यह हीट वेव का दूसरा फेज होता है, जिसमें थकान महसूस करने के साथ ही उच्च तापमान और आर्द्रता जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं. इसमें शरीर का तापमान 101-104 डिग्री फारेनहाइट तक बढ़ जाता है.
अगर इसके मुख्य लक्षण की बात करें तो सिरदर्द, उलटी, बढ़ी हुई प्यास, सामान्यीकृत कमजोरी, मांसपेशियों में दर्द या ऐंठन, उत्तेजित और चिंतित महसूस करना शामिल है. हीट वेव के हीट एग्जॉशन में कुछ लोग बेहोश भी हो सकते हैं.
हीट स्ट्रोक – यह हीट वेव का लास्ट फेज होता है. यह घातक स्थिति लंबे समय तक गर्मी के संपर्क या शारीरिक परिश्रम के परिणाम के बाद बन सकती है. हीट स्ट्रोक तब होता है जब शरीर का मुख्य तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट यानी 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक तक पहुंच जाता है. अगर इसके लक्षण की बात करें तो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की कमी, लाल हो गई शुष्क त्वचा, पसीने की कमी, अंग विफलता, दिल का दौरा आदि शामिल है. इससे मल्टी ऑर्गन फेल्योर की आशंका बनी रहती है.
हीट वेव से बचने के लिए कुछ उपाय
- हर घंटे एक कप पानी पिएं.
- शराब के सेवन से बचें.
- तापमान की निगरानी. गर्मी में आपका शरीर कैसा काम कर रहा है, इसकी निगरानी ने के अन्य तरीकों में आपके मूत्र के रंग की जांच करना शामिल है – गहरे पीले रंग के मूत्र का मतलब है कि आपके शरीर को हाइड्रेट करने की जरूरत है. धूप में बाहर निकलने पर बहुत पसीना आता है, लेकिन अगर पसीना कम हो जाए तो यह डिहाइड्रेट होने का एक और संकेत है.
क्या कहता है आयुर्वेद
प्रभात खबर से बात करते हुए वैध डॉ. वेंकटेश कात्यायन पांडेय बताते हैं कि गर्मी में प्याज का इस्तेमाल ज्यादा करें. तैलीय चीजों का इस्तेमाल कम कर दें. पानी पर्याप्त मात्रा में ले. लस्सी का सेवन करें. पुदीना का पानी पिएं. गर्मी बढ़ने से पाचन कम हो जाता है. तैलीय चीजों का इस्तेमाल कम करें. तरल भोजन ज्यादा लें. ज्यादा परिश्रम न करें. बीच-बीच में ओआरएस का घोल लेते रहे. बढ़ती गर्मी से बीपी लो होने लगता है. ऐसे में सीजनल फ्रूट्स लेते रहना चाहिए. किचेन में काम करने वाली महिलाओं को समय – समय पर पानी लेते रहना चाहिए. गर्मी से लोग बेहोश भी हो जाते हैं.
“बदलते मौसम में अपने शरीर की रक्षा करना चाहिए ताकि हम बीमार न पड़े.”
डॉ. वेंकटेश कात्यायन पांडेय, मेडिकल ऑफिसर, झारखंड सरकार
क्या कहते हैं फिजिशियन
रिम्स के डॉ. विद्यापति ने प्रभात खबर से बात करते हुए बताया कि गर्मी में निकलने से पहले घर में नींबू,पानी नमक और चीनी मिश्रित शर्बत पीनी चाहिए, छाछ या मट्ठा भी ले सकते हैं. प्याज खाने का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है. फ्ल्यूड और एलेक्ट्रोलाइट का सेवन बढ़ा देना चाहिए. बॉडी का एक टेंपरेचर होता है, अगर उससे ऊपर गया तो दिक्कत होगी या इससे नीचे गयी तब भी दिक्कत होगी. ऐसे में शरीर के तापमान को मेंटेन रखना चाहिए. धूप में कम से कम निकलना चाहिए. बॉडी में पानी और नमक की कमी को कभी कम नहीं होने देना चाहिए.
“अपने आप को हीट वेव से बचाकर रखें, धूप में ज्यादा न निकलें. अगर ज्यादा जरूरी है तो अपने शरीर को ढंक कर ही निकलें.”
डॉ. विद्यापति, रिम्स
क्या हैं डायटिशियन की राय
प्रभात खबर से बात करते हुए सरोज श्रीवास्तव बताती हैं कि कुछ फूड्स कूलिंग एजेंट का काम करते हैं. नींबू-पानी, सत्तू -पानी, जूसी फ्रूट्स बॉडी को हाइड्रेट रखने में मददगार साबित होते हैं. ये सारी चीजें पेट को ठंडा रखने में मदद करने के साथ ही हीट वेव में भी काफी ज्यादा मदद करती हैं. नारियल पानी या सफेद प्याज का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए.
ध्यान देने वाली बात यह है कि कार्बोनेटेड ड्रिंक्स को गर्मी के मौसम में नहीं लेना चाहिए. ये हमारे शरीर से पानी को डिहाड्रेट कर देता है. इसके साथ ही चाय का सेवन भी नहीं करना चाहिए. हो सके तो ग्रीन टी ले सकते हैं, वो भी दिन भर में दो कप से ज्यादा नहीं. स्पाईसी फूड और नॉनवेज आइटम को गर्मी के मौसम में कम लेना चाहिए. कार्बोनेटेड ड्रिंक्स के बदले कूलिंग हर्ब ले सकते हैं. जैसे कि पुदीना-पानी, जीरा-पानी, इत्यादि.
“गर्मी में खुद को हाइड्रेट रखिए. 3 से 4 लीटर पानी जरूर पीजिए. पानी नहीं पी पाते हैं तो पुदीना का पानी पीजिए. संतरा का पानी पीजिए. फ्रूट सेक लीजिए. अपने आप को रिहाइड्रेट कीजिए.”
सरोज श्रीवास्तव, डायटिशियन, ऑर्किड मेडिकल सेंटर