Monkeypox virus: कई देशों में फैला मंकीपॉक्स, जानें बचने के उपाय
मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है. मंकी पॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलता था, लेकिन अब यह इंसानों-से-इंसानों में भी फैल रहा है. यह वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिये शरीर में प्रवेश करता है.
Monkeypox virus: अफ्रीका में संक्रामक मंकी पॉक्स (एमपॉक्स वायरस) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. वहीं अफ्रीका से बाहर भी कुछ देशों में एमपॉक्स के मामले दर्ज किये गये हैं. इसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है. हालांकि, अपने देश में अभी तक इसका कोई मामला नहीं मिला है, लेकिन इसको लेकर सतर्कता जरूरी है.
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक (एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में फैलने वाली) बीमारी है. यह बीमारी मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमण के कारण होती है, जो पॉक्सविरिडाइ फैमिली के ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से आता है. ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस में चेचक (स्मालपॉक्स) और काउपॉक्स बीमारी फैलाने वाले वायरस भी आते हैं. वर्ष 1958 में रिसर्च के लिए तैयार की गयीं बंदरों की बस्तियों में यह वायरस सामने आया था और इससे पॉक्स जैसी बीमारी होना पाया गया था.
कैसे फैलता है यह वायरस
मंकीपॉक्स से संक्रमित किसी जानवर या इंसान के संपर्क में आने पर कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है. मंकी पॉक्स जानवरों से इंसानों में फैलता था, लेकिन अब यह इंसानों-से-इंसानों में भी फैल रहा है. यह वायरस टूटी त्वचा, सांस और मुंह के जरिये शरीर में प्रवेश करता है. छींक या खांसी के दौरान निकलने वाली बड़ी श्वसन बूंदों से भी इसका प्रसार हो सकता है. इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक जैसे होते हैं. शुरुआत में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और पीठ में दर्द, थकावट होती है और तीन दिन में शरीर पर दाने निकलने लग जाते हैं. मंकी पॉक्स उन वस्तुओं को छूने से भी फैल सकता है, जिसका कि संक्रमित शख्स ने इस्तेमाल किया हो, जैसे कि बिस्तर, कपड़े और तौलिया.
इस वायरस के तीन स्ट्रेन
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वायरस के तीन स्ट्रेन मुख्यतौर पर फैल रहे हैं. क्लेड-1 मध्य अफ्रीका में एंडेमिक है. यानी वहीं सीमित है. इसके अलावा क्लेड-2 को कम घातक माना जाता है. वहीं इस बार फैले क्लैड-आइबी नया और अधिक संक्रामक है. मंकी पॉक्स कीनिया, रवांडा, युगांडा और बुरुंडी के साथ स्वीडन, पाकिस्तान जैसे देशों में फैल गया है, जहां ये आमतौर पर स्थानिक नहीं है.
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दो से चार सप्ताह में खत्म हो जाते हैं लक्षण
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स वायरस स्मॉलपॉक्स और चिकनपॉक्स वायरस की तुलना में कम खतरनाक होता है और इसके ज्यादा गंभीर लक्षण नहीं होते हैं. मंकीपॉक्स में शरीर पर दाने होते हैं और उनमें से तरल पदार्थ निकलता है. हालांकि, इनमें कम दर्द होता है, लेकिन उनमें सूजन रहती है. इन चकत्तों में अधिक खुजली या दर्द हो सकता है. संक्रमण आमतौर पर खुद ठीक हो जाता है और 14 से 21 दिनों के बीच रहता है.
किन लोगों को संक्रमण का खतरा अधिक
एम पॉक्स के अधिकांश मामले उन लोगों में पाये जाते हैं, जो लोग एक से अधिक पार्टनर रखते हैं या नये पार्टनर रखते हैं, उनके लिए सबसे अधिक जोखिम होता है. हालांकि, संक्रमण उनको भी हो सकता है, जो किसी ऐसे व्यक्ति से संपर्क में हो, जिसमें लक्षण हों.
इन बातों का रखें खास ख्याल
- किसी भी इंसान में मंकीपॉक्स जैसे कोई भी लक्षण दिखने पर उससे स्किन-टू-स्किन, फेस-टू-फेस और फिजिकल कॉन्टैक्ट बिलकुल न करें. मरीज के थोड़ा भी करीब आने पर मास्क पहनें और हाथ धोएं.
- मंकीपॉक्स के लक्षणों में पूरे शरीर पर मवाद से भरे दाने, बुखार, सूजी हुई लिंफ नोड्स, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान शामिल हैं.
- डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, जिनके घर में चूहे और गिलहरी जैसे रोडेंट्स हैं, वे इन जानवरों से डाइरेक्ट कॉन्टैक्ट में आने से बचें.
- वहीं, जिन मरीजों के घर में कुत्ते और बिल्ली हैं, उन्हें भी जानवरों को आइसोलेशन में रखकर रेगुलर वेट चेकअप कराने होंगे. दरअसल, यह बीमारी जानवरों और इंसानों दोनों में फैल सकती है.
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