Table of Contents
Story Of Partition Of India 10 : पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के निजी जीवन पर पाकिस्तान में चर्चा ना के बराबर होती है. जैसे उनके निजी जीवन यानी उनकी पत्नी रतनबाई और बेटा दीना की बात करना कोई अपराध हो. जिन्ना ने सबसे पहले मुसलमानों के लिए अलग मुल्क की मांग की और देश का बंटवारा धर्म के आधार पर करवाया. उनका यह कहना था कि कांग्रेस मुसलमानों की उपेक्षा करती हैं और भारत जैसे हिंदू बहुल देश में मुसलमानों की कोई सुनने वाला नहीं है, इसलिए मुसलमानों का अलग मुल्क पाकिस्तान होना चाहिए. खुद को मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी बताने वाले मोहम्मद अली जिन्ना को इश्क हुआ एक पारसी लड़की से जो उम्र में उनसे लगभग 24 साल छोटी थी. उनके इसी इश्क की वजह से पाकिस्तान में कट्टरपंथियों की आलोचना का सामना करना पड़ा.
कौन थी रतनबाई जिससे बेपनाह मोहब्बत करते थे मोहम्मद अली जिन्ना
रतनबाई मोहम्मद अली जिन्ना की दूसरी पत्नी थीं और मुंबई के एक संपन्न एक पारसी परिवार की बेटी थीं. उनकी सुंदरता और फैशन की चर्चा पूरे मुंबई में होती थी. रतनबाई या रूट्टी अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी, वह जिन्ना से पागलों की तरह प्यार करती थी. उनके माता-पिता सर दिनशॉ पेटिट और दीनाबाई पेटिट थे. पाकिस्तानी लेखक अकबर अहमद ने अपनी किताब- Jinnah, Pakistan and Islamic Identity: The Search for Saladin में रतनबाई और जिन्ना के बारे में विस्तार से लिखा है. अकबर अहमद ने अपनी किताब में लिखा है कि पाकिस्तान के कट्टरपंथी अपने कायदे आजम की शादी एक काफिर से किए जाने के सख्त खिलाफ थे. यही वजह है कि पाकिस्तान में उनके निजी जीवन को रहस्य बनाकर रख दिया गया है. उनकी बेटी दीना वाडिया को लेकर भी लोगों में नाराजगी है, क्योंकि उसने एक ईसाई से शादी की और अपने पिता के साथ पाकिस्तान नहीं गई. दीना वाडिया ने एक पारसी लड़के नेविल वाडिया से शादी की जिसकी वजह से दीना और जिन्ना के बीच विवाद भी हुआ.
घरवालों की मर्जी के खिलाफ रतनबाई ने की जिन्ना से शादी
रतनबाई के माता-पिता यह बिलकुल भी नहीं चाहते थे कि उनकी एकमात्र संतान एक मुसलमान से शादी कर लें. इसकी वजह उनकी संस्कृति और रहन-सहन में अंतर था. लेकिन रतनबाई ने अपने माता-पिता की नहीं मानी और मोहम्मद अली जिन्ना से शादी कर ली. जिन्ना और रूट्टी की एक संतान दीना के जन्म के बाद उनका अलगाव भी हो गया था, हालांकि रूट्टी की बीमारी की वजह से दोनों एक बार फिर साथ आ गए थे. जिन्ना और रूट्टी की शादी से देशभर में हंगामा मच गया था, जिसकी वजह से बाद में रतनबाई ने इस्लाम कबूल कर लिया था, जिसकी वजह से वह मरियम जिन्ना कहलाईं.
