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Tirupati Prasad: तिरुपति के प्रसादम् लड्डू को मिला है जीआई टैग, फिर क्यों हो गई कंट्रोवर्सी?

Tirupati Prasad: तिरुपति में भगवान वेकेंटेश्वर को भोग लगाए जाने वाले लड्डू में पशुओं की चर्बी की मिलावट का दावा आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू ने किया है. इसके बाद से प्रसादम लड्डू को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. आइए जानते हैं, लड्डू में मिलावट के पीछे की कंट्रोवर्सी...

Tirupati Prasad: तिरुपति के श्री वेंकेटेश्वर मंदिर में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanam) प्रसाद बनाने की जिम्मेदारी निभाता है. आंध्र प्रदेश में चंद्राबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ने सरकार बनाने के बाद तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के कार्यकारी अधिकारी को बदल दिया था. इसके बाद 9 जुलाई 2024 को लड्डुओं की सैंपलिंग की गई. 16 जुलाई को उसकी रिपोर्ट आई. इसमें पाया गया कि एक फर्म के घी में मिलावट पाई गई. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की प्रयोगशाला CALF की रिपोर्ट में आया कि जानवरों की चर्बी और मछली के तेल से बने घी का लड्डू बनाने में किया गया है. इसके बाद 22 जुलाई को टीटीडी ने बैठक की और 23 जुलाई को घी के नमूने लिए गए. 18 सितंबर को इसकी भी रिपोर्ट आई. इसके बाद मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू ने प्रेस कांफ्रेंस करके लड्डू के निर्माण में मिलावट की जानकारी दी.

2014 में जीआई टैग मिला

तिरुपति में भगवान वेकेंटेश्वर को चढ़ाए जाने वाले जिस प्रसादम लड्डू (Tirupati Laddu) में मिलावट की बात सामने आई है, उसे जीआई टैग मिला हुआ है. भगवान वेंकटेश्वर को चढ़ाया जाने वाला यह लड्डू वर्ष 1,715 से भक्तों को बांटा जा रहा है. प्रसादम लड्डू का वर्ष 2014 में पेटेंट और ट्रेडमार्क हुआ था. इस लड्डू को बनाने में घी, चने का आटा, चीनी, मिश्री, काजू, इलायची, किशमिश आदि का इस्तेमाल किया जाता है. अनुमान है कि हर दिन लगभग 500 किलोग्राम घी, 750 किलोग्राम काजू, 500 किलोग्राम किशमिश और 200 किलोग्राम इलायची का इस्तेमाल किया जाता है.

लड्डू बनाने के सामग्री की होती है जांच

मंदिर प्रशासन का दावा है कि लड्डू की सामग्री से लेकर इसे बनाने वालों के लिए कड़े नियम हैं. लड्डू बनाने की खाद्य सामग्री लैब में जांच के बाद ही रसोई में पहुंचती है. यह लैब प्रत्येक बैच के लड्डू की गुणवत्ता जांच करती है. उसमें काजू, चीनी और इलायची मात्रा मानक के अनुसार है कि नहीं ये देखा जाता है. लड्डू का वजन 175 ग्राम है कि नहीं, ये भी देखा जाता है. इन सब प्रक्रिया से पास होने के बाद ही पहला लड्डू भगवान को चढ़ाया जाता है. इसे बाद में भक्तों को एक-एक लड्डू बांटा जाता है. यदि किसी को लड्डू खरीदना है तो वो 50 रुपये प्रति की दर से लड्डू खरीद सकता है.

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन करेगा घी की आपूर्ति

तिरुमाला मंदिर को कर्नाटक कॉपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) शुद्ध देसी घी की आपूर्ति करता था. 2023 में कंपनी ने सस्ती दर पर घी देने से मनाकर दिया. इस पर तत्कालीन जगन मोहन रेड्डी सरकार ने 5 फर्मों को घी आपूर्ति की जिम्मेदारी दी. नई सरकार बनी तो शिकायतों के आधार पर घी की जांच हुई और गड़बड़ी सामने आ गई. टीटीडी ने तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स से आपूर्ति किए गए घी के स्टॉक को वापस कर दिया है. साथ ही ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट भी कर दिया है. इसके बाद घी की आपूर्ति के लिए कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को फिर से कहा गया है.

पूर्व पुजारी ने की थी शिकायत

तिरुपति प्रसादम विवाद (Tirupati Prasad Controversy) पर तिरुमाला मंदिर के पूर्व पुजारी रमण दीक्षितुलु ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा है कि प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले गाय के घी में बहुत सारी अशुद्धियां और गुणवत्ता में खराबी की जानकारी अधिकारियों और ट्रस्ट बोर्ड के अध्यक्ष के सामने रखी थी. लेकिन उन्होंने इसकी परवाह नहीं की.

प्रसाद की गुणवत्ता की जांच के लिए समिति गठित

मिलावट का मामला सामने आने के बाद टीटीडी ने प्रसाद की गुणवत्ता की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है. जिसमें राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान विजयवाड़ा के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. बी सुरेंद्रनाथ, डेयरी विशेषज्ञ भास्कर रेड्डी, आईआईएम बंगलुरु के प्रो. बी. महादेवन, तेलांगना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय से डॉ. जी. स्वर्णलता को शामिल किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

तिरुपति लड्डू में मिलावट के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. एडवोकेट सत्यम सिंह ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया से चिट्ठी भेजकर अनुरोध किया गया है कि वो इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें. याचिका में कहा गया है कि इस तरह का कार्य मौलिक हिंदू धार्मिक रीति-रिवाजों का उल्लंघन करता है. उन असंख्यक भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, जो कि प्रसाद को भगवना का आशीर्वाद मानकर ग्रहण करते हैं.

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