Sports News : ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक के बाद एक बार फिर से पेरिस में खिलाड़ियों का जुटान हुआ है. इस बार अवसर है ग्रीष्मकालीन पैरालिंपिक खेलों का, जिसकी शुरुआत 28 अगस्त से हो चुकी है. यह खेल प्रतियोगिता आठ सितंबर तक चलेगी. बाइस खेलों के पांच सौ से अधिक स्पर्धाओं के लिए चार हजार से अधिक एथलीट अपना दमखम दिखाने यहां पहुंच चुके हैं. भारत ने भी अपना अब तक का सबसे बड़ा दल भेजा है. पैरालिंपिक से जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में जानते हैं इस बार…
क्या है पैरालिंपिक खेल
पैरालिंपिक खेल या पैरालिंपिक विकलांगों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय बहु खेल (मल्टी स्पोर्ट) आयोजन है. यह आयोजन आमतौर पर हर दो वर्ष में और लगभग ओलंपिक खेलों के तुरंत बाद होता है. पैरालिंपिक खेलों के दो संस्करण हैं- शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन खेल. इन सभी पैरालंपिक खेलों का प्रबंधन अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (आईपीसी) करती है.
अंतरराष्ट्रीय पैरालिंपिक समिति
अंतरराष्ट्रीय पैरालिंपिक समिति पैरालिंपिक का वैश्विक शासी निकाय, यानी गवर्निंग बॉडी है, जो जर्मनी के बॉन में स्थित है. बाइस सितंबर, 1989 को एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में इसकी स्थापना हुई थी. वर्तमान में इसके दो सौ से अधिक सदस्य संगठन, 183 राष्ट्रीय पैरालिंपिक कमेटी, 17 अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन, पांच क्षेत्रीय संगठन और विकलांगों के खेलों के लिए तीन अंतरराष्ट्रीय संगठन हैं. वर्तमान में आईपीसी का नेतृत्व ब्राजीलियाई खेल प्रशासक और पत्रकार, एंड्रयू पार्संस कर रहे हैं. आईपीसी ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन पैरालिंपिक खेलों का प्रबंधन करता है. यह समिति नौ खेलों का अंतरराष्ट्रीय महासंघ भी है. समिति इन नौ खेलों- जिसे यह प्रबंधित करती है- के विश्व चैंपियनशिप और अन्य प्रतियोगिताओं को रेगुलेट भी करती है.
ऐसे पड़ी पैरालिंपिक खेलों की नींव
पैरालिंपिक खेलों की अनौपचारिक शुरुआत 1948 में लंदन के एक मिलिट्री अस्पताल- स्टोक मैंडविले- में तब हुई जब न्यूरोलॉजिस्ट सर लुडविग गुट्टमन ने रीढ़ की हड्डी के चोटों से जूझ रहे द्वितीय विश्व युद्ध के घायलों की स्थिति में सुधार के लिए एक खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया. उनत्तीस जुलाई, 1948 को, जिस दिन लंदन ओलिंपिक खेलों का आरंभ हुआ, उसी दिन डॉ गुट्टमन ने व्हीलचेयर एथलीटों के लिए पहली प्रतियोगिता का आयोजन किया. इस प्रतियोगिता में 16 घायल सैनिकों और महिलाओं ने तीरंदाजी प्रतियोगिता में भाग लिया. इस खेल को स्टोक मैंडविले गेम्स नाम दिया गया. यह खेल पैरालिंपिक के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ. इसके चार वर्ष बाद 1952 में इसमें हॉलैंड के प्रतियोगी शामिल हुए. स्टोक मैंडविले खेल बाद में पैरालिंपिक खेलों में बदल गये. वर्ष 1960 में रोम में पहली बार विकलांग खिलाड़ियों के लिए आधिकारिक तौर पर ओलंपिक शैली के खेल आयोजित किये गये, जिसमें 23 देशों के 400 प्रतिभागियों ने भाग लिया. तब इसमें आठ खेल शामिल थे. इसे ही पैरालिंपिक के नाम से जाना जाता है.