Waqf Board Amendment Bill: वक्फ एक्ट संशोधन बिल पेश, ये होंगे बड़े बदलाव
Waqf Board Amendment Bill : वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने 40 संशोधन के साथ बिल को मंजूरी दी है. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद यह मुद्दा चर्चा में है इस मुद्दे पर हमने कुछ प्रबुद्ध मुसलमानों से बात की, जिसमें यह बात सामने आई कि सरकार को बोर्ड पर से अपना नियंत्रण हटा लेना चाहिए. पढ़ें यह विशेष आलेख
Waqf Board Amendment Bill : वक्फ बोर्ड के अधिकारों में संशोधन करने वाला बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया है. दो अगस्त को नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में 40 संशोधन किए और उसे मंजूरी दे दी है. वक्फ एक्ट में जो बदलाव लाने का प्रस्ताव है, अगर वे लागू हो जाते हैं तो वक्फ बोर्ड का स्वरूप और उसके अधिकारों पर काफी प्रभाव पड़ेगा और उसकी शक्तियां काफी सीमित हो जाएंगी. कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में जिन संशोधनों को मंजूरी दी है उसके साथ अगर बिल पास हुआ तो वक्फ एक्ट में ये बड़ा परिवर्तन संभव है.
वक्फ बोर्ड में क्या हो सकते हैं बड़े बदलाव
नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ एक्ट में संशोधन का जो बिल ला रही है, उसके कुछ प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हो सकते हैं-
1. अब वेरिफिकेशन से पहले कोई भी जमीन वक्फ की संपत्ति घोषित नहीं की जा सकती है.
2. बोर्ड की संरचना में बड़ा बदलाव होगा और इसमें महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी और गैर मुसलमानों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा.
3. जिला मजिस्ट्रेट के जरिए वक्फ की संपत्ति पर निगरानी रखी जा सकती है.
नरेंद्र मोदी सरकार ये बड़े बदलाव वक्फ एक्ट में ला सकती है. 2013 में मनमोहन सिंह की सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों को काफी मजबूती दी थी, जिसपर नरेंद्र मोदी सरकार की नजर दूसरे कार्यकाल के समय से ही थी.
क्या है वक्फ बोर्ड
वक्फ अरबी भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है ठहरना या कायम रहना. वहीं विशेष अर्थ होता है अल्लाह के नाम पर दान की गई वस्तु यानी जिसका उद्देश्य परोपकार हो. वक्फ बोर्ड उन चीजों की निगरानी करता है जो अल्लाह के नाम पर दान की गई हो. वक्फ बोर्ड के पास असीमित अधिकार और संपत्ति हैं, जिसकी वजह से वक्फ बोर्ड हमेशा चर्चा में रहता है. वक्फ बोर्ड दान में मिली चल-अचल संपत्ति का सही इस्तेमाल हो इसकी व्यवस्था देखता है. इस्लाम के अनुसार वह इसके उपयोग भी करता है. जैसे मस्जिद बनवाना, शिक्षा की व्यवस्था करवान और अन्य धार्मिक काम करवाना.
कब हुआ था वक्फ बोर्ड का गठन और क्या है उद्देश्य
वक्फ बोर्ड के गठन के लिए 1954 नेहरू जी के शासनकाल में वक्फ एक्ट पास हुआ था जिसके बाद केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन 1964 में हुआ, जो अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन, एक सांविधिक निकाय है. वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री होते हैं, जिन के पास वक्फ का प्रभार होता है और ऐसे सदस्यों की संख्या 20 से अधिक नहीं हो सकती जो कि भारत सरकार द्वारा नियुक्त किये जा सकते हैं.
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वक्फ बोर्ड के पास सेना और रेलवे के बाद देश में सबसे ज्यादा संपत्ति है. वक्फ बोर्ड का गठन इसलिए किया गया है, ताकि मुस्लिम समाज के लोगों का कल्याण हो और उनकी सामाजिक स्थिति को सुधारा जा सके,लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर इतनी संपत्ति के बाद भी क्यों मुस्लिम समाज आज तक सामाजिक रूप से इतना पिछड़ा है? वक्फ एक्ट में लाए जा रहे संशोधन और इसके कार्यों की जानकारी के लिए हमने कुछ विशेषज्ञों से बात की.
वक्फ बोर्ड पर से अपना नियंत्रण हटाए सरकार-इमाम साजिद रशीदी
वक्फ बोर्ड दिल्ली के इमाम साजिद रशीदी ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि वक्फ एक्ट में सरकार जो संशोधन लाना चाहती है. वक्फ बोर्ड की संपत्ति से सरकार का क्या लेना-देना है. यह संपत्ति मुसलमानों ने अपने समाज की भलाई के लिए दिया है. अनाथ बच्चों की मदद के लिए दिया है. लेकिन पहले कांग्रेस की सरकार ने और अब बीजेपी की सरकार यह चाहती है कि वह इस संपत्ति पर कब्जा कर ले. अगर सरकार अपना नियंत्रण छोड़ दे तो मैं यह बताना चाहूंगा कि वक्फ बोर्ड के पास जितनी संपत्ति है, वह पूरे देश में किसी के पास नहीं है, वो तो कांग्रेस की सरकार ने हमें नंबर तीन पर ला दिया है.
