झारखंड में आठ हजार टीबी मरीजों को उदार दिल दाताओं की तलाश, कैसे पूरा होगा टीबी मुक्त राज्य का सपना
झारखंड को टीबी मुक्त करने के लिए जरूरी है कि परोपकारी लोग आगे आएं. टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराएं.
TB patients need philanthropists: झारखंड के आठ हजार टीबी मरीजों को परोपकार करने वालों की तलाश है. ऐसे दाताओं की जो हर महीने उन्हें पौष्टिक भोजन उपलब्ध करा सके. क्योंकि पौष्टिक भोजन बिना उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि नहीं होगी और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े बिना टीबी की दवा ठीक से असरकारक नहीं होगी.
इसके अलावा टीबी एक संक्रामक रोग है. अगर कोई मरीज टीबी मुक्त नहीं हुआ तो वह अपने परिवार और आखिरकार मुहल्ले को भी टीबी का शिकार बना सकता है.
ऐसा नहीं है कि केवल टीबी मरीज ही उदार दिल वाले दाताओं की तलाश कर रहे हैं. राज्य सरकार भी ऐसे नेक लोगों की खोज कर रही है. पहले से भी कई कंपनियां और ट्रस्ट टीबी मरीजों के लिए भोजन का इंतजाम कर रहे हैं.
स्वास्थ्य विभाग क्यों खोज रहा दान दाता
2025 तक टीबी मुक्त झारखंड का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए जरूरी है कि इलाजरत टीबी मरीजों पर दवाएं असरकारक हो. टीबी के ज्यादातर मरीज अभावग्रस्त परिवारों से आते हैं. इस कारण ये कुपोषण के शिकार होते हैं. इनके टीबी ग्रस्त होने का बड़ा कारण इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होनाभी होता है.
झारखंड सरकार इलाजरत मरीजों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के जरिए राज्य से टीबी का उन्मूलन करना चाहती है. इसके लिए कई औद्योगिक घरानों और संसाधन संपन्न लोगों से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने संपर्क भी किया है.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कारोबारियों, परोपकारियों और संसाधन संपन्न लोगों से मिलकर अपनी क्षमता के मुताबिक एक या एक से अधिक टीबी मरीजों को गोद लेने का आग्रह कर रहे हैं.
झारखंड में पहले से भी लोग, कंपनियां या संस्थाएं टीबी मरीजों को गोद लेकर उनके लिए पौष्टिक आहार का इंतजाम कर रहे हैं. इन्हें निक्षय मित्र कहा जाता है. झारखंड में अभी तक तीन हजार निक्षय मित्र रजिस्टर्ड हैं. इनमें कंपनियों और ट्रस्टों से लेकर परिवार और निजी व्यक्ति तक हैं. भारत सरकार की निक्षय मित्र योजना के तहत इनका योगदान लिया जाता है.
टीबी मरीजों को क्या मिलता है निक्षय मित्र से
टीबी मरीजों को गोद लेने वाले निक्षय मित्रों को हर महीने साढ़े सात किलो भोज्य पदार्थ का पैकेट एक मरीज के लिए देना होता है. हर पैकेट में तीन किलो दाल, डेढ़ किलो चना, एक किलो तेल, एक किलो मूंगफली और एक किलो गुड़ रखे जाने की अपेक्षा की जाती है. स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि इन सामग्री से टीबी मरीजों की पोषण संबंधी जरूरत पूरी हो जाती है.
झारखंड में 42,870 टीबी मरीज हैं इलाजरत
झारखंड में 42,870 टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है. इन में से 32,673 टीबी मरीजों को तीन हजार निक्षय मित्र गोद ले चुके हैं. कुछ मरीजों ने दान के रूप में पौष्टिक आहार लेने से मना किया है. फिर भी सरकार का अनुमान है कि लगभग आठ हजार टीबी मरीजों को पौष्टिक आहार के लिए दाताओं की जरूरत है.
12 जिलों में सयानों को भी पड़ेगा बीसीजी टीका
टीबी मुक्त झारखंड का लक्ष्य पूरा करने के लिए सयानों को भी बीसीजी टीका देने की योजना बनाई गई है. इसकी शुरुआत सात अगस्त से होगी. इसके लिए प्रदेश के 12 जिलों का चयन किया गया है. ये जिले रांची, खूंटी, लोहरदगा, लातेहार, चतरा, रामगढ़, बोकारो, जामताड़ा, गिरिडीह, दुमका, साहेबगंज और पूर्वी सिंहभूम हैं.
टीबी मुक्त झारखंड का सपना जन अभियान बन जाना चाहिए. इसके लिए समाज के संसाधन संपन्न लोगों को आगे आकर कम से कम एक टीबी मरीज को गोद लेकर उनके लिए पौष्टिक आहार की व्यवस्था करनी चाहिए. जो लोग पहले से निक्षय मित्र हैं, उन्हें टीबी मरीजों के लिए नियमित योगदान देना चाहिए.
डॉ. कमलेश, राज्य यक्ष्मा पदाधिकारी, झारखंड
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