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Mahakumbh 2025: महाकुंभ में इस दिन शाही स्नान करेगा जूना अखाड़ा, जानें तिथि

Mahakumbh 2025: महाकुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समारोह है. इसमें करोड़ों श्रद्धालु व पर्यटक पहुंचते हैं. इनके अलावा कुंभ में विभिन्न अखाड़ों की परंपराओं से भी रूबरू होने मौका मिलता है. हिंदू संतों के 13 अखाड़े हैं. इनमें शैव सन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े, बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े, उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं.

Mahakumbh 2025: अखाड़ा का नाम आते ही पहलवानी और कुश्ती का ध्यान आता है. लेकिन कुंभ मेला के नजदीक आते हैं साधु-संतो, महंतों के अखाड़ों की चर्चा होने लगती है. कुंभ, अर्द्ध कुंभ, महाकुंभ में इनके शाही स्नान, शाही सवारी, रथ, हाथी-घोड़े, घंटे, नगाड़े, तलवार, त्रिशूल के साथ निकलने वाली शोभा यात्राएं कौतुहल का विषय हैं. इन्हें देखने के लिए श्रद्धालुओं के अलावा देश-विदेश से पर्यटक कुंभ मेला में पहुंचते हैं. इनकी जीवनशैली को समझने की कोशिश करते हैं. कुंभ मेला में इनकी शान देखकर सभी अभिभूत हो जाते हैं.

कुल 13 अखाड़े

मान्यता है कि शुरुआत में 4 प्रमुख अखाड़े थे. शंकराचार्य ने 8वीं सदी में इन अखाड़ों की स्थापना की थी. लेकिन समय के साथ इनकी शाखाएं बढ़ीं और अखाड़ों की संख्या 13 हो गई. वर्तमान में हिंदू साधु-संतों के 13 अखाड़े हैं. इनमें शैव सन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े, वैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े, उदासीन संप्रदाय के 4 अखाड़े हैं. शैव अखाड़े जो भगवान शिव की भक्ति करते हैं. वैष्णव अखाड़े भगवान विष्णु की भक्ति करते हैं. उदासीन अखाड़े पंचतत्व यानी धरती, अग्नि, वायु, जल और आकाश की उपासना करते हैं. सभी 13 अखाड़ों की एक परिषद होती है. इसमें हर अखाड़े से दो-दो प्रतिनिधि होते हैं. ये सभी मिलकर अखाड़ों में समन्वय स्थापित करते हैं. 1954 में कुंभ मेला को दौरान मची भगदड़ के बाद अखाड़ा परिषद की स्थापना की गई थी.

शैव सन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े

  • श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज प्रयाग यूपी
  • श्री पंच अटल अखाड़ा- चैक हनुमान वाराणसी यूपी
  • श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी-दारागंज प्रयाग यूपी
  • श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती-त्रयंबकेश्वर नासिक महाराष्ट्र
  • श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बड़ा हनुमान घाट वाराणसी यूपी
  • श्री पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा-दशाश्वमेघ घाट वाराणसी यूपी
  • श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा, गिरि नगर भवनाथ जूनागढ़ गुजरात

वैरागी सन्यासी संप्रदाय के 3 अखाड़े

  • श्री दिगंबर अनी अखाड़ा, सांभर कांथा, गुजरात
  • श्री निर्वाणी अनी अखाड़ा, अयोध्या, यूपी
  • श्री पंच निर्मोही अखाड़ा, मथुरा, यूपी

उदासीन सन्यासी संप्रदाय के 3 अखाड़े

  • श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा, प्रयागराज, यूपी
  • श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, कनखल हरिद्वार, उत्तराखंड
  • श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा, कनखल हरिद्वार, उत्तराखंड

सबसे बड़ा है श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा

शैव सन्यासी संप्रदाय में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा (Juna Akhada) सबसे बड़ा माना जाता है. इसकी स्थाापना सन् 1145 में बतायी जाती है. उत्तराखंड के कर्णप्रयाग में जूना अखाड़े का पहला मठ स्थापित किया गया था. इनके ईष्टदेव शिव और रुद्रावतार गुरु दत्तात्रेय भगवान हैं. इस अखाड़े का मुख्यालय वाराणसी में और आश्रम हरिद्वार के मायामंदिर में है. जूना अखाड़ा में लगभग 5 लाख नागा साधु और महामंडलेश्वर सन्यासी हैं. इन अखाड़ों में शामिल होने और दीक्षा लेने के नियम बहुत सख्त हैं. अखाड़ों में शामिल होने के बाद जो भी साधु सन्यासी इन नियमों को तोड़ता है, उन्हें अखाड़े से बाहर कर दिया जाता है. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट के द्वारा थर्ड जेंडर के रूप में किन्नरों को मान्यता देने के बाद जूना अखाड़ा ने किन्नर अखाड़े को अपने साथ जोड़ा है और उन्हें धर्म ध्वजा लगाने और शाही स्नान का मौका दिया है.

जूना अखाड़े में है लोकतंत्र

जूना अखाड़ा (Juna Akhada) में लोकतंत्र का पूरा ध्यान रखा जाता है. जूना अखाड़े का संचालन 17 सदस्यीय कमेटी करती है, आनंद भैरव मंदिर, मां मायादेवी मंदिर, श्री हरिहर महादेव पारद शिवलिंग महादेव मंदिर इसी अखाड़े के अधीन हैं. यहां 52 परिवार होते हैं. परिवार के सभी बड़े सदस्यों की एक कमेटी बनती है. ये सभी लोग अखाड़े के लिए सभापति का चुनाव करते हैं. ये चुनाव कुंभ मेला के दौरान होते हैं.

3 नवंबर को पहुंचेंगे महाकुंभ मेला क्षेत्र

श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े ने महाकुंभ 2025 में नगर प्रवेश, पेशवाई की तिथियां तय कर दी हैं. अखाड़े के महामंडलेश्वर, नागा सन्यासी, महंत, साधु सन्यासी 3 नवंबर को यम द्वितीया के दिन कुंभ मेला क्षेत्र में प्रवेश करेगी. जूना अखाड़े के प्रमुख पदाधिकारियों की मौजूदगी में महाकुंभ 2025 में नगर प्रवेश, धर्म ध्वजा पूजन, नागा सन्यासियों के लिए लगाए जाने वाले शिविर के लिए भूमि आवंटन और शिविर में प्रवेश की तिथियों का निर्धारण किया गया है. अखाड़े के नागा सन्यासी, मठाधीश, महामंडलेश्वर तीन नवंबर को रमता पंच की अगुवाई में बैंड-बाजा, पालकियों और जुलूस के साथ नगर प्रवेश करेंगे. 23 नवंबर को कुंभ मेला छावनी में काल भैरव अष्टमी के दिन आवंटित भूमि का पूजन करके धर्म ध्वजा स्थापित की जाएगी. 14 दिसंबर को अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि के नेतृत्व में जूना अखाड़ा पेशवाई निकालेगा. 13 जनवरी को पहले शाही स्नान से पहले पूजा के बाद शोभायात्रा निकाली जाएगी.

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