Jharkhand Assembly के प्रभारी सचिव सैयद जावेद हैदर का कक्ष
तारीखः 28 जुलाई
समयः दिन के तीन बजे
विधानसभा के प्रभारी सचिव अपनी कुर्सी पर विराजमान हैं. अगल-बगल की कुर्सियों पर विधानसभा के दूसरे पदाधिकारी-कर्मचारी मौजूद हैं. विधायकों के आने का इंतजार हो रहा है. किसी भी विधायक के नहीं आने पर सबके चेहरे पर मायूसी झलकने लगती है. अंत में विधानसभा सचिव कहते हैं कि अभी तक कोई माननीय सदस्य नहीं आए हैं. इसलिए लगता है कि अब नहीं ही आएंगे. इसलिए दो अगस्त के सदन का शलाका कर ही दिया जाए.
लकड़ी के एक बक्से में कागज के छोटे-छोटे टुक़ड़ों पर अलग-अलग संख्या लिखी हुई है. उसे बार-बार हिलाया डुलाया जाता है. कई बार ऊपर-नीचे किया जाता है. अलग-अलग व्यक्तियों से यह प्रक्रिया कराई जाती है. सभी आश्वस्त हो जाते हैं कि अब कोई नहीं कह सकता है कि कौन सा कागज का टुकड़ा ऊपर है और कौन नीचे. अंंत में विधानसभा सचिव सभी 23 कागज के टुकड़ों को एक के बाद एक उठाते हैं और उसमें लिखी संख्या को जोर से बोलते हैं. विधानसभा सचिव जिस क्रम में कागज के टुकड़े पर लिखी संख्या को बोलते हैं. उसे उसी क्रम में नोट कर लिया जाता है. फिर सभी कहते हैं-चलिए दो अगस्त का शलाका हो गया. अब बिजनेस पेपर तैयार करा लिया जाय.
Jharkhand Assembly: शलाका तो हो गया? लेकिन शलाका में हुआ क्या ?
शब्दकोष में देखने पर पता चलता है कि शलाका का अर्थ तिनका होता है. इसके अलावा तूलिका, कील, ऊंगली, पासा और ऐसे ही दर्जन भर और भी अर्थ हैं. परंतु अभी-अभी विधानसभा सचिव के कक्ष में जो शलाका हुआ, शब्दकोष का एक भी अर्थ इस पर फिट नहीं बैठता है. तो फिर विधानसभा सचिव के कक्ष में हुए शलाका में हुआ क्या? इसका जवाब प्रभात खबर संवाददाता ने विधानसभा सचिव से ही जानना चाहा. उन्होंने कहा कि किसी और से पूछ लीजिए. विधानसभा के एक अधिकारी विस्तार से इसकी जानकारी देते हैं. यहां शलाका का अर्थ लॉटरी है. किस चीज की लॉटरी? सवालों की लॉटरी. किसके सवालों की लॉटरी? विधायकों के सवालों की लॉटरी.
Jharkhand Assembly: विधायकों के सवालों का शलाका होता क्यों हैं?
प्रभात खबर संवाददाता ने यह सवाल लंबे समय तक विधानसभा के पदाधिकारी रहे और विधायी मामलों के जानकार उदयभान सिंह से पूछा. झारखंड विधानसभा से सेवानिवृत्त उदयभान सिंह कहते हैं-पारदर्शिता के लिए. किस तरह की पारदर्शिता? ताकि विधायक विधानसभा के अधिकारियों पर आरोप नहीं लगाएं. किस तरह का आरोप नहीं लगाएं? सवालों के आगे-पीछे करने का आरोप.
Jharkhand Assembly: विधायक सवालों को आगे-पीछे करने का क्यों लगाते हैं आरोप
उदयभान सिंह कहते हैं- इस तरह के आरोप निराधार होते हैं. क्योंकि यह संभव ही नहीं है. शलाका प्रक्रिया इसलिए ही की जाती है. शलाका का मकसद ही यह होता है कि किस विधायक के सवाल का जवाब सदन में पहले मिले और किसका बाद में-इस बारे में कोई पक्षपात नहीं हो सके. इसलिए विधायकों के सवालों की लॉटरी की जाती है. लॉटरी के मुताबिक ही सरकार की ओर से सवालों के जवाब देने का क्रम तय किया जाता है. कई बार विधायक अपने सवाल का क्रम पीछे होने के लिए विधानसभा के अधिकारियों को जिम्मेवार ठहराते हैं. इस तरह के आरोप आधारहीन होते हैं.
Jharkhand Assembly: आखिर विधायक चाहते क्या हैं?
उदयभान सिंह कहते हैं कि हर विधायक की इच्छा उनके सवाल को पहले रखे जाने की होती है. ऐसी इच्छा क्यों होती हैं? जवाब में उदयभान सिंह कहते हैं कि यह मुझसे मत पूछिए. एक पूर्व विधायक से प्रभात खबर ने यह जानना चाहा. उन्होंने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि सवाल पूछना और फिर सरकार से सवाल का जवाब आना और इस बात का मीडिया में आना विधायक को जनहित के सवाल उठाने का प्रचार दिलाता है. कोई भी विधायक जनता की नजर में बने रहने के लिए इस मौके को चूकना नहीं चाहता है.
जवाब देने के लिए सवाल का क्रम में पीछे होने पर सदन में उसका जवाब मिलने की संभावना कम होती है. क्योंकि ज्यादातर मामले में हंगामे के कारण या फिर समय अधिक होने जाने के कारण मंत्रियों की ओर से सदन में सवाल का जवाब नहीं मिल पाता है. विधायक के सवाल पर सरकार का जवाब लिखित रूप में ही विधानसभा की ओर से विधायकों को मिले बिजनेस पेपर में रह जाता है. इस कारण विधायकों को अधिकतर ममालों में मनचाहा प्रचार नहीं मिल पाता है.