West Asia Crisis : पश्चिम एशिया में लंबे समय से तनाव बना हुआ है. इस्राइल पर ईरान के हमले के बाद इस क्षेत्र में युद्ध भड़कने की संभावना को बल मिल रहा है. ऐसे में भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ना तय माना जा रहा है.
- भारत दुनिया में कच्चे तेल और पेट्रोलियम पदार्थों का तीसरा सबसे बड़ा आयातक है. यह अपनी जरूरत का लगभग 85 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है. जैसा कि देखने में आ रहा है कि बीते कुछ समय से इनके दाम में काफी वृद्धि दर्ज हुई है. यदि ऐसा ही चलता रहा, तो भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है.
- इस क्षेत्र में युद्ध बढ़ने से यहां काम कर रहे भारतीयों की सुरक्षा खतरे में पड़ जायेगी. विदित हो कि फिलहाल पश्चिम एशिया में लगभग 90 लाख भारतीय काम कर रहे हैं.
- सितंबर महीने में देश के फैक्ट्री उत्पादन (आउटपुट) की वृद्धि दर आठ महीने में सबसे निचले स्तर पर रही है. चूंकि त्योहारी मौसम की अर्थव्यवस्था को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है. ऐसे में इन दिनों तेल और गैस का महंगा होना, लोगों की खरीदारी और अर्थव्यवस्था दोनों को प्रभावित करेगा.
- भारत के व्यापार और ऊर्जा आयात में पश्चिम एशिया के समुद्री मार्ग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस क्षेत्र में युद्ध होने से लाल सागर, फारस की खाड़ी, ओमान की खाड़ी, अरब सागर, स्वेज नहर जैसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग बाधित हो जायेंगे.
- वैश्विक हवाई मार्ग का पड़ाव होने के कारण दुबई और दोहा का खासा महत्व है. इस क्षेत्र में युद्ध से उड्डयन व्यवसाय प्रभावित हो जायेगा.
- भारत में होने वाले निवेश में पश्चिम एशिया की महत्वपूर्ण भागीदारी है. युद्ध से भारत के निवेश पर असर पड़ सकता है. बीते कुछ दिनों से शेयर बाजार में आ रहे उतार-चढ़ाव भी चिंतित करने वाले हैं.
यही कारण है कि पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता आना भारत के लिए बहुत जरूरी