13.8 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Kolkata Doctor Murder Case : क्या होता है पाॅलीग्राफी टेस्ट? धड़कन तेज होने से ये सच्चाई आती है सामने…

Kolkata Doctor Murder Case : कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जिस प्रकार जूनियर डाॅक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या हुई, उससे पूरे देश में गुस्सा है, सीबीआई मामले की जांच कर रही है. कोर्ट ने सीबीआई को सात लोगों का पाॅलीग्राफी टेस्ट करने की इजाजत दी है. पाॅलीग्राफ टेस्ट पर सबकी नजर है, यह किसी व्यक्ति द्वारा कहे जाने वाले झूठ को पकड़ता है. आइए जानते हैं कैसे होता है पाॅलीग्राफी टेस्ट…

Kolkata Doctor Murder Case : आरजी कर अस्पताल में जूनियर डाॅक्टर के साथ हुई दरिंदगी के बाद सीबीआई जांच जारी है. घटना नौ अगस्त को हुई थी और 16 दिन बाद सीबीआई को न्यायालय से सात लोगों की पाॅलीग्राफी टेस्ट करने की अनुमति मिली है. सबसे पहले सीबीआई ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिसिंपल संदीप घोष का पाॅलीग्राफी टेस्ट शुरू किया है. संदीप घोष से सीबीआई पिछले शुक्रवार से पूछताछ कर रही है, आज उनका पाॅलीग्राफी टेस्ट हो रहा है.

क्या है पाॅलीग्राफी टेस्ट

पाॅलीग्राफी टेस्ट में एक मशीन के जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जाती है कि जिस व्यक्ति का टेस्ट हो रहा है वह सच बोल रहा है या झूठ. पाॅलिग्राफी टेस्ट को लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है. इस जांच में जिस मशीन का प्रयोग किया जाता है उसे पाॅलीग्राफ कहते हैं. पाॅलीग्राफी टेस्ट एक साइकोलाॅजिकल टेस्ट ही है और जब कोई व्यक्ति झूठ बोलता है तो उसके व्यवहार और शरीर के कैमिकल में बदलाव होता है, जिसे इस मशीन के द्वारा माापा जाता है और यह पता लगाया जाता है कि वह व्यक्ति कितना सच बोल रहा है और कितना झूठ. पाॅलिग्राफ मशीन के जरिए जिस व्यक्ति की जांच हो रही होती है उसके बीपी, श्वसन प्रक्रिया, हार्ट बीट और स्किन रिएक्शन पर नजर रखा जाता है.

पाॅलीग्राफ मशीन कैसे पकड़ता है झूठ

पाॅलीग्राफ मशीन में तीन डिवाइस जुड़े होते हैं जिनके नाम हैं pneumograph, galvanograph, and cardiosphygmograph. जब किसी व्यक्ति की पाॅलीग्राफी टेस्ट होती है तो यही तीनों डिवाइस उसके शरीर में होने वाले परिवर्तनों को रिकाॅर्ड करता है और उसका डेटा एकत्र करके रिकाॅर्डिंग मशीन तक भेजता है और उस डेटा के आधार पर यह तय किया जाता है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ. कोई भी व्यक्ति जब झूठ बोलता है तो उसकी सांस लेने की गति, दिल धड़कने की गति और बीपी में बदलाव आता है. न्यूमोग्राफ डिवाइस सांस लेने की गति को मापता है, गैल्वेनोमीटर पसीने की ग्रंथि पर नजर रखता है और कार्डियोवासकुलर दिल की गति और बीपी को मापता है. जिस व्यक्ति का टेस्ट करना होता है उसके हाथों और सीने पर इन डिवाइस को कनेक्ट किया जाता है.

Also Read : Justice Hema Committee Report : घिनौना सच आया सामने, ग्लैमर की दुनिया में भी महिलाएं पुरुषों की बदनीयती का शिकार

कोई व्यक्ति क्यों करता है एक महिला से दरिंदगी? क्या है इसके पीछे का मनोविज्ञान

पाॅलीग्राफ टेस्ट पर कितना किया जा सकता है भरोसा

पाॅलीग्राफ टेस्ट के रिपोर्ट सौ प्रतिशत सही नहीं होते हैं, जिसकी वजह से कई बार इसपर विवाद भी हो चुका है. मनोवैज्ञानिक डाॅ पवन वर्णवाल बताते हैं कि पाॅलीग्राफी टेस्ट एक साइकोलाॅजिकल टेस्ट ही है, जिसमें विभिन्न डिवाइस के जरिए यह पता करने की कोशिश की जाती है कि व्यक्ति सच बोल रहा है या झूठ. आमतौर पर पाॅलीग्राफी टेस्ट के नतीजे सच होते हैं, लेकिन यह गलत तब होते हैं जब कोई व्यक्ति झूठ बोलने में महारथी हो. कहने का अर्थ यह है कि आमतौर पर जब कोई व्यक्ति झूठ बोलता है तो उसके शरीर पर इसका असर होता है, जैसे उसकी सांस लेने की गति बढ़ जाती है, उसका बीपी बढ़ जाता है, उसके पसीने आने लगते हैं. इस परिस्थिति में यह टेस्ट सही साबित हो जाता है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति आसानी से झूठ बोलता है और उसके शरीर पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, तो यह टेस्ट गलत साबित हो जाएगा. जब किसी व्यक्ति का टेस्ट होता है, तो उसके शारीरिक परिवर्तनों को मापने के लिए पहले आसान और सहज करने वाले प्रश्न पूछे जाते हैं, उसके बाद असली प्रश्नों को पूछा जाता है ताकि परिवर्तन सहजता से रिकाॅर्ड कर लिए जाएं.

पाॅलीग्राफी टेस्ट की कब हुई थी शुरुआत

यह माना जाता है कि पहला पॉलीग्राफ 1921 में बनाया गया था, जिसे कैलिफोर्निया के एक पुलिसकर्मी ने झूठ का पता लगाने के लिए बीपी हार्ट बीट और श्वसन दर में निरंतर परिवर्तन को मापने के लिए बनाया गया था. हालांकि इसके अन्य दावे भी हैं, लेकिन यह माना जा सकता है कि 1921 से 1927 के बीच ही पाॅलीग्राफ बनाया गया और 1923 में पहली बार इसका प्रयोग किसी जांच में किया गया था. भारत में पाॅलीग्राफी टेस्ट के लिए कोर्ट की इजाजत जरूरी होती है, उसके बिना किसी व्यक्ति का पाॅलीग्राफी टेस्ट नहीं किया जा सकता है. 1983 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने अपने कर्मचारियों का पाॅलीग्राफी टेस्ट कराने की इजाजत दी थी, तो उस वक्त इस टेस्ट की खूब चर्चा हुई थी, मामला सूचना लीक करने से जुड़ा था.

Also Read : भारत ही नहीं इन देशों में भी महिलाएं असुरक्षित, US में हर दूसरे मिनट 1 महिला दरिंदगी की शिकार

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें