Indian Defence Power: युद्ध के बाजार में बुद्ध की धरती कैसे पड़ने लगी भारी? मोदी की किन नीतियों ने पलट दी बाजी 

भारत कर रहा युद्ध की तैयारी या फिर रणभूमि के ग्लोबल सेठों के हाथ से छीन रहा डोर

By Mukesh Balyogi | September 4, 2024 8:59 PM
an image

Indian Defence Power : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली हाई पावर कमेटी ने एक लाख 44 हजार 716 करोड़ के रक्षा सौदों को मंजूरी दी है. इस सौदे में आगे होने वाले युद्ध में दुश्मनों को धूल चटाने के लिए एक से बढ़कर एक उपकरण खरीदे जाने हैं.

भविष्य के युद्ध की तैयारियों में भारत की यह मारक रणनीति केवल सुरक्षा के मोर्चे तक सीमित नहीं हैं. भारत पहले भी बड़े-बड़े रक्षा सौदे करता रहा है. लेकिन इस बार कुछ ऐसा है, जिसने दुनिया को हैरान कर दिया है. 

भारत की ओर से होने वाली एक लाख 45 हजार करोड़ की रक्षा खरीदारी पर आंख गड़ाए यूरोप और अमेरिका को इस बार करारा धक्का लगा है. क्योंकि इस पूरे सौदे में से 99% खरीदारी स्वेदशी कंपनियों से होगी. ये भारत की ओर से विकसित की गई तकनीक और भारत में निर्मित होंगी. 

रणभूमि से मालामाल होते रहे ‘गिद्ध’ क्यों मसोस रहे मन

चीन से तनाव की स्थिति पैदा होते ही दुनिया के कई देश यह मान कर चल रहे थे कि अब तो युद्ध होना ही है. भारत और चीन दोनों बड़ी शक्ति है. इसलिए युद्ध भी संहारक होगा.

ऐसी स्थिति में भारत को चीन से निपटने के लिए बड़े मारक हथियारों की जरूरत होगी. तकनीक भी ऐसी चाहिए होगी कि चीन को सीधी टक्कर दे सके. 

शांति का संदेश देता रहा बुद्ध की धरती वाला यह देश कहां से ऐसा कर सकेगा. इसलिए चीन से भारत के तनाव की पृष्ठभूमि में रक्षा कारोबार के बढ़ने और इससे अपने देश की इकोनॉमी को बूम देने का सपना भी कई देश सजाने लगे. 

स्वदेशी रक्षा उपकरणों ने कर दिया कमाल

भारत और चीन के बीच तनाव के कारण युद्ध और उससे होने वाले सौदे को लेकर रणभूमि पर गिद्ध दृष्टि टिकाए गिद्धों के करतब भारत ने नहीं चलने दिए. समय रहते रक्षा के क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक को बढ़ावा दिया.

प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों ने रक्षा वैज्ञानिकों को इस कदर प्रोत्साहित किया कि भारत की प्रयोगशालाओं में एक से बढ़कर एक रक्षा उपकरण ढलने लगे. यहां तक कि बुद्ध की धरती युद्ध के बाजार के बड़े हिस्से पर कब्जा जमा चुकी है. 

84 देश सीमा बचाने के लिए ताक रहे भारत का मुंह

भारत रक्षा उत्पादन में इस कदर मजबूत हो चुका है कि पिछले साल 84 देशों को अपनी सीमा बचाने के लिए भारत का आसरा रहा. इन देशों ने भारत से युद्धक उपकरण खरीदे. इस कारण साल 2023-24 में भारत का रक्षा निर्यात 21 हजार करोड़ का हुआ. 

ALSO READ: Indian Army : अयोध्या से फायरिंग रेंज हटाना रामलला को शांति-नमन या फिर है कोई और राज 

Exit mobile version