Inspirational Success Story: भुवनेश्वर की बेनोरिटा दास (30 वर्षीया) बताती हैं कि स्कूल के दिनों से ही सिलाई-कढ़ाई का शौक मुझे रहा है, क्योंकि अक्सर अपनी दादी, नानी और मां को भी बचे हुए कपड़ों की कतरनों से कुछ नया गढ़ते हुए देखा करती थी. बस मैंने सोच लिया था कि मैं फैशन डिजाइनिंग में ही आगे बढ़ूंगी. वे वह कहती हैं, “मैं हमेशा से ही कुछ चीजों के प्रति बहुत संवेदनशील रही हूं, जैसे- खाना या किसी भी चीज की बर्बादी मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं. वहीं प्लास्टिक की चीजों को लेकर ज्यादा सतर्क रहती हूं, क्योंकि मैं ये पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं. आगे बेनोरिटा ने फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई पूरी की और पर्यावरण के प्रति उनका प्रेम भी गहरा होता गया. फिर इन्हीं सोच के साथ वे अपने स्टार्टअप को लेकर लगातार सोचती रहीं. वे कहती हैं कि मैं हमेशा से मिट्टी या कांच की चीजें खरीदती हूं, क्योंकि ये प्रकृति के अनुकूल होती हैं. इसलिए मुझे इसी दिशा में कुछ करना था.
25 तरह के बना रही हैं उत्पाद
हालांकि लगभग दो महीने तक विभिन्न प्रयोग करके वेस्ट कपड़ों से चीजें बनायीं. फिर लगा कि चीजों को आकर्षक बनाने के लिए कशीदाकारी भी करनी चाहिए, इससे उत्पादों की खूबसूरती बढ़ जायेगी. बेनोरिटा बताती हैं कि उन्होंने शहर के डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रीज सेंटर में संपर्क किया, जहां कुछ स्टॉल्स लगाये और अपने ग्राहकों का बेस तैयार किया. साथ ही अपने साथ कुछ महिलाओं को भी जोड़ा. कपड़ों की कतरन के लिए शहर के दर्जियों और छोटी-छोटी फैक्टरियों से संपर्क किया. कतरनों को पहले कपड़े के आधार पर, जैसे- सूती, साटन, सिंथेटिक आदि को अलग-अलग किया जाता है. फिर इन्हें रंग के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, फिर जरूरत के अनुसार जोड़कर प्रोसेसिंग के लिए तैयार किया जाता है. तब जाकर उत्पाद तैयार होने की प्रक्रिया शुरू होती है. इसी प्रक्रिया से आज वे लगभग 25 तरह के उत्पाद बना रही हैं, जैसे- बैग्स, ज्वेलरी, ड्रेस, पर्दे, बेडशीट आदि. अपने उत्पादों की पहुंच बढ़ाने के लिए वे प्रदर्शनी एवं स्टॉल्स पर भी जाती हैं. साथ ही दिल्ली और भुवनेश्वर में स्टोर भी खोला है. बेनोरिटा के साथ लगभग 20 लोग जुड़े हुए हैं. वे इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर मौजूद हैं, जहां अपने उत्पाद की तस्वीरों को साझा करती हैं और ऑर्डर भी लेती हैं. साथ ही उन्होंने टेराकोटा के उत्पाद भी बनाने शुरू किये हैं.
‘जीरो इनवेस्टमेंट’ से शुरू किया का
फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद बेनोरिटा ने ‘सस्टेनेबल फैशन’ में मास्टर्स डिग्री की और एक फैशन डिजाइनिंग कॉलेज में बतौर शिक्षिका भी काम किया. अनुभव के लिए वे एक डिजाइनिंग फर्म के साथ जुड़ीं, लेकिन उनका यह अनुभव बहुत ही अलग रहा. वे बताती हैं कि मैंने गौर किया कि इस इंडस्ट्री में सबसे अधिक कचरा जमा होता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. तब 2018 में नौकरी छोड़कर अपने शहर वापस लौट आयी. बेनोरिटा बताती हैं, “मैंने फैसला किया कि अब मैं अपना काम शुरू करूंगी और ये पूरी तरह से सस्टेनेबल ब्रांड होगा, इसलिए मैंने इंडस्ट्री में बचने वाले वेस्ट यानी की कतरन को रॉमटेरियल की तरह इस्तेमाल करने का फैसला किया. मैंने अपने मास्टर्स के दौरान ही अपना ब्रांडनेम ‘Lady Ben’ रजिस्टर कराया था, इसलिए उसी के अंतर्गत काम शुरू किया. मेरे पास पहले से जो कपड़े बचे थे, उसी से अपना पहला उत्पाद बनाया और लोगों के बीच लेकर गयी, जहां लोगों ने काफी सराहा. इस तरह अपना काम ‘जीरो इनवेस्टमेंट’ से शुरू किया है” .
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