Potato Price : आलू की कीमत 40-50 रुपए प्रति किलो तक पहुंची, बंगाल को क्यों दोषी ठहरा रहे ओडिशा और झारखंड?

Potato Crisis : भारत में आलू भले ही दक्षिण अमेरिका से आया हो, लेकिन इसका स्वाद भारतीयों की जीभ पर इस कदर चढ़ा है कि शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जब रसोई में आलू ना पकाया जाता हो. दुनिया के तमाम देशों के बीच भारत आलू का चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. लेकिन विगत कुछ महीनों से आलू की कीमत में बेहताशा वृद्धि हुई है. इस सीजन में जहां आलू की कीमत 15-20 रुपए प्रति किलो रहती थी, वो 40-50 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गयी है.

By Rajneesh Anand | December 6, 2024 8:52 PM
an image

Potato Price : आलू की बेतहाशा बढ़ती कीमतों की वजह से बंगाल सरकार से कई राज्य सरकारें नाराज दिख रही हैं, जिनमें झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं. ओडिशा सरकार ने तो सीधे तौर पर बंगाल की ममता सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि वे प्रदेश की बीजेपी सरकार को बदनाम करने के लिए आलू की नकली कमी की स्थिति उत्पन्न कर रही हैं. वहीं बंगाल सरकार की ओर से यह कहा गया है कि बंगाल के बाजारों में आलू की बढ़ती कीमत को नियंत्रित करने के लिए ही प्रदेश सरकार ने अन्य राज्यों को आलू नहीं देने का फैसला किया है. 

बंगाल सरकार के फैसले की वजह से झारखंड-बंगाल सीमा और ओडिशा-बंगाल सीमा पर कई ट्रकों को रोका गया और वहां से आलू को वापस भेज दिया गया. कई ट्रक अभी भी सीमा पर खड़े हैं, जिनमें आलू सड़ रहे हैं. क्या आलू का यह संकट महज दो विरोधी पार्टियों के बीच छिड़ा विवाद है, या इसके पीछे वजह कुछ और है? दरअसल ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों को आलू की आपूर्ति बंगाल से ही होती है, लेकिन बंगाल सरकार ने इन राज्यों को आलू देना बंद कर दिया है जिसकी वजह से यहां आलू का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है और कीमतें आसमान को छू रही हैं.

आलू का संकट क्यों उत्पन्न हुआ?

जनवरी 2024 से ही आलू की कीमत में तेजी

देश में आलू की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार आलू की कीमत में वृद्धि की शुरुआत इस साल के जनवरी महीने से ही हो गई थी और दिसंबर में स्थिति यह है कि 60 फीसदी तक आलू की कीमत में बढ़ोतरी हो गई है. आलू की कीमत में इजाफा क्यों हो रहा है यह जानने की कोशिश करने पर जो बात सबसे पहले सामने आती है वो है उत्पादन में कमी. 2023-24 के आंकड़ों के अनुसार आलू के उत्पादन में वर्ष 2022-23 की तुलना में 5.6 प्रतिशत की गिरावट आई है. 2022-23 जहां आलू का उत्पादन 601 लाख मीट्रिक टन हुआ था, वह 2023-24 में घटकर 567 लाख मीट्रिक टन रह गया. चूंकि 2022-23 में आलू की कीमत कम रही थी इसलिए वर्तमान फसल वर्ष में किसानों ने इसकी खेती कम क्षेत्र में की थी, हालांकि क्षेत्र का यह अंतर बहुत अधिक नहीं था.

Also Read : Integration of 565 Princely States 3: जूनागढ़ के रंगीन मिजाज नवाब महाबतखान ने भारत को धोखा देकर पाकिस्तान के साथ जाने का किया था फैसला

Integration of 565 Princely States : कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत को एक करने की राह में बाधा था माउंटबेटन प्लान

विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें

भारत में आलू का उत्पादन कितना होता है?

सबसे लोकप्रिय सब्जी है आलू

विश्व के तमाम देशों में चीन के बाद भारत आलू का सबसे बड़ा उत्पादक है. आलू के उत्पादन में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है. सरकारी आंकड़ों की मानें तो 1991-92 से 2020-21 के बीच आलू की खेती 11 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22 लाख हेक्टेयर में होने लगी है. वहीं उत्पादन में वृद्धि की बात करें तो इसमें तीन गुना वृद्धि हुई है. देश में आलू का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है और दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल है. ये दोनों राज्य मिलकर आधे देश में आलू की आपूर्ति करते हैं. 2022-23 से 2023-24 की तुलना करें तो दोनों ही राज्य में आलू के उत्पादन में कमी देखी गई है. उत्तर प्रदेश की अपेक्षा बंगाल में उत्पादन में ज्यादा कमी देखी गई. बंगाल में आलू का उत्पादन 15 लाख टन घटकर 130 लाख टन रह गया है. भारत में उत्तर प्रदेश और बंगाल के अतिरिक्त बिहार, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, असम, झारखंड और मध्यप्रदेश में भी आलू की खेती होती है, लेकिन इन राज्यों में जरूरत के हिसाब से उत्पादन कम होता है, जिसकी वजह से इन्हें यूपी और बंगाल की शरण लेनी पड़ती है.

आलू की कीमत का क्या है गणित?

आलू एक ऐसी सब्जी है, जिसकी कीमत मौसम के अनुसार बदलती रहती है. सर्दियों में आलू की कीमत कम होती होती है क्योंकि इस समय इसकी नई फसल बाजार में मौजूद रहती है, जबकि गर्मी और बारिश के मौसम में हमें स्टोरेज का आलू उपलब्ध होता है इसलिए उस वक्त कीमतें बढ़ जाती हैं. आलू के उत्पादन में कमी होने की वजह से पूरे देश में ही आलू की कीमत में वृद्धि नजर आ रही है. इस सप्ताह आलू की कीमत औसतन 38 रुपए किलो पूरे देश में देखी गई थी.

राज्यों के बीच जंग की वजह है राजनीतिक

झारखंड और ओडिशा में आलू की कीमत को लेकर जनता परेशान है. वहीं बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट कहा है कि वे पहले अपने राज्य में आलू की कमी को पूरा करेंगी, उसके बाद ही वे अन्य राज्यों को आलू उपलब्ध कराएंगी. उनके इस फैसले से झारखंड और ओडिशा में आलू की कमी हो गई है और वे बंगाल सरकार से आलू की मांग कर रही हैं, क्योंकि आलू एक ऐसी सब्जी है, जिसका प्रयोग खास और आम सभी रसोई में होता है. आलू की कीमत बढ़ने से सरकारों की प्रतिष्ठा पर भी आघात होता है. बस इसी वजह से सरकारें यह नहीं चाहती हैं कि आलू की कीमत बढ़े और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है.

Also Read :  Integration of 565 Princely States 2 : हैदराबाद के निजाम के शागिर्द ने पटेल से कहा था सरदार होंगे आप दिल्ली के… ऐसे टूटा घमंड

Exit mobile version