SCO News : जानिए कैसे काम करता है शंघाई सहयोग संगठन, इसके सदस्य देशों का जीडीपी में क्या है योगदान

बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर शंघाई सहयोग संगठन का महत्व बढ़ा है. यह संगठन वैश्विक जीडीपी के एक चौथाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है. जानते हैं संगठन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में...

By Aarti Srivastava | October 15, 2024 6:40 PM

SCO News : जिस तरह वैश्विक स्तर पर चुनौतियां बढ़ रही हैं और ध्रुवीकरण हो रहा है, उसे देखते हुए शंघाई सहयोग संगठन का महत्व बढ़ जाता है. यूरेशिया का यह संगठन न केवल वैश्विक दक्षिण के देशों की रक्षा, सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों को हल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वैश्विक भू-राजनीति में इसकी प्रासंगिकता भी बढ़ रही है. भारत के लिए इस संगठन का खासा महत्व है, क्योंकि इसके जरिये उसे एशिया के देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने का अवसर मिलता है. नशीले पदार्थ और आतंकवाद इस समय भारत के लिए बड़ी समस्या बन चुके हैं. इस समूह के देशों के साथ मिलकर भारत इन दोनों समस्याओं से निपटने का रास्ता तलाश सकता है.

संगठन की संरचना और कार्य प्रणाली

एससीओ की संरचना का सबसे महत्वपूर्ण अंग इसकी निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था एचएससी (हेड ऑफ स्टेट काउंसिल) है, जिसकी सहायता के लिए एक दूसरी संस्था एचजीसी (हेड ऑफ गवर्नमेंट काउंसिल) है.

राष्ट्राध्यक्षों का परिषद (हेड ऑफ स्टेट काउंसिल (एचएससी)) : यह एससीओ में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है. यह संस्था हर वर्ष सदस्य देशों में एससीओ शिखर सम्मेलन आयोजित करती है. इस बैठक का उद्देश्य एससीओ के कार्यकलाप से जुड़े सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेना और निर्देश देना होता है.

सरकार के प्रमुखों की परिषद (हेड ऑफ गवर्नमेंट काउंसिल (एचजीसी)) : यह संगठन की दूसरी सबसे बड़ी परिषद है. इस परिषद के प्रमुख वर्ष में एक बार मिलते हैं, जिसमें सदस्य बहुपक्षीय सहयोग के मुद्दों पर चर्चा करते है. यह परिषद संगठन के बजट को भी मंजूरी देती है.

विदेश मंत्रियों की परिषद : यह परिषद भी नियमित बैठकें करती है, जहां वर्तमान अंतरराष्ट्रीय स्थिति और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ एससीओ की बातचीत पर चर्चा होती है.

राष्ट्रीय समन्वयकों की परिषद : एससीओ के फ्रेमवर्क के भीतर सदस्य देशों के बहुपक्षीय सहयोग का समन्वय करती है.

इन सबके अतिरिक्त संसद के अध्यक्षों, सुरक्षा परिषदों के सचिवों, विदेश मंत्रियों, रक्षा मंत्रियों, आपातकालीन स्थितियों, अर्थव्यवस्था, परिवहन, संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रमुख, सर्वोच्च न्यायालय और मध्यस्थता न्यायालयों व अभियोजक जनरल आदि की नियमित बैठकें भी होती हैं.

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संगठन के दो निकाय भी हैं

एचएससी और एचजीसी के अतिरिक्त एससीओ के दो स्थायी निकाय भी हैं. एससीओ सचिवालय और क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) की कार्यकारी समिति.

एससीओ सचिवालय : यह संगठन का प्राथमिक निकाय है. यह संगठन से जुड़े निर्णयों और डिक्रियों, दस्तावेजों- जैसे घोषणा और एजेंडा- को लागू करने का काम करता है. यह संगठन के डॉक्यूमेंट डिपॉजिटरी के रूप में कार्य करता है. यहीं से सूचनात्मक, विश्लेसणात्मक और संगठनात्मक सहायता प्रदान की जाती है. यह बीजिंग में स्थित है.

क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) : आरएटीएस की कार्यकारी समिति का मुख्यालय उज्बेकिस्तान के ताशकंद में है. यह एससीओ का एक स्थायी अंग है, जो आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद के विरुद्ध सदस्य देशों के सहयोग को बढ़ावा देता है.

एससीओ की आधिकारिक कामकाजी भाषाएं रूसी और चीनी हैं.

वैश्विक जीडीपी के 25 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है समूह

मात्र दो दशक से भी कम समय में एससीओ यूरेशियाई क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन के रूप में उभरा है. यह भूगोल और जनसंख्या के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन है. इस समूह में शामिल देश यूरेशिया के लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्रफल, विश्व की जनसंख्या का लगभग 42 प्रतिशत और वैश्विक जीडीपी में लगभग 25 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं. इतना ही नहीं, 2023 में ईरान के पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद से दुनियाभर में मौजूद तेल रिजर्व के लगभग 20 प्रतिशत और प्राकृतिक गैस के 44 प्रतिशत हिस्से पर एससीओ का नियंत्रण है.

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