वेब सिरीज ‘IC814: द कंधार हाईजैक’ के आने के बाद विवादों की झड़ी लगी हुई है. आरोप है कि वेब सिरीज के निर्माता ने जानबूझकर हाईजैकर्स के असली नाम छिपाए. सोशल मीडिया पर भी नामों को लेकर जंग छिड़ी हुई है. लेकिन हाईजैक में जिन पांच आतंकियों के नामों की चर्चा है, वो ही इस घटना के मुख्य किरदार नहीं थे. 1999 के इस चर्चित हाईजैक कांड में पर्दे के पीछे भी कई नाम शामिल थे. जिनका खुलासा कई मीडिया रिपोर्ट और बाद में लिखी गई किताबों में हुआ है.
विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में असली नामों का खुलासा
आईसी 814 को हाईजैक करने वाले आतंकियों के असली नामों का खुलासा भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट में हुआ था. विदेश मंत्रालय के 6 दिसंबर 2000 को जारी बयान के अनुसार हाईजैकर्स विमान में एक दूसरे को चीफ, डॉक्टर, बर्गर, भोला और शंकर नाम से संबोधित करते थे. ये उनके कोड नेम थे. लेकिन बाद में खुलासा हुआ था कि हाईजैकर्स के नाम इब्राहिम अतहर निवासी बहावलपुर, शाहिद अख्तर सईद निवासी कराची, सनी अहमद काजी निवासी कराची, जहूर मिस्त्री निवासी कराची और शाकिर निवासी सुक्कुर सिटी थे. काजी को चीफ, शाकिर को डॉक्टर, मिस्त्री को बर्गर, सईद को भोला और इब्राहिम को शंकर कोड नेम से बुलाया जाता था. हाईजैकर्स से मुक्त होने के बाद विमान में सवार यात्रियों और क्रू मेंबर्स ने भी कोड नेम की जानकारी दी थी.
मसूद अजहर का भाई और आईएसआई मास्टर माइंड
आईसी 814 के हाईजैक होने के बाद जब इस मामले के खुलासे होने शुरू हुए तो पता चला कि इस घटना के मास्टर माइंड के रूप में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी अब्दुल रऊफ अजहर था. अब्दुल रऊफ अजहर ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के साथ मिलकर ही हाईजैक प्लान किया था. क्योंकि इसके माध्यम से वो भारत की जेल में बंद अपने भाई आतंकी मसूद अजहर को छुड़ाना चाहता था. मसूद अजहर 1994 से जम्मू जेल में बंद था. मसूद अजहर के अलावा जिन अन्य दो आतंकियों को भारत ने छोड़ा उसमें से उमर शेख दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था. सईद पर 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पल के अपहरण और हत्या का आरोप है. उमर शेख के पिता लंदन में कपड़ा व्यापारी बताए जाते हैं.
छोड़े गए एक आतंकी की हो चुकी है मौत
एक अन्य आतंकी मुश्ताक जरगर पर 40 से अधिक कश्मीरी पंडितों की हत्या का आरोप है. मुश्ताक को आतंकी संगठनों का मास्टर रिक्रूटर माना जाता है. बीते वर्ष ही उसकी श्रीनगर में स्थित एक संपत्ति को सरकार ने कुर्क किया था. मुश्ताक का मूवमेंट पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान में बना रहता है. वो एक आतंकी समूह का अभी भी संचालन कर रहा है. तीसरे आतंकी जहूर मिस्त्री की 1 मार्च 2022 को कराची में हत्या हो चुकी है. अज्ञात लोगों ने जहूर की दुकान में घुसकर हत्या की थी.
भारत में मौजूद चार स्लीपर सेल कर रहे थे मदद
आईसी 814 के हाईजैक (Hijack of IC814) में शामिल पांच आतंकियों को चार स्लीपर सेल की मदद मिल रही थी, जो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए काम काम करते थे. ये स्लीपर सेल भारत में रहते थे. हाईजैक के बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियों ने मुंबई से इन चारों स्लीपर सेल को गिरफ्तार किया था. ये चार एजेंट मोहम्मद रेहान, इकबाल, युसुफ नेपाली और अब्दुल लतीफ थे. इनमें से मो. रेहान और इकबाल पाकिस्तानी, यूसुफ नेपाली नेपाल और अब्दुल लतीफ भारतीय था. बाद में ये भी खुलासा हुआ था कि फ्लाइट आईसी 814 में सवार होने के लिए काठमांडू एयरपोर्ट का चयन इसलिए किया गया था, क्योंकि वहां की सुरक्षा व्यवस्था को मात देना आतंकियों के लिए काफी आसान था.
क्या है कंधार हाईजैक (Hijack of IC814)?
इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 ने 24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी. इस विमान में 15 क्रू मेंबर और 191 यात्री सवार थे. जैसे ही फ्लाइट इंडियन एयर स्पेस में पहुंची, वैसे ही उसमें सवार 5 आतंकवादियों ने उसे हाईजैक कर लिया. आतंकियों ने पायलट कैप्टन देवीशरण से विमान को काबुल ले जाने के लिए कहा. जब आतंकियों को बताया गया कि काबुल तक जाने के लिए जहाज में फ्यूल नहीं है, तो उन्होंने उसे लाहौर ले जाने और वहां से फ्यूल लेने के लिए कहा. लेकिन पाकिस्तान ने विमान को लैंड करने की अनुमति नहीं दी. इसके बाद आतंकियों को मजबूरन विमान को अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड कराना पड़ा. यहां जहाज 50 मिनट तक खड़ा रहा. लेकिन जब उसे फ्यूल नहीं मिला तो आतंकियों ने गड़बड़ी की आशंका में पायलट पर जबरदस्ती टेक ऑफ करने का दबाव डाला और वहां से उड़ गए. इसके बाद IC-814 को देर रात दुबई में लैंड किया गया. वहां फ्लाइट में फ्यूल लिया गया. दुबई एयरपोर्ट अथॉरिटी ने महिलाओं और बच्चों को विमान से उतारने की शर्त भी रखी थी. इसके बाद 27 पैसेंजर और रुपिन कात्याल की डेडबॉडी को दुबई में उतारा गया. इसके बाद आतंकी फ्लाइट को कंधार ले गए. कंधार में फ्लाइट IC-814 छह दिन तक रही. यहां से हाईजैकर्स ने यात्रियों को छोड़ने के बदले 36 आतंकवादियों की रिहाई और 200 मिलियन डॉलर की मांग की थी. तालिबान की मध्यस्थता के बाद भारत ने दुर्दांत आतंकी मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख, मुस्ताक अहमद जरगर को रिहा करके अपने यात्रियों को छुड़ाया.
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