Women Empowerment: ‘मिस यूनिवर्सल पटीट’ का खिताब जीतने वालीं पहली भारतीय महिला बनी श्रुति हेगड़े
संघर्ष और दृढ़ संकल्प की मिसाल पेश करते हुए श्रुति हेगड़े ने 'मिस यूनिवर्सल पटीट' का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया. श्रुति, जो कि ट्यूमर की पीड़ा से जूझ रही थीं, इस प्रतिष्ठित खिताब को जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं.
women empowerment: हम जिंदगी में बहुत कुछ करना चाहते हैं, लेकिन हर किसी के लिए सब कुछ पाना संभव नहीं है. पर कर्नाटक के हुबली की रहने वाली डॉ श्रुति हेगड़े ने यह साबित कर दिखाया है कि अगर आपके अंदर जुनून और धैर्य है, तो सब कुछ संभव है. एक डॉक्टर, मॉडल, ब्यूटी क्वीन व एक्ट्रेस रह चुकीं श्रुति ने हाल ही में ओवेरियन ट्यूमर को मात देकर ‘मिस यूनिवर्सल पटीट’ का खिताब जीतकर इतिहास रच डाला है. इस खिताब को हासिल करने वाली वह पहली भारतीय महिला हैं.
कर्नाटक के छोटे से शहर हुबली की रहने वाली डॉ श्रुति हेगड़े ने हाल ही में ‘मिस यूनिवर्सल पटीट’ का खिताब जीतकर दुनियाभर में भारत का नाम रोशन किया है. हैरानी की बात है कि इस खिताब को हासिल करने वाली वह भारत की पहली महिला हैं. अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित टाम्पा में आयोजित इस सौंदर्य प्रतियोगिता में 40 देशों की सुंदरियों ने हिस्सा लिया था. इस प्रतियोगिता में नेशनल ड्रेस, स्विमिंग ड्रेस, क्वेश्चन आंसर, पर्सनालिटी इंटरव्यू समेत कई राउंड हुए. इनमें शानदार परफॉर्मेंस कर कई सुंदरियों को मात देते हुए श्रुति ने यह खिताब अपने नाम किया. बता दें कि वर्ष 2009 में शुरू हुई इस प्रतिस्पर्धा में वे लोग हिस्सा ले सकते हैं, जिनकी हाइट 5.6 सेंटीमीटर से कम है. भारतीय महिलाएं साल 2009 से इस ब्यूटी कॉम्पिटिशन में हिस्सा ले रही थीं, लेकिन अबतक वे ताज नहीं जीत पायी थीं. 15 साल के बाद इस बार श्रुति ने खूबसूरती का ताज जीत कर इतिहास रच डाला. इस तरह डॉ श्रुति ने अपनी खास उपलब्धि से पूरे देशवासियों को गौरवान्वित महसूस कराया है.
ड्यूटी के साथ-साथ अपने सपनों को रखा जिंदा
डॉ श्रुति का जन्म कर्नाटक के हुबली में हुआ था. उनके पिता का नाम डॉ. कृष्णा एम हेगड़े व माता का नाम कमला हेज है. पढ़ने में होशियार श्रुति छोटी उम्र से ही कुछ अलग करने का ख्वाब देखा करती थीं. इसी क्रम में उनका सपना डॉक्टर बनने का हुआ. फिर उन्होंने हुबली से एमबीबीएस की डिग्री ली. फिलहाल वह स्किन स्पेशलिस्ट बनने की चाहत लेकर तुमकुर में एमडी की पढ़ाई कर रही हैं. हालांकि, श्रुति डॉक्टरी पेशे से ही जुड़कर नहीं रहना चाहती थीं, बल्कि अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी खास पहचान बनाना चाहती थीं. यही कारण है कि उन्होंने कैलीग्राफी, स्केटिंग और पोएट्री राइटिंग जैसी विधाओं में भी खुद को साबित किया. वहीं, कॉलेज में लड़कियों को रैंपवॉक करते हुए देख वह ब्यूटी पेजेंट का खिताब जीतने का ख्वाब देखने लगीं. हालांकि, मेडिकल प्रोफेशन काफी चुनौती भरा है. बावजूद इसके उन्होंने कभी अपने सपने को मरने नहीं दिया और लगातार अपनी तैयारी जारी रखी.
