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क्या ‘झारखंड टाइगर’ खा सकते हैं जेएमएम का वोट बैंक, कोल्हान में कितनी मजबूत होगी बीजेपी?

Jharkhand Politics : जेएमएम के भरोसेमंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन 30 अगस्त को बीजेपी के साथ चले जाएंगे. हेमंत सोरेन की जेल से वापसी के बाद जब सीएम की कुर्सी चंपाई सोरेन से वापस ली गई तब से वे नाराज चल रहे थे. अगस्त की शुरुआत में जिस तरह वे अचानक दिल्ली गए उसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे थे कि झारखंड की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेएमएम के बड़े नेता का इस तरह पार्टी छोड़कर जाना पार्टी पर क्या प्रभाव डालेगा और इससे आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कितना फायदा होगा यह बड़ा सवाल है, जिसकी पड़ताल इस स्टोरी में की गई है

Jharkhand Politics : झारखंड के पूर्व सीएम चंपाई सोरेन 30 अगस्त को (शुक्रवार को ) बीजेपी का दामन थाम लेंगे. इस सूचना के सामने आने के बाद से झारखंड की राजनीति में चर्चाओं का दौर जारी है. चंपाई सोरेन बीजेपी के साथ जाते हैं, तो झारखंड की राजनीति कैसे और किस हद तक प्रभावित होगी? आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इससे कितना लाभ मिलेगा? चंपाई सोरेन ने जेएमएम छोड़ने की सूचना गुरुजी को पत्र लिखकर दी है और उस पत्र से यह साफ जाहिर है कि चंपाई सोरेन की नाराजगी क्यों है.

चंपाई सोरेन एक संताल और बेदाग आदिवासी नेता हैं, जिन्हें झारखंड का टाइगर कहा जाता है. वे सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रहे हैं और कोल्हान क्षेत्र में उनका अच्छा-खासा प्रभाव है. झामुमो छोड़ने वक्त भी चंपाई सोरेन ने गुरु जी शिबू सोरेन के प्रति अपना सम्मान दिखा दिया है. चंपाई ने स्पष्ट तौर पर यह कहा है कि वे आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा और बांग्लादेशी घुसपैठ की समस्या प्रदेश से मिटाने के लिए बीजेपी के साथ जा रहे हैं.

जेएमएम ने बीजेपी को दिया अवसर

प्रभात खबर के कार्यकारी संपादक और झारखंड की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अनुज सिन्हा ने क‌हा कि चंपाई सोरेन के बीजेपी ज्वाइन करने से झामुमो को नुकसान होगा इसमें कोई दो राय नहीं है. जेएमएम ने एक तरह से बीजेपी को अवसर दे दिया है कि वो खुद को कोल्हान में मजबूत करे. गीता कोड़ा पहले से ही इस क्षेत्र की बड़ी नेता थीं अब चंपाई भी उनके साथ होंगे और वे दोनों मिलकर बीजेपी को मजबूत करने के लिए कार्य करेंगे.

चंपाई सोरेन जेएमएम के कोल्हान क्षेत्र के सबसे बड़े नेता थे इसमें कोई दो राय नहीं, लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि जेएमएम के पास और भी नेता हैं. चंपाई सोरेन के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वे अपने साथ जेएमएम का कितना वोट बैंक लेकर बीजेपी में जाते हैं. जेएमएम एक ऐसी पार्टी है, जहां से अगर कोई नेता जाता है, तो सिर्फ वो नेता जाता है, उसके साथ अन्य  लोग नहीं जाते. जेएमएम के वोटर के लिए उनकी पार्टी और उसका झंडा काफी मायने रखता है. बीजेपी यह कोशिश करेगी कि चंपाई सोरेन का इस्तेमाल जेएमएम के खिलाफ किया जाए, क्योंकि चंपाई सोरेन को सहानुभूति तो मिली है, लेकिन वो जेएमएम के पारंपरिक वोट बैंक में कितना सेंध लगा पाएगा, आने वाले दिनों में स्थिति स्पष्ट होती जाएगी. चंपाई सोरेन के जो करीबी हैं वो वोटर्स तो उनके साथ जाएंगे.

चंपाई के साथ आने से बीजेपी को होगा फायदा: बिरंची नारायण

बीजेपी नेता बिरंची नारायण ने कहा, “चंपाई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने से पार्टी को निश्चित रूप से फायदा होगा. चंपाई सोरेन एक बड़े नेता है और ईमानदार नेता है, इतने दिनों में हम भी उनपर कोई आरोप नहीं लगा सके हैं. उनके आने से कोल्हान में पार्टी जरूर मजबूत होगी. जहां तक उन्हें सीएम फेस बनाने का सवाल है, तो इसका जवाब पार्टी के बड़े नेता दे सकते हैं. मैं तो यही कह सकता हूं कि ऐसी कोई बात नहीं है. हां उनके हमारे साथ आने से पार्टी जरूर मजबूत होगी.”

चंपाई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने पर जेएमएम के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, “अभी मैं इस मसले पर कुछ भी टिप्पणी नहीं करूंगा, पार्टी का बयान जल्दी ही जारी किया जाएगा.’’

झारखंड विधानसभा में पार्टियों की स्थिति

झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा है, एक सदस्य मनोनीत किया जाता है, जिसे मिलाकर कुल संख्या 82 हो जाती है. अभी यहां झामुमो के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार है. झामुमो के कुल 26 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 16, भाकपा माले के 1 और राजद के 1 विधायक हैं. वहीं 22 बीजेपी के खाते में है, जबकि आजसू के पास 3 सीटें हैं. झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के पास 2 सीटें हैं. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के पास 1,निर्दलीय 2 और 1 मनोनीत विधायक हैं. सात सीटें रिक्त हैं.

