Maldives U-TURN Towards India : भारत और मालदीव के बीच छह सितंबर को पांचवां रक्षा सहयोग संवाद नई दिल्ली में हुआ. इसमें भारत का प्रतिनिधित्व रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और मालदीव का प्रतिनिधित्व वहां की रक्षा सेवाओं के प्रमुख जनरल इब्राहिम हिल्मी ने किया.
बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को बेहतर बनाने और चल रही रक्षा परियोजनाओं को तेज करने पर बल दिया गया.
Maldives U-TURN Towards India : भारत और मालदीव की सेनाएं करेंगी संयुक्त अभ्यास
भारत और मालदीव की सेनाएं जल्दी ही संयुक्त सैनिक अभ्यास करेंगी. इस पर दोनों पक्षों में सहमति बन गई है. हालांकि इसका समय अभी तय नहीं हुआ है. समान हित वाले क्षेत्रों में उच्च स्तरीय क्षमता विकास वाली परियोजनाओं को लेकर आदान-प्रदान तय किया गया. हिंद महासागर क्षेत्र में दोनों पक्षों ने साझा हितों वाले मुद्दों पर एक-दूसरे का साथ सहयोग और समृद्धि लाने की दूसरी संभावनाओं पर भी देने का निश्चय किया.
Maldives U-TURN Towards India : अबूझ पहेली की तरह है मालदीव का यह यू-टर्न
भारत और मालदीव के बीच भले ही यह पांचवां रक्षा सहयोग संवाद है, फिर भी इसे लेकर कुछ खास तरह की अबूझ पहेली है, जो लोगों के जेहन में बार-बार टकरा रही है. सामरिक पंडितों की पेशानी पर बल इसलिए भी पड़ रहे हैं कि अंतर्राष्ट्रीय़ परिस्थितियों में ऐसा कोई बदलाव नहीं हुआ है कि लगभग साल भर से आंख तरेरता मालदीव इस तरह झुक जाए.
Maldives U-TURN Towards India : क्या मसला केवल भारतीय पर्यटकों की बेरुखी तक सीमित है?
कई कूटनीतिक विशेषज्ञों का तो यहां तक मानना है कि भारत और मालदीव के बीच तल्खी का असर मालदीव के पर्यटन पर पड़ा है. इस कारण वहां की अर्थव्यवस्था का बंटाधार हो रहा है. भारतीय पर्यटक लक्षद्वीप वाले विकल्प की ओर ज्यादा गौर कर रहे हैं. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जु ने भारत में बॉयकॉट मालदीव कैंपेन के दौरान चीन के पर्यटकों से इसकी भरपाई करने की अपील की थी.
Maldives U-TURN Towards India : मालदीव को कहीं चीन का डर तो नहीं सता रहा ?
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जु के चुनाव का मुख्य मुद्दा ही मालदीव से भारत को बाहर करना था. राष्ट्रपति बनते ही उन्होंने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों की मौजूदगी में भारतीय प्रतिनिधियों को डांट पिलाई. उन्होंने साफ कहा कि जल्द से जल्द भारत मालदीव से अपने सैनिकों को हटाए. इसके बाद कई मसलों पर मालदीव के मंत्रियों ने भारत के खिलाफ बयानबाजी की.
दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ-ग्रहण समारोह में मोइज्जु के आने से पिघलनी शुरू हुई. क्योंकि यह अपेक्षा के विपरीत था. फिर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के मालदीव दौरे ने तल्खी को थोड़ा और दूर किया. रिश्तों की खाई इस तरह पटी है कि अब बात फिर से रक्षा सहयोग तक पहुंच गई है. लेकिन सवाल वही है कि भारत का स्टैंड पहले की तरह कायम है, मालदीव का क्यों बदला ? कहीं चीन का डर तो नहीं सता रहा?
Maldives U-TURN Towards India : मालदीव पछता रहा या कोई और मजबूरी?
मालदीव को चीन पर बहुत भरोसा था. यहां तक कि भारत के विरोध में बोलते हुए भी मालदीव के नेता चीन से सहयोग मिलने की बात करते थे. पर मालदीव को धक्का यह लगा कि भारतीय पर्यटकों की मालदीव से बेरुखी को पाटने के लिए चीन ने कोई मदद नहीं की.
दूसरी और विकास परियोजनाओं में चीन की मदद मिलने की राह में बहुत धोखे हैं. यह मालदीव के नेता देख चुके हैं. क्योंकि, चीन के कर्ज जाल में फंसने वाले देशों की संप्रभुता चीन के हाथों में गिरवी पड़ जाती है. मालदीव श्रीलंका समेत दुनिया के ऐसे कई देशों का हश्र देख चुका है. मालदीव की खस्ताहाल होती अर्थव्यवस्था भी लगभग उसी राह पर है. ऐसी हालत से निजात दिलाने के लिए मालदीव को चीन की जगह भारत ज्यादा भरोसेमंद मालूम पड़ रहा है.