Justice Hema Committee Report : घिनौना सच आया सामने, ग्लैमर की दुनिया में भी महिलाएं पुरुषों की बदनीयती का शिकार
Justice Hema committee report : 2017 में गठित जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट जब सावर्जनिक हुई तो भूचाल आ गया और सब ग्लैमर के पीछे छिपे सच को जानकार हैरान हैं. महिलाओं के साथ मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में यौन अपराध की घटनाएं आम हैं और एक्ट्रेस बदनामी और कानूनी जानकारी के अभाव में शिकायत भी नहीं करती हैं. पढ़ें, यह खास रिपोर्ट
Justice Hema committee report : जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट इन दिनों चर्चा में है. वजह साफ है इस कमेटी ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का खौफनाक सच सामने लाया है. जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट यह कहती है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के यौन शोषण होता, साथ ही उनके साथ लिंग आधारित भेदभाव होता है और कई तरह के अमानवीय व्यवहार भी किए जाते हैं. जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट 19 अगस्त को जारी की गई है, रिपोर्ट के सामने आते ही पूरे देश में हंगामा मच गया है. कमेटी की रिपोर्ट काफी पहले ही सौंप दी गई थी, लेकिन उसे जारी अभी किया गया है.
जस्टिस हेमा कमेटी का गठन क्यों हुआ था
जस्टिस हेमा कमेटी का गठन 2017 में हुआ था, उस वक्त एक मलयालम फिल्म एक्ट्रेस के साथ उसकी कार में ही रेप हुआ था. वह किसी काम से कोच्चि जा रही थी उसी दौरान उसको किडनैप कर लिया गया था और उसके साथ रेप हुआ था. इस घटना के बाद काफी हंगामा हुआ था और काफी दबाव में सरकार ने केरल हाई कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस हेमा के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया. इस कमेटी में जस्टिस हेमा के अतिरिक्त दो और सदस्य थीं, जिनमें से एक वेटरन एक्ट्रेस टी शारदा थीं और दूसरी रिटायर्ड आईएएस केबी वलसाला कुमारी थीं.
इस कमेटी ने 2019 में ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन उसे सामने अब लाया गया है. सरकार का कहना है कि कमेटी ने जिन महिलाओं से बातचीत की, उन्होंने गोपनीयता रखने के वादे के बाद ही अपनी बात कही थी, इसलिए इस रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि अगर कोई शिकायत दर्ज होगी तो जरूर कार्रवाई की जाएगी.
जस्टिस हेमा कमेटी ने सिनेमा के ग्लैमरस दुनिया की चकाचौंध में छिपे राज को सामने लाया. इस कमेटी ने अपनी जांच के दौरान जिन बिंदुओं पर फोकस किया वे इस प्रकार हैं-
- 1. सिनेमा उद्योग में महिला सुरक्षा
- 2. महिलाओं के कार्य करने का माहौल कितना सहज और आरामदायक है
- 3. महिलाओं के लिए सेट पर वातावरण कैसा होता है.
- 4. किस तरह सिनेमा उद्योग में जेंडर इक्वलिटी लाया जाए
- 5. महिलाओं की भागीदारी इंडस्ट्री में किस तरह बढ़ाई जाए
रिपोर्ट में क्या है खास?
जस्टिस हेमा कमेटी ने जो जांच की, उसमें यह बात खुलकर सामने आई कि कास्टिंग काउच मलयालयम फिल्म इंडस्ट्री की बड़ी समस्या है. काम के बदले महिला अभिनेत्रियों का यौन शोषण किया जाता है. उन्हें जब स्क्रिप्ट बताई जाती है तो उसमें कहानी और सीन कुछ होता है और जब शूटिंग होती है तो उनसे अंग प्रदर्शन और बोल्ड सीन करवाया जाता है. इतना ही नहीं उन्हें शूटिंग पर गलत नामों से पुकारा जाता है और उन्हें गालियां तक दी जाती है.
जस्टिस हेमा ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सिनेमा उद्योग बाहर से जितना सुंदर और चकाचौंध से भरा दिखता है उसके अंदर उतनी ही कालिमा है. महिलाएं खुद को सेट पर सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं, कई एक्ट्रेस तो अपने साथ अपने घरवालों को सेट पर लेकर जाती हैं, ताकि वे यौन शोषण से बच सकें.
