Magadha Empire : 321 ईसा पूर्व में चाणक्य के सोच से पैदा हुईं थीं विषकन्याएं, सौंदर्य का प्रयोग होते ही मिलती थी मौत

Magadha Empire : भारत के प्राचीन इतिहास में कई ऐसी बातें नजर आती हैं, जो आज भी लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं, उनमें से एक है विषकन्या. चित्रलेखा उपन्यास जिसे भगवती चरण वर्मा ने लिखा है उसमें विषपुरुष का जिक्र है. विषकन्या की शुरुआत मौर्यवंश के दौरान मिलती है और इसके जनक थे आचार्य चाणक्य, जिन्होंने विषकन्याओं का प्रयोग शत्रु के खिलाफ अस्त्र के रूप में किया. विषकन्या दरअसल मौर्य काल में जासूस होतीं थीं, जो अपने सौंदर्य का प्रयोग करके दुश्मनों को परास्त करती थीं.

By Rajneesh Anand | March 23, 2025 5:24 PM

Magadha Empire : मगध साम्राज्य का सबसे चर्चित राजवंश मौर्य वंश था. इस राजवंश ने 321 ईसा पूर्व  से 185 ईसा पूर्व तक भारत पर शासन किया. इस राजवंश के संस्थापक थे चंद्रगुप्त मौर्य. इस राजवंश ने अपने शासनकाल में कई ऐसे कार्य किए और व्यवस्थाएं बनाई, जो इतिहास में कभी नहीं हुई थीं और भारत को एक केंद्रीय शासन के अधीन लाया.

कौन था चंद्रगुप्त?

चंद्रगुप्त मौर्य की जाति के बारे में इतिहासकारों में मतभेद है. कई ग्रंथों में भी उसकी जाति पर विवाद है.विशाखदत्त के मुद्राराक्षस में उसे क्षत्रिय बताया गया है, जबकि यूनानी राजदूत मेगस्थनीज ने जो चंद्रगुप्त के दरबार में आया था, उसे निम्न जाति का बताया है. इस बात पर सभी इतिहासकार सहमत दिखते हैं कि चंद्रगुप्त मौर्य ने आचार्य चाणक्य की देखरेख और मदद से मगध के अंतिम शासक धनानंद की हत्या करके उसके आतंक और भ्रष्टाचारी शासन से मुक्ति दिलाई थी. चंद्रगुप्त मौर्य मगध का ही निवासी था, जिसे प्रशिक्षित करने के लिए आचार्य चाणक्य मगध से तक्षशिला लेकर गए थे. मौर्य वंश के शासनकाल के दौरान कई नवीन प्रयोग किए, जिनमें विषकन्या का भी जिक्र आता है.

किसे कहते थे विषकन्या?

चाणक्य-और-विषकन्या

विषकन्या दरअसल महिला जासूस होती थीं, जिनका प्रयोग राजनीतिक कार्यों के लिए किया जाता था. विषकन्या की सोच आचार्य चाणक्य की थी और उन्होंने इनका प्रयोग मगध के दुश्मनों पर किया. कौटिल्य के अर्थशास्त्र के 14वें अध्याय में विषकन्याओं का जिक्र मिलता है जिनके बारे में लिखा गया-‘तस्या: सन्निकर्षमागते शत्रौ चन्द्रार्कसन्निकाश्या रूपवतीं विषवतीं प्रयोजयेत्।’ यानी जब दुश्मन निकट आए, तो उसका संपर्क सौंदर्य में चंद्रमा के समान लेकिन विषैली विषकन्या अर्थात स्त्री से संपर्क कराया जाए. इस श्लोक से यह साफ है कि चाणक्य किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विषकन्याओं का प्रयोग करते थे.

कैसे बनाई जाती थीं विषकन्या

विषकन्या वह स्त्री होती थी, जिसे बचपन से ही बहुत कम मात्रा में जहर दिया जाता था. उसके भोजन में कम-कम मात्रा में जहर देकर उसके शरीर को विषैला बनाया जाता था. प्रतिदिन जहर का प्रयोग करने से उन महिलाओं की जहर की आदत हो जाती थी और उनकी मृत्यु जहर के प्रभाव से नहीं होती है, जबकि जो व्यक्ति उस महिला के संपर्क में आएगा, फिर चाहे वह स्पर्श हो, चुंबन हो या शारीरिक संबंध हो, तो उसकी मौत हो जाएगी. 

विषकन्या का चयन कैसे होता था

विषकन्या के लिए उन लड़कियों का चयन किया जाता था, जो गरीब हो, जिनका आगे-पीछे कोई ना हो. फिर उन्हें राज्य अपने संरक्षण में ले लेता था और उनका प्रशिक्षण शुरू होता था. विषकन्याएं नृत्य-संगीत में पारंगत होती थीं, ताकि कोई भी उनके आकर्षण में फंस जाए. चूंकि वे जासूस होती थीं इसलिए उन्हें राजनीतिक मुद्दों की समझ भी होती थीं. जहां युद्धनीति से काम नहीं चलता था, वहां विषकन्याओं का प्रयोग आचार्य चाणक्य ने किया. 

मौर्य वंश के दौरान ही पहली बार विषकन्या का चलन सामने आया

आचार्य चाणक्य जो राजनीतिशास्त्र के महाज्ञाता थे, उन्होंने विषकन्या का प्रयोग शत्रुओं के खिलाफ शुरू किया था, बाद में भी विषकन्याओं का जिक्र मिलता है, लेकिन समय के साथ विषकन्याओं का अस्त्र के रूप में प्रयोग बंद हो गया. लेकिन यह कहा जा सकता है कि विषकन्या मौर्य साम्राज्य की अनूठी खोज थी.

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