Vaishnav Akhada: महाकुंभ 2025 में वैष्णव अखाड़ों का शाही स्नान होगा अलौकिक

Vaishnav Akhada: महाकुंभ 2025 में अखाड़ों का वैभव एक अलग ही छटा बिखेरेगा. इनकी पेशवाई, शोभा यात्रा और शाही स्नान का दृश्य अलौकिक होता है. शैव के साथ ही वैष्णव अखाड़े भी महाकुंभ की शोभा बढ़ाएंगे. वैष्णव या बैरागी भगवान की विष्णु की अराधना करते हैं. वैष्णव अखाड़े जन्माष्टमी, राम नवमी और वैकुंठ एकादशी भव्यता से मनाते हैं.

By Amit Yadav | October 17, 2024 10:50 AM
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Vaishnav Akhada: वैष्णव अखाड़ों का गठन 7वीं शताब्दी के आसपास माना जाता है. ये अखाड़े भक्ति आंदोलन से प्रभावित माने जाते हैं. रामानुज, माधवाचार्य, वल्लभाचार्य प्रमुख वैष्णव संत हुए हैं. वैष्णव शिक्षा के प्रसार के लिए इन अखाड़ों की स्थापना की गई. इसके अलावा सामाजिक और शैक्षिक कार्य से भी ये अखाड़े जुड़े रहे हैं. सदियों से वैष्णव संतों ने सामुदायिक, आध्यात्मिक अभ्यास और वैष्णव शिक्षा के प्रसार कई अखाड़ों की स्थापना की. इन अखाड़ों ने अनुष्ठानों, परंपराओं, पवित्र ग्रंथों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

वैष्णव अखाड़ों की परंपरा

वैष्णव अखाड़े की परंपरा के अनुसार जब कोई नया व्यक्ति सन्यास ग्रहण करता है तो उसे तीन साल सेवा ‘टहल’ करनी होती है. इसके बाद उसे ‘मुरेटिया’ की पदवी मिलती है. टहलू के पद पर रहते हुए संत व महंतों की सेवा करनी होती है. कई साल तक सेवा के बाद उसे नागा का पद मिलता है. नागा के पास अखाड़े की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां होती हैं. जब वो इन जिम्मेदारियों पर खरा उतरता है तो उसे नागा अतीत की पदवी मिलती है. इसके बाद पुजारी का पद मिलता है. वैष्णव अखाड़े में महंत की पदवी पाने के लिए नए सन्यासी को वर्षों तक सेवा करनी होती है. पुजारी के बाद ही उन्हें महंत का पद मिलता है. वैष्णव अखाड़ों का संचालन श्री महंत की निगरानी में होता है. सभी वैष्णव अखाड़ों के अपने श्रीमहंत होते हैं. श्रीमहंत के नीचे महामंडलेश्वर होते हैं. जिन्हें खालसा कहा जाता है, ये सन्यासियों को दीक्षा देते हैं और धर्म का प्रचार-प्रचार करते हैं. कहा जाता है कि वैष्णव अखाड़ों का उदासीन अखाड़ों के साथ अच्छा समन्वय रहता है.

माथे पर विशिष्ट तिलक

वैष्णव अखाड़े के सदस्य अक्सर अपने माथे पर एक विशिष्ट तिलक लगाते हैं. जो विष्णु के प्रति उनकी भक्ति का प्रतीक है. जो चंदन से बना होता है. इसके अलावा वे तुलसी की माला (हार) पहनते हैं. जिसे पवित्र और भक्ति का प्रतीक माना जाता है. वैष्णव अखाड़े जन्माष्टमी, राम नवमी और वैकुंठ एकादशी मनाते हैं. इन त्यौहारों में अनुष्ठान, सजावट और सामुदायिक भोज होता है. इसके अलावा विष्णु से जुड़े पवित्र स्थलों जैसे वृंदावन, मथुरा और तिरुपति की तीर्थ यात्राएं अखाड़ों के सदस्य समूह में करते हैं. वैष्णव अखाड़े ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं.