सेट पर काम का माहौल भी बहुत अच्छा नहीं होता है. उन्हें शौचालय आदि की उपयुक्त सुविधा नहीं दी जाती है जिसकी वजह से वे पानी पीने और खाने से भी डरती हैं. सबसे अधिक परेशानी उन्हें पीरियड्स के दौरान होती है, जब सैनेटरी पैड बदलने की जरूरत होती है. लेकिन प्रोड्यूसर और डायरेक्टर्स को उनकी इस परेशानियों से कोई लेना-देना नहीं होता है.
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कोई व्यक्ति क्यों करता है एक महिला से दरिंदगी? क्या है इसके पीछे का मनोविज्ञान
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की लगभग 30 कैटेगरी होती है, जो विभिन्न काम करती हैं, मसलन एक्ट्रेस, डांसर, प्रोड्यूसर, पीआरओ, टैक्निशियन इत्यादि. अधिकतर महिलाएं अपने साथ हो रहे यौन शोषण का जिक्र करना नहीं चाहती हैं, क्योंकि उनके पास कानूनी जानकारी नहीं है. साथ ही उन्हें बदनामी का भी डर है. इतना ही नहीं अगर वे शारीरिक संबंध बनाने से मना करती हैं, तो उन्हें प्रताड़ित भी किया जाता है. सेट पर पुरुष सहकर्मी शराब का भी सेवन करते हैं और उनके साथ बदसलूकी भी करते हैं.
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि इंडस्ट्री में कई पुरुष ऐसे भी हैं जिनपर महिलाएं भरोसा करती हैं और उनके साथ काम करने में काफी सेफ भी महसूस करती हैं. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ गलत व्यवहार होता है, लेकिन इसके लिए इंडस्ट्री के सभी पुरुष जिम्मेदार नहीं हैं, यह भी एक सच है.
जस्टिस हेमा कमेटीं की प्रमुख सिफारिशें
-एक आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया जाए. जहां कार्यस्थल पर होने वाले यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई जा सके. इस समिति में एंप्लाइज फेडरेशन ऑफ केरल (FEFKA) और एसोसिएशन ऑफ मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स (AMMA) के सदस्यों को भी शामिल करने की सलाह दी गई है.
-महिला निर्माताओं को प्रोत्साहित करने की सलाह दी गई है, इसके लिए उन्हें सस्ते दर पर ऋण उपलब्ध कराने की बात कही गई है.
-शिकायत करने वाली महिला की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने की बात भी कही गई है.
-महिलाओं को जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण देने की बात कही गई है.
-लिखित काॅन्ट्रैक्ट को अनिवार्य करने की बात कही गई है.
रीजनल फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच ज्यादा : तनुश्री दत्ता
पूर्व मिस इंडिया और बाॅलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में कहा कि मैंने मलयालम फिल्मों में काम तो नहीं किया है, लेकिन मैंने सुना है कि वहां महिलाओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता. मैंने बाॅलीवुड की फिल्में की है और मेरा साथ यहां जो कुछ हुआ है उनके आधार पर मैं यह कह सकती हूं कि जस्टिस हेमा कमेटी की रिपोर्ट जो कह रही है वो सच है.
तनुश्री दत्ता ने बताया कि रीजनल फिल्म इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच की बातें ज्यादा सामने आती हैं. बाॅलीवुड में भी इस तरह के लोग हैं. नाना पाटेकर ने मेरे साथ जो कुछ किया उसके बारे में सबको पता है. मैं मिस इंडिया थी, उसके बाद भी मेरे साथ गलत व्यवहार करने की कोशिश हुई तो आम लड़कियों के साथ गलत होता होगा इसे स्वीकार करने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है.
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FAQ जस्टिस हेमा कमेटी का गठन क्यों किया गया था?
जस्टिस हेमा कमेटी का गठन मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ हो रहे दुर्व्यहार और यौन शोषण के मामलों का पता लगाने के लिए हुआ था.
जस्टिस हेमा कमेटी का कब गठन हुआ था और इसने अपनी रिपोर्ट कब दी?
जस्टिस हेमा कमेटी का गठन 2017 में किया गया था और इसने अपनी रिपोर्ट 2019 में सौंप दी थी जिसे 19 अगस्त 2024 को सार्वजनिक किया गया.