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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान, अब सीट शेयरिंग और सीएम फेस पर माथापच्ची

Maharashtra Election Date : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही सीट शेयरिंग और सीएम फेस को लेकर माथापच्ची शुरू हो गई है. कांग्रेस किसी भी कीमत पर महाराष्ट्र को हाथ से निकलने नहीं देना चाहती है, लोकसभा चुनाव के परिणाम उनके लिए उत्साहवर्धक रहे हैं. कांग्रेस महा विकास अघाड़ी का नेतृत्व करना चाहती है और उसकी नजर सीएम की कुर्सी पर भी है, लेकिन शिवसेना भी सीएम की कुर्सी पर नजरें गड़ाए है. इस स्थिति में किस तरह महाराष्ट्र में सीटों का बंटवारा होगा और गठबंधन किस तरह एकजुट रहेगा, इसपर केंद्रित यह आलेख

Maharashtra Assembly election date : चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. तारीखों की घोषणा के साथ ही राजनीतिक दल रेस हो गए हैं और जिस बात को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वो है चुनाव के दौरान पार्टियों के बीच सीट शेयरिंग. हाल ही में संपन्न हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने अपनी पार्टी को ताकीद किया है कि वे ओवर काॅन्फिडेंस में ना रहें, अन्यथा महाराष्ट्र भी उनके हाथ से निकल सकता है.

 राहुल गांधी ने पार्टी के लोगों को सलाह दी है कि वे पूरी मेहनत से काम करें और पूरी एकजुटता के साथ प्रदेश में पार्टी को जिताने में अपना योगदान दें. महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों ने बेहतर प्रदर्शन किया था और कांग्रेस पार्टी उसी प्रदर्शन के भरोसे विधानसभा चुनाव में भी बाजी मारना चाहती है. लेकिन यह बड़ा सवाल यह है कि विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी का सीट शेयरिंग का फाॅर्मूला क्या होगा?

लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी ने जीते थे 30 सीट

महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं, जिनमें से 30 पर महाविकास अघाड़ी को विजय मिली थी, जिसमें से 13 सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की, शिव सेना(उद्धव ठाकरे गुट) 9 और एनसीपी (शरद पवार) ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी. गठबंधन को कुल 25 सीटों का फायदा हुआ, जबकि कांग्रेस को 12 सीटों का फायदा हुआ. बीजेपी के लिए यह चुनाव बड़ा झटका था, उसे कुल 14 सीटों का नुकसान हुआ था. 

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कैसे होगी सीट शेयरिंग?

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान, अब सीट शेयरिंग और सीएम फेस पर माथापच्ची 2

लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उसे विधानसभा चुनाव में दोहराने के लिए उसे सीटों की शेयरिंग बहुत सोच-समझकर कर करनी होगी. इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि किस सीट पर कौन सी पार्टी मजबूत है और कहां किस पार्टी को लाभ मिल सकता है. चुनाव परिणामों पर गौर करें, तो विदर्भ के इलाके में कांग्रेस मजबूत नजर आती है, उसने इस इलाके में कुल पांच सीटें जीती हैं और उसे कुल चार सीटों का फायदा हुआ है. वहीं मराठवाड़ा में कांग्रेस और शिवसेना दोनों ही अच्छी स्थिति में नजर आ रही है. उन्हें कुल तीन और चार सीटें मिली थीं. पश्चिमी महाराष्ट्र में एनसीपी मजबूत नजर आ रही है. कांग्रेस के खेमे से जो खबरें छनकर आ रही हैं उसके अनुसार महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस किसी भी तरह की गलती करने के मूड में नहीं है. यही वजह है कि पार्टी वैसे विधायकों की लिस्ट बना रही है, जिसकी रिपोर्ट अच्छी नहीं है. सूचना है कि कई दिग्गजों का टिकट भी कट सकता है. पार्टी उन विधायकों को कतई टिकट नहीं देगी जिनके खिलाफ एंटी इंकमबेंसी नजर आ रही है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : सीट शेयरिंग में क्या हो सकती है बाधा?

लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस पार्टी एक बार फिर जीवित हुई है और वह इस कोशिश में है कि वह अपनी पुरानी प्रतिष्ठा हासिल करे. यही वजह है कि कांग्रेस महाविकास अघाड़ी में अपनी प्रमुखता बनाकर रखना चाहती है. महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 110-115 पर कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहती है. वह यह चाहती है कि शिवसेना 90 से 95 और एनसीपी 80-85 सीट पर चुनाव लड़े. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और वह 13 में जीती थी. लेकिन चुनौती यह है कि शिवसेना और एनसीपी उसके इस फाॅमूर्ले पर सहमत हो जाए. 

मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भी महाविकास अघाड़ी में थोड़ा विवाद है. शिवसेना यह चाहती है कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया जाए, लेकिन अपने बेहतर प्रदर्शन से आशान्वित कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है. उसे यह लगता है कि वह अभी की-पोस्ट हासिल करने की स्थिति में है और इस अवसर को वह खोना नहीं चाहती है. यही वजह है कि कांग्रेस चुनाव के बाद ही सीएम फेस पर अपना पत्ता खोलने के मूड में है. 

इस स्थिति में महा विकास अघाड़ी के लिए बड़ी चुनौती है कि वह अपने घटक दलों को साथ लेकर चले, अन्यथा वह बीजेपी को हराने की जिम्मेदारी सही तरीके से निभा नहीं पाएगी. महा विकास अघाड़ी अगर एकजुट रहा और चुनावी कैंपेन में उनकी एकजुटता नजर आई तो यह उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित होने वाला है.

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