श्रुति भरतनाट्यम व कथक में भी है पारंगत
डॉ श्रुति शास्त्रीय नृत्य से भी जुड़ी रही हैं. उन्होंने कला के प्रति अपने जुनून व पेजेंटरी में अपने बढ़ते करियर के साथ अपनी पढ़ाई को भी बखूबी संतुलित किया है. भरतनाट्यम नृत्यांगना श्रुति ने 2018 में अपना अरंगेत्रम पूरा किया और तब से पूरे भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुबई, भूटान और मैडलडिव्स में परफॉर्म कर चुकी हैं. श्रुति की प्रतिभा नृत्य तक ही सीमित नहीं है. वह एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका और वायलिन वादक भी हैं.
समाज सेवा में दिये मुख्य योगदान
अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों से परे श्रुति एक दयालु इंसान भी हैं. वह ‘श्रमा’ नाम से एक एनजीओ चलाती हैं. इसके जरिये वह मुफ्त स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर जरूरतमंद लोगों का नि:शुल्क इलाज करती हैं. साथ ही स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करती हैं. वह दिव्यांगों की भी मदद करती हैं. उनकी पहल में भूखों को खाना खिलाना, एचपीवी टीकाकरण के लिए दान देना आदि शामिल है.
शानदार उपलब्धियां
‘मिस यूनिवर्सल पटीट’ के अलावा इससे पहले भी वह कई शानदार उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं. इनमें ‘मिस धारवाड़’,‘यूनिवर्सल पेटिट इंडिया 2024’, ‘मिस एशिया इंटरनेशनल इंडिया 2023’ सेकेंड रनर अप व ‘मिस आइडियल वुमन ऑफ द इयर 2018’ रनर-अप सहित कई अनगिनत उपलब्धियां शामिल हैं. ब्यूटी क्वीन के साथ-साथ श्रुति एक प्रतिभाशाली अभिनेत्री भी हैं, जिन्होंने ‘जनुमादाता’, ‘शरणरा शक्ति’ व ‘जेनुइस मुत्ता’ जैसी कन्नड़ फिल्मों में लीड रोल के साथ-साथ वेब सीरीज व कन्नड़ सीरियल में भी काम कर चुकी हैं. श्रुति की कलात्मक प्रतिभा ने उन्हें ‘महिलाओं की शक्ति’ राष्ट्रीय कला प्रतियोगिता में रजत पदक जैसी प्रशंसा भी दिलायी. वह दुबई में 36वें अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव और मालदीव और भूटान में अन्य सांस्कृतिक उत्सवों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं.
सफर में कई कठिनाईयां आई
सौंदर्य प्रतियोगिता में डॉ श्रुति का सफर साल 2018 में शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने मिस साउथ इंडिया का खिताब समेत कई अन्य पुरस्कार जीते. हालांकि, उनका जीवन काफी चुनौतियों से भरा रहा है. साल 2019 में उनकी जिंदगी में एक एेसा वक्त आया, जब उन्हें ओवरियन ट्यूमर का पता चला. इसके बाद डॉक्टर ने सर्जरी की सलाह दी. इस मुश्किल घड़ी में उनकी मां उनके साथ खड़ी रहीं और उन्हें काफी मोटिवेट किया. इस बीमारी से उबरने में श्रुति हेगड़े को करीब दो साल लग गये, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी.
साल 2018 में जीता ‘मिस धारवाड़’ का टाइटल
श्रुति ने पहली बार साल 2018 में ‘मिस धारवाड़’ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और जीत हासिल की. पहली ही प्रतियोगिता में सौंदर्य का ताज हासिल करने वाली श्रुति का इससे आत्मविश्वास दोगुना हो गया. इस सफर में उन्होंने जिंदगी के कई सबक सीखे. दरअसल, सुंदरता का ताज जीतना मध्यम वर्गीय परिवारों की कई लड़कियों के लिए एक सपना होता है. इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने से उन्हें खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में काफी सहायता मिली.