कोल्हान की विधानसभा सीटें

कोल्हान प्रमंडल में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं, जहां बीजेपी चंपाई सोरेन के दम पर खुद को मजबूत करने की कोशिश करेगी. इन विधानसभा सीटों पर चंपाई सोरेन का प्रभाव है और उनके अपने वोटर भी हैं. इनके नाम हैं- 

सरायकेला- विधायक चंपाई सोरेन

खरसावां- विधायक दशरथ गगरई (जेएमएम)

ईचागढ़-विधायक सविता महतो (जेएमएम)

पूर्वी जमशेदपुर-विधायक सरयू राय (निर्दलीय)

पश्चिमी जमशेदपुर-विधायक बन्ना गुप्ता (कांग्रेस)

जुगसलाई-विधायक मंगल कालिंदी (जेएमएम)

पोटका-विधायक संजीब सरदार(जेएमएम)

घाटशिला-विधायक रामदास सोरेन (जेएमएम)

बहरागोड़ा-विधायक समीर महंती (जेएमएम)

चाईबासा-विधायक दीपक बिरुवा (जेएमएम)

चक्रधरपुर-विधायक सुखराम उरांव (जेएमएम)

मनोहरपुर-रिक्त

जगन्नाथपुर-विधायक सोनाराम सिंकू (कांग्रेस)

मझगांव-विधायक निरल पूर्ति (जेएमएम)

37 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित

झारखंड विधानसभा की 28 सीटें अनुसूचित जनजाति और 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. अनुसूचित जाति के लिए जो सीट रिजर्व हैं, वे इस प्रकार हैं- बोरियो, बरहेट,लिट्टीपाड़ा, शिकारीपाड़ा, महेशपुर, दुमका, जामा,घाटशिला, पोटका, सरायकेला, चाईबासा, मझगांव,जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर, खरसावां, तमाड़, तोरपा, खूंटी,खिजरी, मांडर, सिसई,गुमला विशुनपुर, सिमडेगा,लोहरदगा, मनिका और कोलेबिरा. अनुसूचित जाति के लिए देवघर, सिमरिया,चतरा, जमुआ, चंदनकियारी, कांके, जुगसलाई और छत्तरपुर सीट आरक्षित है. 

लोकसभा चुनाव में एसटी रिजर्व सीट पर हारी बीजेपी

लोकसभा चुनाव में बीजेपी सभी पांच एसटी रिजर्व से हार गई थी. यही वजह है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी इन सीटों पर ज्यादा फोकस कर रही है ताकि उसे बड़ा नुकसान ना हो. झारखंड में लोकसभा की एसटी रिजर्व सीट है-राजमहल, दुमका,सिंहभूम, खूंटी और लोहरदगा. बीजेपी इन पांचों सीटों पर हारी थी. इन लोकसभा सीटों के अंतर्गत जो विधानसभा क्षेत्र आते हैं वे इस प्रकार हैं-

राजमहल-राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़, महेशपुर, दुमका-शिकारीपाड़ा, नाला, जामताड़ा, दुमका, जामा, सारठ, सिंहभूम -सरायकेला, चाईबासा, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर, खूंटी-खरसावां, तमाड़, तोरपा, खूंटी, सिमडेगा, कोलेबिरा, लोहरदगा-मांडर, सिसई, गुमला, विशुनपुर, लोहरदगा.

इनमें से सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्रसरायकेला, चाईबासा, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर में चंपाई सोरेन का अच्छा-खासा प्रभाव है.

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कोल्हाण में कितनी विधानसभा सीटें हैं

कोल्हाण प्रमंडल में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं, इनके नाम है-सरायकेला, खरसावां, ईचागढ़, पूर्वी जमशेदपुर, पश्चिमी जमशेदपुर, जुगसलाई, पोटका, घाटशिला, बहरागोड़ा, चाईबासा, चक्रधरपुर, मनोहरपुर, जगन्नाथपुर और मझगांव.

झारखंड में एससी-एसटी के लिए कितनी सीटें आरक्षित?

झारखंड विधानसभा की 28 सीटें अनुसूचित जनजाति और 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. अनुसूचित जाति के लिए जो सीट रिजर्व हैं, वे इस प्रकार हैं- बोरियो, बरहेट,लिट्टीपाड़ा, शिकारीपाड़ा, महेशपुर, दुमका, जामा,घाटशिला, पोटका, सरायकेला, चाईबासा, मझगांव,जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर, खरसावां, तमाड़, तोरपा, खूंटी,खिजरी, मांडर, सिसई,गुमला विशुनपुर, सिमडेगा,लोहरदगा, मनिका और कोलेबिरा. अनुसूचित जाति के लिए देवघर, सिमरिया,चतरा, जमुआ, चंदनकियारी, कांके, जुगसलाई और छत्तरपुर सीट आरक्षित है. 

लोकसभा चुनाव 2024 में कितने एसटी रिजर्व सीट पर हारी बीजेपी?

झारखंड में लोकसभा की एसटी रिजर्व सीट है-राजमहल, दुमका,सिंहभूम, खूंटी और लोहरदगा. बीजेपी इन पांचों सीटों पर हारी थी.

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