Kolkata Doctor Murder Case : कोलकाता में ऑन ड्यूटी डाॅक्टर के साथ जिस तरह की दरिंदगी संजय राय ने की, उसकी चर्चा पूरे देश में है और हर सभ्य व्यक्ति इस घिनौने कृत्य की निंदा कर रहा है. हमारे देश में छल से महिला के साथ संबंध बनाना या बनाने की कोशिश करने का इतिहास रहा है. यहां तक कि हमारी पौराणिक कथाओं में भी इसका जिक्र मिलता है. देवी अहिल्या के साथ इंद्र ने छल किया और उनके साथ शारीरिक संबंध बनाया, लेकिन शापित अहिल्या हुई इंद्र को कुछ नहीं हुआ. आज भी कमोबेश हमारे सोसाइटी में यही स्थिति है, दुष्कर्म जिस स्त्री के साथ होता बदनामी उसकी होती है बलात्कारी पुरुष शान से घूमता है. कोलकाता की घटना के बाद से लड़कियां भयभीत हैं और उन्हें अपने ऑफिस में भी सुरक्षित महसूस नहीं हो रहा है, तो अनजान जगह की तो खैर बात ही अलग है.
सवाल यह है कि हम एक सभ्य समाज में रहते हैं और लगातार यह दावा करते हैं कि हम महिलाओं को एक बेहतर समाज देंगे, तो फिर यह कैसे संभव होगा. महिलाओं को महज दोहन की वस्तु मानकर चलने से हम उनके डर का भय और बढ़ाएंगे और आए दिन हमारे समाज में अरुणा शानबाग, निर्भया और कोलकाता की जूनियर डाॅक्टर जैसी लड़कियां शहीद होती रहेंगी. समाज कहता है कि यह पाश्विक कृत्य है, तो फिर होता ही क्यों है?
बलात्कारी अपने अपराध का करते हैं जस्टिफिकेशन
दिल्ली गैंगरेप के बाद एक शोधार्थी मधुमिता पांडेय ने दुष्कर्म के 122 दोषियों से बातचीत की थी और उसके बाद एक शोध प्रस्तुत किया था, उस शोध में यह बात सामने आई थी कि दुष्कर्मी अपने अपराध को जस्टिफाई करने की कोशिश करते हैं. उनके अंदर अपराधबोध की भावना ना के बराबर होती है. वे यह बताने की कोशिश करते हैं कि किन हालात में उनसे यह अपराध हुआ और महिलाएं ही इसके लिए दोषी हैं. मधुमिता पांडेय का यह कहना था कि बलात्कार को रोकने के लिए इसके दोषियों के मनोविज्ञान को समझना जरूरी है.
दुष्कर्म का मनोविज्ञान
मनोचिकित्सक डाॅ पवन वर्णवाल ने बताया कि जो व्यक्ति बलात्कार करता है उसकी मानसिक स्थिति उससे इस तरह का जघन्य कृत्य करवाती है. कई बार दरिंदगी करने के बाद उस व्यक्ति को भी अफसोस होता है कि आखिर उसने ऐसा पाश्विक कृत्य क्यों किया, लेकिन उसकी मनोदशा इस तरह की होती है कि वह रेप करता है और कई बार वह हैवानियत भी कर जाता है.
जो व्यक्ति किसी महिला के साथ बलात्कार करता है तो उसके पीछे ये चार प्रमुख कारण होते हैं:-
-वह व्यक्ति एंटी सोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर का शिकार होता है, जिससे समाज को हमेशा खतरा होता है.
-आरोपी व्यक्ति डोमिनेंट पसर्नालिटी का होता है और वह अपनी दबंगई साबित करना चाहता है.
-आरोपी व्यक्ति के अंदर हाइपर सेक्सुअलिटी होती है.
-व्यक्ति के अंदर इंप्लसिव एक्टिविटी होती, इस आवेग में ही वह रेप करता है.
यह तो बात हुई मानसिक दशा की, लेकिन कई बार हमारे पास इस तरह के मरीज आते हैं, जिनके केस स्टडी से यह पता चलता है कि व्यक्ति ने जब रेप किया वह नशे था और उसे कानून का कोई डर भी नहीं रहता है. हमारे देश में कानूनी प्रक्रिया इतनी लंबी चलती है कि सामान्य रेप के मामलों में तो लोग घटना को भूल भी जाते हैं कि इस तरह का कोई कृत्य हुआ था. जो भी व्यक्ति रेप जैसे अपराध में शामिल होता है उसे मनोचिकित्सक की जरूरत होती है. कई बार व्यक्ति में डिसआॅर्डर नहीं होता उसे बिहेवियर ट्रेट होता है, लेकिन इसका इलाज है, अगर इलाज कराया जाए तो समाज में रेप की घटनाएं कम हो सकती हैं. यह परिवार वालों का दायित्व है क्योंकि घर वालों को यह पता होता है कि उनके लड़के में क्या दिक्कत है.
दुष्कर्म के बाद कैसी होती है एक महिला की मानसिक स्थिति
किसी भी महिला के साथ जब दुष्कर्म होता है तो वह डरी हुई तो रहती ही है कई बार उसे मानसिक और न्यूरो से संबंधित रोग भी हो जाते हैं. वह डिप्रेशन में चली जाती है और कई बार अगर लड़की अविवाहित होती है तो वो विवाह के बाद शारीरिक संबंध से डरती है. हालांकि रेप को हमारे समाज में इस तरह से प्रचारित किया गया है कि लड़कियां इसे अपनी इज्जत लुट जाने से जोड़ती है और आजीवन इसकी त्रासदी झेलती है, जबकि यह एक तरह का अपराध है. सबसे बुरी स्थिति छोटी बच्चियों की होती है जो रेप के वक्त यह समझ ही नहीं पातीं कि उनके साथ क्या हो रहा है और आजीवन उस घटना का दंश झेलती हैं. कई बार बच्चियां अपने घर में भी डरती हैं और एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में रहती हैं जो काफी डरा-सहमा होता है.
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FAQ क्या दुष्कर्म का आरोपी किसी मानसिक रोग का शिकार होता है?
दुष्कर्म का आरोपी एंटी सोशल पसर्नालिटी डिसआर्डर का शिकार होता है, जो उससे इस तरह के अपराध करवाता है.
भारत में दुष्कर्म की सजा क्या है?
भारत में दुष्कर्म के लिए अलग-अलग सजा है, जिसमें 20 साल तक कैद से मौत की सजा तक का प्रावधान है.