इसे भी पढ़ें : पानीपत के 20,000 मुसलमानों की महात्मा गांधी ने बचाई जान, लेकिन उन्हें पाकिस्तान जाने से नहीं रोक सके
विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें
रतनबाई के पिता के मित्र थे मोहम्मद अली जिन्ना
जिन्ना रतनबाई के पिता के अच्छे मित्र थे और उनसे उम्र में महज तीन साल छोटे थे. वे अक्सर उनके घर आया-जाया करते थे. यहीं से जिन्ना और रतनबाई की पहचान हुई, लेकिन उनके बीच इश्क दार्जिलिंग में पनपा. उनके बीच उम्र का जो अंतर था उसकी वजह से कई बार जिन्ना परेशानी में भी आ जाते थे, लेकिन वे रतनबाई से बहुत प्यार करते थे. जिन्ना ने जब अपने मित्र यानी रतनबाई के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, तो वे आक्रामक हो गए थे और उन्हें घर से निकाल दिया था. लेकिन वे अधिक दिनों तक इस शादी को नहीं रोक पाए. शादी की उम्र होते ही रतनबाई ने अपनी मर्जी से एक सार्वजनिक कार्यक्रम में जिन्ना के साथ विवाह की घोषणा की और सारे रिश्तेदारों से नाता तोड़कर जिन्ना की हो गईं.
बेटी की जन्म के बाद जिन्ना का हो गया था अलगाव
रतनबाई की मौत युवावस्था में ही हो गई थी. वह महज 29 साल की थीं, जब एक बीमारी ने उनकी जान ले ली. पेरिस में उनका इलाज हुआ, उस दौरान जिन्ना भी उनके साथ थे, जबकि बेटी के जन्म के बाद दोनों में अलगाव हो गया था. Jinnah, Pakistan and Islamic Identity में बताया गया है कि रूट्टी उन्हें जैसे पत्र लिखती थी, उसमें उसकी चाहत थी कि उसकी मौत के वक्त जिन्ना साथ हों और उनका प्रेम बना रहे. रूट्टी की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार इस्लामिक रीति से हुआ था. जब दफन करने के लिए उसे कब्र में उतारा गया तो जिन्ना बच्चों की तरह बिलखने लगे थे. रूट्टी की मौत के बाद जिन्ना इस कदर टूटे कि उन्होंने खुद को सिर्फ मुसलमानों के लिए समर्पित कर दिया और उनके जीवन में कुछ भी शेष नहीं था.
पाकिस्तान जाने से पहले रतनबाई की कब्र पर गए थे जिन्ना
Jinnah, Pakistan and Islamic Identity के लेखक लिखते हैं कि भारत के विभाजन के बाद जब जिन्ना पाकिस्तान जाने लगे तो वे मुंबई में रतनबाई के कब्र पर गए और वहां फूल चढ़ाने के बाद वे वापस आए, तो उनका चेहरा सर्द था. वे अपनी बहन के साथ विमान पर बैठकर कराची चले गए. कराची में लाखों लोग उनके इंतजार में थे, लेकिन जब प्लेन उतरा तो जिन्ना के चेहरे पर उन्हें देखकर खुशी नहीं थी, क्योंकि वे रतनबाई को हमेशा के लिए छोड़कर आ गए थे. पाकिस्तान में उनकी तस्वीरें भी नहीं मिलती हैं, क्योंकि उन्हें काफिर माना गया था.
जिन्ना की पहली शादी मात्र 16 साल में हुई थी
मोहम्मद अली जिन्ना की बहन फातिमा जिन्ना ने अपनी किताब माई ब्रदर में लिखा है कि जिन्ना को पढ़ाई के लिए लंदन जाना था. लेकिन उनकी मां इसके लिए तैयार नहीं थी. काफी मनाने के बाद जब जिन्ना की मां उन्हें लंदन भेजने के लिए राजी हुईं, तो उन्होंने एक शर्त रखी कि इंग्लैंड जैसे देश में कुंवारे लड़के को भेजना मुनासिब नहीं है, इसलिए उनकी शादी करा दी जाए. इस बात पर मोहम्म अली जिन्ना के पिता भी राजी हो गए और जिन्ना की शादी एमीबाई से हो गई जो उस वक्त बच्ची थीं. शादी के बाद जिन्ना लंदन चले गए और महज एक साल के अंदर ही उनकी पत्नी की मौत हो गई.
इसे भी पढ़ें : History of Munda Tribes 6 : मुंडा संस्कृति में क्या है पड़हा, कैसे चलती थी पड़हा की सरकार?
जिन्ना की पत्नी रतनबाई किस धर्म की थी?
जिन्ना की पत्नी रतनबाई पारसी समुदाय की थीं.
जिन्ना की बेटी बंटवारे के बाद उनके साथ पाकिस्तान गई थीं या नहीं?
नहीं