क्या हेमंत से नाखुश चंपाई सोरेन विधानसभा चुनाव से पहले थामेंगे बीजेपी का हाथ?
Jharkhand Politics : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के कल रात अचानक कोलकाता जाने और फिर वहां से दिल्ली जाने के बाद से झारखंड में राजनीति तेज हो गई है. संभावना जताई जा रही है कि हेमंत सोरेन से नाखुश चंपाई सोरेन विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. हालांकि चंपाई सोरेन ने यह कहा कि है कि वे दिल्ली अपने निजी काम से आए हैं, लेकिन अटकलों का बाजार गर्म है. अगर चंपाई सोरेन जेएमए से अलग होते हैं, तो पार्टी को विधानसभा चुनाव में कितना नुकसान होगा, यह बड़ा सवाल है. जेएमएम के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है.
Jharkhand Politics : झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद प्रदेश की कमान संभाल चुके पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पार्टी छोड़ने और बीजेपी का दामन थामने की चर्चा जोरों पर है. चंपाई सोरेन दिल्ली में हैं और स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहे हैं, हालांकि उन्होंने कुछ संकेत दिए हैं. जैसे उनके एक्स हैंडल से जेएमएम का झंडा गायब है और उनकी तस्वीर पर भी जेएमएम का कोई जिक्र नहीं है. इन संकेतों से राजनीति के जानकार यह अनुमान लगा रहे हैं कि संभवत: पार्टी से नाखुश चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन बीजेपी का दामन थामने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं. चंपाई सोरेन के दिल्ली जाने की वजह क्या है इसका खुलासा आज या फिर एक दो दिन में हो जाएगा, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर चंपाई सोरेन नाराज क्यों हैं और ऐन विधानसभा चुनाव के पहले उनके पार्टी छोड़ने से जेएमएम को कितना बड़ा नुकसान संभव है?
जेएमएम और झारखंड में चंपाई सोरेन की दखल
Jharkhand Politics : चंपाई सोरेन को झारखंड का टाइगर कहा जाता है. इन्होंने झारखंड अलग राज्य के गठन के लिए जो आंदोलन हुआ उसमें अहम भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से इनका जेएमएम में भी कद बहुत बड़ा है. जेएमएम में शिबू सोरेन के बाद अगर किसी को कद्दावर नेता माना जाता है, तो वह चंपाई सोरेन ही हैं. चंपाई सोरेन पहली बार 1991 में अविभाजित बिहार में विधायक चुने गए थे. उनका पूरे कोल्हाण क्षेत्र में बहुत प्रभाव है, इस इलाके में कुल 14 विधानसभा सीट है, जिनमें से 11 पर जेएमएम के विधायक हैं. उन्हें एक ताकतवर आदिवासी नेता के रूप में देखा जाता है. हेमंत सोरेन जब फरवरी 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल गए थे, तो उन्होंने चंपाई सोरेन को अपना ताज सौंपा था. चंपाई सोरेन के कार्यकाल में ही गांडेय विधानसभा क्षेत्र से कल्पना सोरेन चुनाव जीतकर आईं, उस वक्त भी यह चर्चा चली थी कि क्या अब जेएमएम कल्पना सोरेन को सत्ता की कमान सौंप देगा, लेकिन उस वक्त पार्टी ने झारखंड टाइगर पर ही भरोसा दिखाया.
चंपाई सोरेन क्यों हैं नाराज?
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जब 31 जनवरी 2024 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया तब जेएमएम की ओर से चंपाई सोरेन पर ही विश्वास जताया गया और उन्हें दो फरवरी को मुख्यमंत्री बनाया गया. वे तीन जुलाई 2024 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 28 जून को जब हेमंत सोरेन जेल से रिहा हुए, तो इस बात की चर्चा भी शुरू हुई कि हेमंत सोरेन दोबारा मुख्यमंत्री बनेंगे. चंपाई सोरेन तीन जुलाई तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और चार जुलाई को हेमंत सोरेन दोबारा मुख्यमंत्री बन गए. सीएम की कुर्सी पर हेमंत के दावे से कहीं ना कहीं चंपाई सोरेन नाखुश दिखे. हेमंत सोरेन के कुर्सी संभालने के बाद विधायक दल की बैठक में भी उनका गुस्सा दिखा था. उसपर पार्टी और सरकार में भी उनका कद छोटा हुआ जिससे वे नाराज थे.
जेएमएम को कितना होगा नुकसान
चंपाई सोरेन अगर जेएमएम का साथ छोड़ गए तो निश्चित तौर पर जेएमएम को नुकसान होगा. झारखंड में खासकर कोल्हाण क्षेत्र में उनकी पकड़ अच्छी है. लेकिन यहां यह बात भी गौर करने वाली है कि झारखंड का आदिवासी जेएमएम के साथ है और उनके लिए शिबू सोरेन का उत्तराधिकारी हेमंत सोरेन ही है. इस वजह से चंपाई सोरेन कोई बहुत बड़ा झटका जेएमएम को देंगे इसकी उम्मीद कम है, लेकिन यह बात भी साफ है कि विधानसभा चुनाव के दौरान जेएमएम को चंपाई की अनुपस्थिति में कोल्हाण क्षेत्र में ज्यादा मेहनत करनी होगी. वहीं चंपाई के दिल्ली जाने और सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म से जेएमएम का झंडा हटाए जाने पर जेएमएम के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि मुझे कुछ भी पता नहीं है. मैं रांची में नहीं हूं, पहुंचने के बाद ही इसपर कुछ प्रतिक्रिया दे पाऊंगा.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले के पीछे राजनीति, मदरसा और मौलवी : तसलीमा नसरीन
बीजेपी को क्या होगा फायदा
झारखंड विधानसभा चुनाव में अपनी पकड़ बनाने के लिए बीजेपी को ऐसे नेता की सख्त जरूरत है, जो आदिवासी हो और जिसका एक जनाधार भी हो. इस जरूरत के हिसाब से चंपाई सोरेन बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित होंगे. बीजेपी यह भी चाहेगी कि चंपाई अपने कुछ समर्थकों को भी साथ लाएं, ताकि उनकी पकड़ और भी मजबूत हो. बीजेपी के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने चंपाई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने की खबरों पर कहा कि पता नहीं हमें कुछ भी ऑफिशियल जानकारी नहीं है. जो कुछ भी सूचना है वह मीडिया से ही मिली है. सोशल मीडिया से जेएमएम का झंडा हटाए जाने पर भी उन्होंने कहा कि मीडिया से जानकारी मिली है, लेकिन चंपाई सोरेन बीजेपी में शामिल होंगे इसकी कोई सूचना हमारे पास नहीं है.