Jharkhand Economy Fall: झारखंड की अर्थव्यवस्था फर्राटे भर रही है या रफ्तार धीमी है ? यह जानने का स्पीडोमीटर क्या होगा? पैमाने तो कई हैं. मानक भी कई तरह के हैं. पर सबसे जल्दी यह जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा कर बता देता है.
जीएसटी की वसूली बता देती है कि कारोबार कैसा चल रहा है? लोग खरीदारी कितनी कर रहे हैं? खरीदारी आमदनी का पता बता देता है. इस तरह हर महीने होने वाली जीएसटी वसूली बता देती है कि देश और प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां किस तरह चल रही हैं. काम-धंधों का परिदृश्य कैसा है? रोजगार, विकास और समृद्धि के सपने किस तरह परवान चढ़ रहे हैं?
Jharkhand Economy Fall: देश की आधी झारखंड में रही जीएसटी वसूली में वृद्धि दर
भारत सरकार ने अभी अगस्त महीने में जीएसटी वसूली के आंकड़े जारी किए हैं. इसके मुताबिक अगस्त महीने में देश में 1 लाख 24 हजार 986 करोड़ की जीएसटी वसूली हुई थी. जो 2023 के अगस्त में 1 लाख 14 हजार 503 करोड़ थी. इस तरह 2023 के अगस्त महीने के मुकाबले 2024 के अगस्त महीने में जीएसटी की वसूली नौ फीसदी अधिक हुई है.
जब जीएसटी वसूली के आंकड़ों में हम झारखंड को देखते हैं तो थोड़ी निराशा होती है. क्योंकि एक ओर जहां देश में जीएसटी वसूली में वृद्धि 9 फीसदी की छलांग लगाई है. वहीं झारखंड में यह आंकड़ा महज पांच फीसदी पर ही ठिठक गया है. जाहिर है कि देश की तुलना में प्रदेश में जीएसटी की यह वृद्धि दर केवल आधी है. झारखंड में इस साल अगस्त महीने में 2850 करोड़ की जीएसटी वसूली हुई है. जो पिछले साल अगस्त महीने में 2721 करोड़ थी.
Jharkhand Economy: क्यों देश की तरह प्रदेश में नहीं बढ़ी जीएसटी
झारखंड खान-खनिजों वाला औद्योगिक प्रदेश होने के कारण देश के आर्थिक मानचित्र पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराता है. इसके बावजूद देश की तुलना में जीएसटी वृद्धि की दर का आधी होना बताता है कि अर्थव्यवस्था का कोई न कोई मोर्चा थोड़ा कमजोर है.
झारखंड के सेवानिवृत्त अपर राज्य कर आयुक्त अखिलेश शर्मा जीएसटी वसूली में कम वृद्धि के पीछे झारखंड की अर्थव्यवस्था में सुस्ती से इत्तफाक नहीं रखते हैं. अखिलेश शर्मा झारखंड राज्य वित्त सेवा संघ के महासचिव भी रहे हैैं. वे कहते हैं कि राज्य में कारोबार भी हुआ है. अर्थव्यवस्था भी ठीक चल रही है. लेकिन इस कारोबार और अर्थव्यवस्था से राज्य का खजाना भरने वाली मशीनरी पस्त है.
राज्य के वाणिज्यकर विभाग में वरीय पदाधिकारियों की काफी कमी है. एक-एक अधिकारी कई-कई अंचलों के प्रभार में हैं. ऐसे में सही तरीके से जीएसटी वसूली की मॉनीटरिंग नहीं हो पाती है. इसके अलावा वाणिज्य कर वसूली के मामले में छापेमारी भी ठीक से नहीं हो पाती है. इसलिए कह सकते हैं कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती नहीं है, बल्कि अधिकारियों की कमी के कारण जीएसटी वसूली के मोर्चे पर पस्ती है.