1970 में जो गजट है उसके अनुसार की वक्फ बोर्ड की संपत्ति निर्धारित होती है. अब सरकार उस संपत्ति पर अपना नियंत्रण और बढ़ाना चाहती है, मेरा मुसलमानों से यह आग्रह है कि आप सड़क पर उतरें और इस संशोधन का विरोध संवैधानिक तरीके से करें. वक्फ बोर्ड के सदस्य सियासी लोग होते हैं और वे अपनी पार्टी का भला चाहते हैं, मुसलमानों का नहीं, यही वजह है कि आजतक मुसलमान समाज पिछड़ा है. मेरा यह कहना है कि अगर संशोधन करना है तो वक्फ बोर्ड का नियंत्रण मुसलमानों को दे देना चाहिए. जहां तक बात मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी की है तो यह सिर्फ राजनीति है और कुछ नहीं.
वक्फ एक्ट में संशोधन के पीछे सरकार की मंशा क्या है? -राशिद किदवई
राजनीतिक विश्लेषक राशिद किदवई ने कहा कि वक्फ एक्ट में अगर कोई कमी और उसे दूर करने के उद्देश्य से अगर संशोधन किया जा रहा है तो उसमें कोई खराबी नहीं है, लेकिन अगर वक्फ एक्ट में संशोधन का उदेश्य महज राजनीतिक है, तो इसका कोई फायदा नहीं होगा. वक्फ बोर्ड की संपत्ति काफी बड़ी है और इनके पास साढ़े नौ लाख एकड़ जमीन है, लेकिन उसका इस्तेमाल सही ढंग से नहीं होता है. मुस्लिम समाज की जो स्थिति है, उसे देखकर तो यह प्रतीत नहीं होता है कि बोर्ड की संपत्ति का सही तरीके से इस्तेमाल किया गया है. 2013 में यूपीए के शासनकाल में यह कोशिश की गई थी कि वक्फ बोर्ड की व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सके, ताकि जो संपत्ति बोर्ड के पास है उसका सही तरीके से इस्तेमाल हो. जो अवैध कब्जे वक्फ की संपत्ति पर हैं उसे हटाया जाए, लेकिन कुछ हो नहीं सका और 2024 में हम फिर कुछ नए संशोधन लेकर आ रहे हैं.
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जहां तक बात वक्फ बोर्ड की बनावट की है, तो इसमें अगर महिलाओं को भागीदारी दी गई तो इसका कितना फायदा होगा इसमें मुझे शंका है. भागीदारी देने में कोई खराबी नहीं है, लेकिन इसका फायदा नजर नहीं आ रहा है. 1986 में जब महिलाओं के गुजारे भत्ते का कानून बना था, तो उस वक्त यह बात कही गई थी कि अगर किसी महिला को उसका पति, भाई, पिता और बेटे से गुजारा भत्ता नहीं मिलता है तो वक्फ बोर्ड उसे पैसा देगा, लेकिन यह व्यवस्था नहीं बन पाई. वक्फ बोर्ड में जो संशोधन होगा उसके लिए जागरूकता लानी होगी.
वक्फ की संपत्ति की हिफाजत हो-मौलाना तहजीब
मौलाना तहजीब ने कहा कि वक्फ एक्ट को लेकर जो संशोधन आ रहा है, उसपर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन यह जरूरी है कि वक्फ की संपत्ति की रक्षा हो और उसका सही इस्तेमाल हो. समाज में शिक्षा का प्रसार और सामाजिक स्थिति में सुधार हो. मेरा तो यह भी कहना है कि वक्फ की संपत्ति से इस तरह के स्कूल काॅलेज बने जिसमें सभी धर्म के लोग पढ़ाई कर सकें. साथ ही मेरा यह भी कहना है कि चेयरमैन की मनमानी पर रोक लगे. वक्फ की संपत्ति का दुरुपयोग ना हो. कोई भी संशोधन अगर वक्फ बोर्ड को मजबूत करता हो तो उसमें कोई परेशानी नहीं है, लेकिन यह बात संशोधन में दिखनी चाहिए.
जहां तक बात मुस्लिम महिलाओं को वक्फ बोर्ड में जगह देने की है, तो मेरे ख्याल से इसमें कोई दिक्कत नहीं है. महिलाएं हमारे समाज का हिस्सा हैं और उनके अधिकारों की रक्षा भी होनी चाहिए. उन्हें भी बेहतर जीवन और शिक्षा का अधिकार है.
वक्फ बोर्ड में महिलाओं को भागीदारी मिले तो यह स्वागतयोग्य : प्रो इजहार
बिरसा एग्रीकल्चर काॅलेज की प्रोफेसर तजवार इजहार ने कहा कि अगर वक्फ बोर्ड में महिलाओं को भागीदारी मिलती है, तो यह स्वागत योग्य कदम है. इससे महिलाओं की स्थिति में सुधार संभव है और उनको आर्थिक रूप से मदद भी मिल सकती है. मुझे नहीं लगता है कि सरकार द्वारा लाए जा रहे इस संशोधन का विरोध होना चाहिए. महिलाएं बोर्ड का हिस्सा रहेंगी तो उनके मसलों की ओर भी समाज का ध्यान जाएगा.