How Old is Vaidyanath Temple: वैद्यनाथ मंदिर के वरुण कलश पर लिखे श्लोक खोल सकते हैं शोध के नए द्वार 

सावन में देवघर के बाबा वैद्यनाथ की महिमा का प्रसाद पाने के लिए भक्तों में होड़ लगी रहती है. इस मंदिर के शीर्ष पर स्थित वरुण कलश पर लिखे दो श्लोक संस्कृत के प्राचीन अभिलेखों में से हैं. जानिए यह अभिलेख सभ्यता के इतिहास पर शोध का नया द्वार कैसे खोल सकता है..

By Mukesh Balyogi | August 19, 2024 7:09 AM

How Old is Vaidyanath Temple: देवघर में वैद्यनाथ मंदिर के परिसर में प्रवेश करते ही भक्तों की आंखें बाबा के तेज की तलाश में ऊपर की ओर ओर चली जाती है. नीले गगन के नीचे वैद्यनाथ मंदिर के शीर्ष पर जाकर दृष्टि ठिठकती है. वहां एक स्वर्ण कलश स्थित है. बहुत कम लोग जानते हैं कि उस वरुण कलश पर संस्कृत के दो श्लोक भी लिखे हैं. वह भी देवनागरी लिपि में. 

 दुमका स्थित सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग के अध्यक्ष धनंजय मिश्रा प्रभात खबर से कहते हैं कि यहां अंकित श्लोक निश्चित रूप से इतिहास में शोध का नया द्वार खोल सकते हैं. वरुण कलश पर अंकित अभिलेख केवल इस राज्य के लिये ही नहीं अपितु पूरे राष्ट्र के लिए महत्त्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि पंडित अनूप कुमार वाजपेयी लिखित विश्व की प्राचीनतम सभ्यता पुस्तक में इस पर काफी प्रकाश डाला गया है. यह पुस्तक मल्टीडिसिप्लीनरी रिसर्च एवं संस्कृतनिष्ठ शोधप्रारूपक के रूप में स्वीकृत सहायक सामग्री के अध्ययन हेतु सिदो कान्हू  मुर्मू विश्वविद्यालय के स्नाकोत्तर संस्कृत पाठ्यक्रम में शामिल है.

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how old is vaidyanath temple: 2067 साल पहले स्थापित हुआ वरुण कलश 

 वैद्यनाथ मन्दिर के शीर्ष पर जड़ित स्वर्णिम वरुण-कलश अपने स्थापनाकाल का अभिलेख भी है. ईसा पूर्व 43 में उस कलश को मन्दिर पर जड़वाया गया था. पुरातत्त्वविद् पंडित अनूप कुमार वाजपेयी के मुताबिक इस कलश-स्थापना के 2067 साल पूरे हो चुके हैं.

    पंडित वाजपेयी ने प्रभात खबर से कहा कि श्रावण शुक्ल पंचमी जो नाग पंचमी के नाम से जानी जाती है, उस दिन विक्रम संवत् 14 को यह कलश मन्दिर पर जड़वाया गया था. इस बात की जानकारी उस कलश पर देवनागरी लिपि में अंकित दो श्लोकों से मिलती है। ऐसे में यह अभिलेख निश्चित रूप से प्राचीनतम है.

   पंडित वाजपेयी ने कहा कि श्लोकों की भाषा संस्कृत है और संस्कृत की विशेष शैली में ही इसे लिखा गया है. मैंने अपनी पुस्तक “विश्व की प्राचीनतम सभ्यता” में विशेष रूप से इसे प्रस्तुत करने का प्रयास किया है.

वाजपेयी ने कहा कि अबतक मान्य संस्कृत भाषा का प्राचीनतम अभिलेख(151 ई. का) जो जूनागढ़ में प्राप्त हुआ, जिसे रुद्रदमन या रुद्रदामा नाम से जाना जाता है, वह ब्राह्मी लिपि में है, पर देवनागरी लिपि में लिखित इस वरुण-कलश की प्राचीनता स्वयंसिद्ध है. इससे वैद्यनाथ मन्दिर की भी प्राचीनता प्रमाणित होती है. इसपर अनागत काल में तथ्यपरक नवीन तथ्यों को उपस्थापित करने की योजना है, जिससे अनेक मान्यताओं में परिवर्तन संभावित है.

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