जब मांओं ने बेटियों को जिंदा जला दिया, वक्त का ऐसा कहर जिसे सुनकर कांप जाएगी रूह
Story Of Partition Of India 2 : बंटवारा या विभाजन, इसका दंश कितना खराब हो सकता है, यह उनसे पूछिए जिन्होंने 1947 का भारत विभाजन देखा था. बूढ़े, बच्चे किसी को भी दंगाइयों ने नहीं छोड़ा, महिलाएं तो जैसे उनके लिए खिलौना थी, जिसे उन्होंने जब जैसे चाहा इस्तेमाल किया. लगभग एक लाख महिलाएं अपहरण और बलात्कार का शिकार हुईं.
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Story Of Partition Of India 2 : दृश्य 1. दर्जन भर मुसलमान गुंडे भागते हुए गली से निकलते हैं. एक ने तलवार से निरंजन सिंह की टांग घुटने के पास से काट दी. दूसरे ही क्षण उन लोगों ने उसके 90 साल के बूढ़े बाप और इकलौते पुत्र को मार डाला था. बेहोश होने से पहले उसने जो अंतिम दृश्य देखा वह यह था कि वही आदमी जिसे वह 15 साल से चाय पिलाता आया था, उसकी 18 साल की बेटी को कंधे पर लादकर लिए जा रहा था और वह डरकर चीख रही थी.
दृश्य 2.मैंने अपनी बेगम और दूसरे बेटे को साथ लिया. मरे हुए बेटे को वहीं छोड़ दिया. मैंने देखा कि दूसरी झोपड़ियों से बाहर निकलने वाले मुसलमानों को सिख अपनी गोलियों का निशाना बना रहे थे. कुछ सिख लड़कियों को अपने कंधों पर लादकर ले जा रहे थे. कुछ सिख मेरे ऊपर झपटे उन्होंने मेरी मरी हुई पत्नी को हाथों में ही घसीट लिया और मेरे दूसरे लड़के को भी गोली मार दी और मुझे वहीं धूल में मरने के लिए छोड़ गए.
दृश्य 3. प्रेम सिंह की पत्नी को जब यह विश्वास हो गया कि अब कुछ ही देर में भीड़ फाटक तोड़कर घर में घुस जाएगी, तो उसने अपनी तीन बेटियों और खुद पर मिट्टी के तेल का बड़ा डब्बा पलट दिया और गुरु नानक की दुहाई देकर अपने शरीर में आग लगा ली.
हत्या से पहले काट दिए गए महिलाओं के स्तन
यह तीन दृश्य डोमिनिक लापिएर और लैरी काॅलिन्स की किताब फ्रीडम एट नाइट से लिए गए हैं, जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यह किताब 1947 के बंटवारे की सच्ची कहानियों को समेटे है. इस किताब में एक जगह जिक्र है कि न्यूयार्क टाइम्स के अनुभवी संवाददाता राॅबर्ट ट्रमबुल ने लिखा कि मेरा हृदय कभी किसी भी चीज को देखकर इतना नहीं दहला था, जितना यहां लाशों के अंबार को देखकर दहला. खून की बारिश हो रही हो जैसे. कुछ सिरफिरे लोगों ने औरतों के स्तन काट दिए और उनकी हत्या से पहले स्तन को क्षत-विक्षत कर दिया.
लगभग एक लाख महिलाएं हुईं अपहरण का शिकार
इन घटनाओं का जिक्र सिर्फ इसलिए किया गया है ताकि उस दौर की भयावहता को समझाए जा सके. कहानी कहने और उसे झेलने में बहुत फर्क होता है. आंकड़ों की मानें तो विभाजन के दौर में दोनों ही तरफ की लगभग 75 हजार से एक लाख महिलाओं का अपहरण हुआ और उनके साथ सामूहिक बलात्कार की घटनाएं भी हुईं. यह स्थिति पूरे देश की थी, लेकिन पंजाब, बंगाल, दिल्ली और बिहार में स्थिति बहुत ही खराब थी. मुसलमान और हिंदुओं की भीड़ महिलाओं को सामान की तरह बांट लेती थी और फिर उनके साथ होता था भयानक अत्याचार.
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महिलाओं का जबरन धर्मांतरण हुआ
हिंदू और सिख महिलाओं का जिन लोगों ने अपहरण किया उन्होंने उन्हें धर्म बदलने के लिए भी मजबूर किया. कई महिलाएं घरों में बंदी की तरह रखी जाती थीं और जब जिनका मन करता, वह उनका शारीरिक शोषण कर लेता था. इनकी जिंदगी इतनी खराब हो गई थी कि वे मर भी नहीं पा रही थीं, इनमें से कुछ महिलाओं को यातना से मुक्ति के लिए धर्म परिवर्तन की सलाह दी गई, इनमें से कुछ ने उसे स्वीकार कर लिया तो कुछ ने मौत को गले लगा लिया.
थोहा खालसा गांव में महिलाओं ने आबरू बचाने के लिए कुएं में लगाई छलांग
रावलपिंडी के थोहा खालसा गांव में 90 से 100 महिलाएं अपनी इज्जत बचाने के लिए बच्चों के साथ एक कुएं में कूद गई थीं. उन्होंने मौत को गले खुशी से नहीं लगाया था, वजह यह थी कि अगर वे ऐसा नहीं करतीं, तो दुश्मनों के हत्थे चढ़कर उनकी जिंदगी इस मौत से कई गुना बदतर होने वाली थी.इस घटना के कई चश्मदीद भी हैं, जिन्होंने सोशल मीडिया में आप बीती बताई है कि किस तरह वे बच गए और उनकी मां और बहनों ने मौत को गले लगा लिया.
30 हजार महिलाओं की हुई घर वापसी
आजादी के बाद जब 1.5 करोड़ लोगों का घरबार छूट गया और वे सुरक्षित इलाकों तक पहुंच गए थे तो अपहृत महिलाओं की खोज हुई, उस वक्त सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1947 से 1956 के बीच 30 हजार महिलाओं को दोनों देशों ने पुन: वापस प्राप्त किया. कई महिलाओं ने वापस जाने से मना कर दिया, क्योंकि वे खुद को अपवित्र मान चुकी थीं और इनमें हिंदू और सिख महिलाएं ज्यादा थीं. हालांकि पाकिस्तान से 8 हजार से अधिक हिंदू और सिख महिलाएं भारत वापस आई थीं. भारत का विभाजन इतिहास का ऐसा काला अध्याय है, जिसका खौफ आज भी लोगों की आंखों में दिख जाता है.
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भारत विभाजन के वक्त कितनी महिलाओं का हुआ था अपहरण?
भारत विभाजन के वक्त लगभग एक लाख महिलाओं का हुआ था अपहरण.
आजादी के बाद कितनी महिलाओं की हुई घर वापसी?
30 हजार