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Magadha Empire : अजातशत्रु के बेटे उदयिन ने की थी पटालिपुत्र की स्थापना, लेकिन अन्य शासक निकले नाकाबिल

Magadha Empire : अजातशत्रु के बेटे उदयिन ने पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बनाया. उससे पहले राजगीर मगध की राजधानी थी. पाटलिपुत्र को राजधानी बनाने के पीछे राजधानी को सुरक्षित करना था, क्योंकि यह गंगा और सोन नदी के तट पर बसा था. साथ ही यहां से व्यापार भी आसान हो गया था.

By Rajneesh Anand | March 16, 2025 6:29 PM
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Magadha Empire :  हर्यक वंश के शासक अजातशत्रु के बाद उसके पुत्र उदयिन ने मगध की कमान संभाली. लेकिन उदयिन अपने पिता अजातशत्रु की तरह प्रतापी नहीं था. उसके सत्ता में आते ही मगध का साम्राज्य कमजोर पड़ने लगा था और एक तरह से हर्यक वंश का पतन शुरू हो गया था.  

अजातशत्रु के उत्तराधिकारी कमजोर थे

अजातशत्रु की मृत्यु के बाद उसके पुत्र उदयिन गद्दी पर बैठे. उन्होंने पिता की तरह राज्य विस्तार की कोशिश तो की, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए. इतिहासकारों का मानना है कि उदयिन राज्य को विस्तार नहीं दे पाया और ना ही उसने कोई बड़ा युद्ध ही जीता. हालांकि उदयिन का शासनकाल 16 वर्षों तक चला, लेकिन इन 16 वर्षों में उसने अपने राज्य को विस्तार देने में कोई बड़ा युद्ध नहीं जीता. इसके विपरीत उसकी क्षमताओं पर भी सवाल उठने लगे थे. उसके बाद अनिरुद्ध, दर्शक, मुंडा जैसे शासक हुए, लेकिन वे सब कमजोर थे. महाराजा नागदशक के उपरांत हर्यक वंश का अंत हो गया और मगध पर शिशुनाग वंश का शासन स्थापित हो गया.

अजातशत्रु के बेटे ने पाटलिपुत्र को बनाया मगध की राजधानी

अजातशत्रु का बेटा उदयिन अपने राज्य को विस्तार भले ना दे सका हो, लेकिन उसने अजातशत्रु द्वारा बसाई गई छोटी नगरी पाटलिपुत्र को मगध की राजधानी बनाया और उसी पाटलिपुत्र पर मौर्य और गुप्त जैसे राजवंशों ने शासन किया. पाटलिपुत्र गंगा और सोन नदी के तट पर बसा है, जो सुरक्षा के दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाता था. चारों ओर नदी से घिरा होने की वजह से पाटलिपुत्र को आक्रमणकारियों से सुरक्षित माना जाता था. पाटलिपुत्र से पहले राजगीर मगध की राजधानी थी, जो चारों ओर पहाड़ियों से घिरी थी. गंगा नदी के किनारे होने की वजह से यहां से व्यापार बहुत सहज और सुलभ हो गया था. इतिहासकार रोमिला थापर ने अपनी किताब A History of India में लिखा है कि मगध शासक उदयिन ने गंगा और सोन नदी के तट पर पाटलिपुत्र को बसाया और एक प्रमुख प्रशासनिक और रणनीतिक केंद्र बनाया. पाटलिपुत्र मगध के सैन्य और व्यापारिक विस्तार का केंद्र बना. आरसी मजूमदार ने लिखा है कि उदयिन ने पाटलिपुत्र को नई राजधानी बनाकर मगध साम्राज्य को भविष्य की महानता की ओर अग्रसर किया था. पाटलिपुत्र की स्थापना जिस उद्देश्य से की गई थी वह उसमें सौ फीसदी सफल रहा.

हर्यक वंश के बाद शिशुनाग वंश का मगध पर रहा राज

हर्यक वंश के बाद शिशुनाग और नंद वंश ने मगध पर किया शासनहर्यक वंश के बाद मगध पर शिशुनाग वंश का शासन स्थापित हुआ. शिशुनाग वंश का कार्यकाल 413 – 345 ईसा पूर्व तक रहा. उसके बाद मगध पर नंद वंश का शासन कायम हुआ, जिन्होंने 345 – 322 ईसा पूर्व तक शासन किया. नंद वंश के शासनकाल में मगध का काफी विस्तार भी हुआ और यह साम्राज्य पूरे उत्तर भारत में स्थापित हो गया. लेकिन इसके शासकों की अवधि बहुत कम रही और अंतत: मौर्य वंश का मगध पर कब्जा हो गया. नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद थे जिनसे मदद की गुहार चाणक्य ने लगाई थी, लेकिन धनानंद ने उनका अपमान करके उन्हें राजदरबार से निकाल दिया था, जिसके बाद चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को तैयार किया और उसकी मदद से नंद वंश का अंत करके मौर्य वंश की स्थापना की.

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