National News : ‘मेक इन इंडिया’ पहल भारत को आयात आधारित देश से वैश्विक विनिर्माण के केंद्र में बदलने की आधारशिला रही है. औद्योगिक क्षमताओं को बढ़ाने, नवाचार को बढ़ावा देने और विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जोर देने के साथ, इस पहल का लक्ष्य भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना है. इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए सरकार ने अनेक महत्पूर्ण उपाय किये हैं, जो देश के आर्थिक विकास को गति देने के साथ ही रोजगार का सृजन भी कर रहे हैं.
उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना
देश की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की लागत के साथ पीएलआइ योजना शुरू की गयी थी. इलेक्ट्रॉनिक, मोबाइल, फार्मास्युटिकल, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल समेत 14 क्षेत्रों के लिए शुरू की गयी इस योजना का उद्देश्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में निवेश और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है. वर्ष 2020 में शुरू की गयी इस योजना के परिणामस्वरूप जून 2024 तक देश में 1.32 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है और विनिर्माण उत्पादन में 10.90 लाख करोड़ की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है. इस पहल के कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 8.5 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं.
पीएम गति शक्ति
तेरह अक्तूबर, 2021 को लॉन्च की गयी, पीएम गति शक्ति एक रणनीतिक पहल है जिसका उद्देश्य मल्टीमॉडल और लास्ट-मील कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के माध्यम से 2025 तक आत्मनिर्भर भारत और पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करना है. इसके तहत लोगों, वस्तुओं और सेवाओं को परिवहन के एक साधन से दूसरे साधन तक ले जाने के लिए एकीकृत और निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करने के साथ ही लोगों की यात्रा में लगने वाले समय को कम करना है.
सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम का विकास
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021 में 76,000 करोड़ रुपये की लागत के साथ सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम को मंजूरी दी थी. इस कार्यक्रम का उद्देश्य पूंजी समर्थन और तकनीकी सहयोग की सुविधा देकर सेमीकंडक्टर और डिसप्ले विनिर्माण को बढ़ावा देना है.
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी)
लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने और दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से 17 सितंबर, 2022 में शुरू की गयी एनएलपी, भारतीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की कुंजी है. एनएलपी का लक्ष्य एक एकीकृत, कुशल और टिकाऊ लॉजिस्टिक्स नेटवर्क के माध्यम से आर्थिक विकास और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना है.
औद्योगिक गलियारा और बुनियादी ढांचा
राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम का लक्ष्य स्मार्ट सिटी और उन्नत औद्योगिक केंद्र का निर्माण करना है. यह सशक्त मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी के साथ एकीकृत औद्योगिक गलियारे के विकास और विनिर्माण एवं व्यवस्थित शहरीकरण को बढ़ावा देने पर केंद्रित है. इस कार्यक्रम के तहत 11 औद्योगिक गलियारों के विकास के लिए 28,602 करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश के साथ 12 नयी परियोजनाओं को हाल ही में कैबिनेट की मंजूरी मिली है.
स्टार्ट-अप इंडिया को बढ़ावा
नवाचार को बढ़ावा देने और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के उद्देश्य से सरकार ने 16 जनवरी, 2016 को स्टार्ट-अप इंडिया की शुरुआत की थी. इस पहल के तहत सरकार के निरंतर प्रयासों से 25 सितंबर, 2024 तक मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप की संख्या बढ़कर 1,48,931 हो गयी है , जिससे 15.5 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं.
कर सुधार (जीएसटी)
एक जुलाई, 2017 को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का कार्यान्वयन भारत के कर सुधार की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है, विशेषकर मेक इन इंडिया पहल के संदर्भ में. जीएसटी ने देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक समान बाजार में एकीकृत किया, कर संरचना को सरल बनाया और अनके करों का जो व्यापक प्रभाव पड़ता था, उसे कम किया. इससे उत्पादन लागत कम हो गयी है, जिससे स्थानीय विनिर्माण अधिक प्रतिस्पर्धी हो गया है.
एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआइ)
भारत की एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआइ) वैश्विक डिजिटल भुगतान परिदृश्य में अग्रणी बनकर उभरा है. ग्लोबल रीयल टाइम भुगतान के मामले में भारत की हिस्सेदारी बढ़कर 46 प्रतिशत हो गयी है. अप्रैल से जुलाई 2024 के बीच यूपीआइ के जरिये लगभग 81 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है.
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