क्या है Section 498A जिसे अतुल की पत्नी ने बनाया था हथियार, अतुल ने जान देने से पहले किया जिक्र
Section 498A : महिलाओं को पति की क्रूरता से बचाने के लिए भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 498ए में प्रावधान किए गए हैं. इस सेक्शन के तहत दर्ज मामले में बिना वारंट के भी गिरफ्तारी संभव है. इ़ंजीनियर अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया ने भी Section 498A के तहत मामला दर्ज कराया है.
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Section 498A :बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष के सुसाइड के बाद सोशल मीडिया पर एक ओर जहां atul subhash, nikita singhania, atul subhash wife nikita singhania जैसे वर्ड ट्रेंड कर रहे हैं, वहीं आईपीसी का Section 498A भी खूब ट्रेंड कर रहा है. सेक्शन 498ए इसलिए ट्रेंड कर रहा है, क्योंकि निकिता सिंघानिया ने अपने पति अतुल सुभाष पर इसी सेक्शन के तहत मुकदमा दर्ज किया था.
क्या है सेक्शन 498ए
भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 498ए में महिलाओं को ससुराल वालों की क्रूरता से बचाने का प्रावधान किया गया है. झारखंड हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट अवनीश रंजन मिश्रा ने बताया कि सेक्शन 498ए महिलाओं को पति और पति के रिश्तेदारों की क्रूरता से बचाने के लिए बनाया गया कानून है. इस कानून के तहत अधिकतम 3 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. यह धारा गैर जमानती और संज्ञेय अपराध के लिए है. सेक्शन 498ए के तहत मामला दर्ज होने पर बिना वारंट जारी किए गिरफ्तारी भी हो सकती है. अगर इस धारा का दुरुपयोग कर किसी व्यक्ति पर केस दर्ज किया जाता है और मामला झूठा साबित होता है, तो उस व्यक्ति को यह अधिकार है कि वह मानहानि का केस दर्ज कर सके.
तलाक लेने पर क्या है एलिमनी का अधिकार
हिंदू मैरिज एक्ट के तहत विवाह विच्छेद की स्थिति में पति को अपनी पत्नी को एक मुश्त राशि देनी पड़ती है, जिसका निर्धारण पति की आय के अनुपातिक किया जाता है. हालांकि कानून में यह नहीं बताया गया है कि एलिमनी पति के आय की कितने प्रतिशत निर्धारित की जाएगी. एलिमनी का निर्धारण तमाम साक्ष्यों का निरीक्षण करने के बाद मजिस्ट्रेट करते हैं.
क्या है गुजारा भत्ता और किसे मिलता है?
जब कोई तलाक होता है तो गुजारा भत्ता का मामला सामने आता है. अगर पत्नी की आर्थिक स्थिति इस तरह की नहीं है कि वह अपनी और अपने बच्चों की देखभाल कर सके, तो उसे पति से गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार होता है.
- पति की आय के अनुसार तय होता है गुजारा भत्ता
- गुजारा भत्ता पति की आय का 50 % से अधिक नहीं हो सकता है
- रजनेश बनाम नेहा के केस में सुप्रीम कोर्ट ने गुजारा भत्ता को पूरी तरह परिभाषित किया है
- पति अगर समर्थ हो तो वह पत्नी और बच्चों को गुजारा भत्ता देने से मना नहीं कर सकता है.
- पत्नी अगर आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो तो उसे गुजारा भत्ता नहीं मिलेगा
- पत्नी की आर्थिक स्वतंत्रता को दस्तावेजों से साबित करना होगा
- पति अगर आर्थिक रूप से स्वतंत्र ना हो तो उसे पत्नी से गुजारा भत्ता मांगने का हक है
- पत्नी को गुजारा भत्ता तब ही तक मिलता है जबतक वह दूसरी शादी नहीं करती है.
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एलिनमी और गुजारा भत्ता में क्या अंतर है?
एलिमनी उस राशि को कहते हैं जो विवाह विच्छेद के समय एक मुश्त दी जाती है, जबकि गुजारा भत्ता वो राशि है जो प्रति महीने पत्नी को जीवन चलाने के लिए दी जाती है. तलाक के लिए अगर पत्नी इच्छुक हो तो, तब वैसी स्थिति में वह एलिमनी की राशि के लिए दबाव नहीं बना सकती है क्योंकि तलाक उसकी इच्छा से हो रहा होता है.
Section 498A का हो रहा दुरुपयोग
पिछले कुछ सालों में ऐसे कई मामले सामने आएं हैं, जब सेक्शन 498ए का दुरुपयोग किया गया है. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यह कह दिया है कि सेक्शन 498ए का दुरुपयोग देश में लगातार बढ़ रहा है और इसे महिलाओं ने पति और उसके रिश्तेदारों से बदला लेने के औजार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर और चिंता का विषय है. निकिता सिंघानिया के पति अतुल ने जिस तरह का वीडियो शेयर किया है, उसके बाद उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया पर भी सेक्शन 498ए के दुरुपयोग का आरोप लग रहा है.