ये हैं प्रमुख संत

  • रामानुज (1017-1137 ई.)- धर्मशास्त्री और दार्शनिक, रामानुज को श्री वैष्णववाद परंपरा की स्थापना का श्रेय है. इन्होंने भगवान विष्णु के प्रति भक्ति और समर्पण के मार्ग पर जोर दिया.
  • माधवाचार्य (1238-1317 ई.)- वेदांत के द्वैत (द्वैतवाद) संप्रदाय के संस्थापक माधवाचार्य ने माधव संप्रदाय की स्थापना की. जिससे कई वैष्णव अखाड़े बने. माधवाचार्य की शिक्षाएं व्यक्तिगत आत्मा और सर्वोच्च प्राणी, विष्णु के बीच शाश्वत अंतर पर केंद्रित हैं.
  • वल्लभाचार्य (1479-1531 ई.)- वल्लभाचार्य ने रुद्र संप्रदाय की स्थापना की. जो वैष्णव अखाड़ों से जुड़ा हुआ है. इनकी शिक्षाएं भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण के प्रति ईश्वरीय कृपा और बिना शर्त भक्ति की अवधारणा पर हैं.

बैरागी सन्यासी संप्रदाय के 3 अखाड़े

  • श्री दिगंबर अनी अखाड़ा, सांभर कांथा, गुजरात
    श्री निर्वाणी अनी अखाड़ा, अयोध्या, यूपी
    श्री पंच निर्मोही अखाड़ा, मथुरा, यूपी
  • श्री दिगंबर अनी अखाड़ा, सांभर कांथा, गुजरात
    इस अखाड़े का मठ श्यामलालजी, खाकचौक मंदिर, जिला सांभर कांथा, गुजरात में स्थित है. इसका दूसरा मठ दिगंबर अखाड़ा तपोवन, नासिक, महाराष्ट्र में स्थित है. इस अखाड़े के पहले संत श्रीमहंत केशवदास और दूसरे श्रीमहंत रामकिशोर दास थे.
  • श्री निर्वाणी अनी अखाड़ा, अयोध्या, यूपी
    इस अखाड़े का मठ अयोध्या हनुमान गढ़ी में है. इसके श्रीमहंत धर्मदास हैं. दूसरा मठ श्रीलंबे हनुमान मंदिर, सूरत, गुजरात में है. इसके श्रीमहंत जगन्नाथ दास हैं.
  • श्री पंच निर्मोही अखाड़ा, मथुरा, यूपी
    इस अखाड़े का मठ धीर समीर मंदिर बंशीवट वृंदावन, मथुरा में है. इसके श्रीमहंत मोहन दास हैं. दूसरा मठ श्रीजगन्नाथ मंदिर, जमालपुर अहमदाबाद, गुजरात में है. इसके श्रीमहंत राजेंद्र दास हैं.

उदासीन सन्यासी संप्रदाय के 3 अखाड़े

  • श्री पंचायती बड़ा उदासीन अखाड़ा, प्रयागराज, यूपी
  • श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, कनखल हरिद्वार, उत्तराखंड
  • श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा, कनखल हरिद्वार, उत्तराखंड

शैव सन्यासी संप्रदाय के 7 अखाड़े

  • श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी- दारागंज प्रयाग यूपी
  • श्री पंच अटल अखाड़ा- चैक हनुमान वाराणसी यूपी
  • श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी-दारागंज प्रयाग यूपी
  • श्री तपोनिधि आनंद अखाड़ा पंचायती-त्रयंबकेश्वर नासिक महाराष्ट्र
  • श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा- बड़ा हनुमान घाट वाराणसी यूपी
  • श्री पंचदशनाम आह्वान अखाड़ा-दशाश्वमेघ घाट वाराणसी यूपी
  • श्री पंचदशनाम पंच अग्नि अखाड़ा, गिरि नगर भवनाथ जूनागढ़ गुजरात

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