Predator Drones: प्रीडेटर ड्रोन या फिर एमक्यू-9बी हंटर किलर इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. ये वही ड्रोन है जिससे अमेरिकी सेना ने 2022 में अलकायदा नेता आयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया था. इसे भारतीय सेना की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए अमेरिका से खरीदा जा रहा है. इससे चीन व पाकिस्तान बॉर्डर पर निगरानी आसान हो सकेगी. यही नहीं इस ड्रोन का इस्तेमाल हमले के लिए भी किया जा सकेगा.
तीनों सेनाओं की बढ़ाएंगे मारक और निगरानी क्षमता
भारतीय सेना को अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन (Predator Drones) मिलेंगे. इसकी कीमत 32 हजार करोड़ रुपये बताई जा रही है. इस डील के तहत भारतीय नौसेना को 15 सी गार्डियन ड्रेन मिलेंगे. जबकि वायु सेना और थल सेना को आठ-आठ स्काई गार्डियन ड्रोन मिलेंगे. इन्हें चार स्थानों चेन्नई में आईएनएस राजाली, गुजरात के पोरबंदर में तैनात किया जाएगा. यहां नौसेना के बेस हैं. इसके अलावा गोरखपुर और सरसावा एयरफोर्स बेस पर वायु सेना और थल सेना के लिए इनकी तैनाती की जाएगी.
ड्रोन में ये है खास
- 35 घंटे बिना रुके उड़ान भरने की क्षमता
- 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम
- 01 घंटे में 482 किलोमीटर तक उड़ान भरने में सक्षम
- 1900 किलोमीटर क्षेत्र की निगरानी
- 04 हेफायर मिसाइल ले जाने की क्षमता
- 450 किलोग्राम बम के साथ टारगेट को बना सकता है निशाना
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कब हुई डील
भारत सरकार से सरकार ढांचे के तहत अमेरिका से इस ड्रोन को खरीद रहा है. अमेरिका की रक्षा और विविध प्रौद्योगिककी कंपनी जनरल एटॉमिक्स से ये ड्रोन खरीदा जाएगा. इसकी लगभग 4 अरब अमेरिकी डॉलर (32 हजार करोड़ रुपये) है. बीते सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरखा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने प्रीडेटर ड्रोन की खरीद को अनुमति दी थी. इन ड्रोन के रखरखाव के लिए भारत को तकनीकी मदद दी जाएगी.
ड्रोन निभा रहे महत्वपूर्ण भूमिका
ड्रोन शांति काल और युद्ध, दोनों में ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और सटीक हमलों (Drone Attack) के लिए इनका इस्तेमाल हो रहा है. जल और वायु दोनों जगह के लिए ही ड्रोन का इस्तेमाल विभिन्न देखों की सेनाएं कर रही हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध हो या इजराइल-ईरान वॉर, हमलों के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. मानवरहित होने के कारण इनका इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है.
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