Tirupati Laddu Controversy: आंध्रप्रदेश में तिरुपति का मंदिर देश और दुनिया के करोड़ों हिंदुओं की सर्वोच्च आस्था का प्रतीक है. इस अपार आस्था ने ही तिरुपति को दुनिया का सबसे धनी धर्मस्थल बना दिया है.
दुनिया का शायद ही कोई हिंदू हो जिसने प्रसाद के रूप में यहां के लड्डू को ग्रहण नहीं किया हो. इसी लड्डू में फिश ऑयल और बीफ की चर्बी मिलने के खुलासे ने हंगामा बरपा दिया है.
प्रसाद की अपवित्रता का खुलासा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने किया है. सियासी व्यक्ति के खुलासे पर सियासत तो होना ही था.
चंद्रबाबू नायडू के निशाने पर उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी थे. इसलिए धर्म के सवाल पर राजनीतिक घमासान थोड़ा ज्यादा मचा है. हालांकि लड्डू की पवित्रता और इसकी सियासत दोनों का फैसला साइंस की पिच पर होना है.
Tirupati Laddu Controversy: सबसे पहले बात लड्डू पर सिय़ासत की
चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश के एनडीए विधायक दल की बैठक में 18 सितंबर को कहा कि जगनमोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार ने भगवान वेंकटेश्वर को भी नहीं बख्शा.
प्रसाद की लड्डू बनाने के लिए कम गुणवत्ता वाली सामग्री और जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया. इसके बाद भारत जैसे धर्मप्रधान देश में भूचाल तो होना ही था.
जगन मोहन रेड्डी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जगनमोहन रेड्डी ने लिखा है कि चंद्रबाबू नायडू ने सियासी लाभ के लिए झूठ बोलकर करोड़ों हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाई है.
जगन मोहन रेड्डी ने दावा किया है कि उस मिलावटी घी को अस्वीकार कर दिया गया था और तिरुपति देवस्थानम मंदिर परिसर में उस घी के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी.
Tirupati Laddu Controversy: आस्था की आंच पर कहीं सियासत की रोटी तो नहीं सेकी जा रही?
तिरुपति के लड्डू पर हुए खुलासे से आस्था तो आहत हुई ही है, परंतु सियासत ने इस घाव को ज्यादा गंभीर किया है. जगनमोहन रेड्डी ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि दूसरे धर्म का होने के कारण उन पर निशाना साधा जा रहा है.
जाहिर है कि जगनमोहन रेड्डी ईसाई धर्म के अनुयायी हैं. चंद्रबाबू नायडू के खुलासे में भी संकेत इसी ओर था. आंध्र प्रदेश के उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण तो प्रायश्चित करने भी चले गए हैं. उन्होंने जगनमोहन रेड्डी पर 219 मंदिरों को ध्वस्त करने का आरोप लगाया है.
जगनमोहन रेड्डी के मुख्यमंत्री की हैसियत से तिरुपति मंदिर परिसर में जाने पर भी काफी विवाद हुआ था. मामला कोर्ट तक पहुंचा था. उनके पिता वाई सैमुअल राजशेखऱ रेड्डी के खिलाफ राजनीतिक अभियान में भाजपा नेता ज्यादातर उन्हें ईसाई साबित करने वाले नाम सैमुअल कह कर ही आरोप लगाते थे.
राजशेखर रेड्डी पर भी मुख्यमंत्री रहते तिरुपति मंदिर परिसर में क्रॉस वाले स्तंभ लगवाने का आरोप लगा था. इसके अलावा तिरुपति देवस्थानम बोर्ड की ओर से संचालित विश्वविद्यालय में ईसाई महिला को कुलपति बनाने के भी आरोप लगे थे.
आंध्रप्रदेश की सत्तासीन सरकार आस्था पर चोट के नाम पर जगनमोहन रेड्डी की सियासत को धूल में मिलाने का बढ़िया मौका देख रही है. अब देखना यह है कि आस्था के नाम पर हो रही यह सियासत लोगों के दिलों पर लगे इस जख्म पर मरहम लगाती है या मिर्च?
Tirupati Laddu Controversy: आखिरी फैसला श्रद्धा या सियासत नहीं साइंस की पिच पर होगा?
तिरुपति मंदिर के लड्डू में स्वाद बदला हुआ महसूस होने पर इसमें प्रयोग होने वाली घी की जांच विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र के लैब में कराने का फैसला किया गया.
यहां की रिपोर्ट में पाया गया कि लड्डू के लिए घी की आपूर्ति करने वाली तमिलनाडु की कंपनी ए आर फूड्स घी में फिश ऑयल और जानवरों की चर्बी मिला रही है.
लैब की रिपोर्ट में यह विश्लेषणात्मक चेतावनी भी जारी की गई है कि ये रिपोर्ट दूसरी कंडीशन में गलत भी हो सकती है. आम तौर पर हर टेस्टिंग लैब यह लिखती है, ताकि विवाद होने पर इस तरह की चेतावनी का हवाला देकर बचा जा सके.
केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद घी के सैंपल की दूसरी लैब में भी जांच कराई जा सकती है. उस लैब को सरकारी मान्यता प्राप्त होना चाहिए. इस मामले का अंतिम रूप से फैसला कई और प्रयोगशालाओं में तुलनात्मक जांच के बाद यानी साइंस की पिच पर ही होगा.
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