women violence : भारत में महिलाओं के विरुद्ध अपराध, नाकाफी साबित हो रहे हैं उपाय

एनसीआरबी की 'भारत में अपराध 2022' नाम से जारी रिपोर्ट की मानें, तो तमाम सुरक्षा उपायों के बावजूद देश में महिलाओं के प्रति अपराध में कमी नहीं आ रही है. जानिए क्या कहते हैं आंकड़े...

By Aarti Srivastava | August 27, 2024 3:14 PM
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women violence : महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा दुनिया के सर्वाधिक प्रचलित मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक है. इससे दुनिया का कोई भी कोना अछूता नहीं हैं. यह बेहद गंभीर मामला है क्योंकि इसके महिलाओं और लड़कियों पर गंभीर अल्पकालिक व दीर्घकालिक शारीरिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव होते हैं, जो समाज में उनकी भागीदारी को रोकते हैं. ऐसा नहीं है कि हिंसा का प्रभाव केवल पीड़िता पर पड़ता है, बल्कि यह उसके परिवार और समाज को भी बुरी तरह प्रभावित करता है. भारत में तो महिलाओं-बच्चियों के प्रति हिंसा-दुराचार अत्यंत चिंताजनक मुद्दा बना हुआ है. यह लैंगिक समानता और सामाजिक न्याय की दिशा में देश की प्रगति को बाधित कर रहा है. चाहे वह हाल की कोलकाता में हुई युवा महिला चिकित्सक के साथ नृशंस दुष्कर्म एवं हत्या की घटना हो, महाराष्ट्र के बदलापुर में छोटी बच्चियों के यौन शोषण का मामला हो, या फिर देश के कोने-कोने में हर दिन महिलाओं के साथ होने वाली शारीरिक-मानसिक हिंसा की घटनाएं, महिला सुरक्षा उपायों की खामियों को उजागर करती है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वार्षिक रिपोर्ट से पुष्टि होती है कि सख्त कानून और बढ़ती जागरूकता के बावजूद महिलाओं के प्रति क्रूरता में वृद्धि दर्ज हो रही है. घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न से लेकर दहेज से संबंधित अपराधों और मानव तस्करी तक, भारत में महिलाओं को अपनी सुरक्षा एवं सम्मान को लेकर अनेक खतरों का सामना करना पड़ रहा है.

महिलाओं पर हिंसा में चार प्रतिशत की वृद्धि दर्ज

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ‘भारत में अपराध 2022’ नाम से जारी रिपोर्ट के आंकड़े कहते हैं कि देश में महिलाओं के विरुद्ध अपराध में बीते वर्ष (2021) की तुलना में चार प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है.

  • वर्ष 2021 में जहां महिलाओं पर हिंसा के 4,28,278 मामले दर्ज हुए, वहीं 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 4,45,256 पर पहुंच गया. इस प्रकार 2021 की तुलना में 2022 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 16,978 अधिक मामले सामने आये.
  • आंकड़ों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि 2022 में प्रत्येक घंटे लगभग 51 प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज हुई.
  • इस वर्ष महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर 66.4 रही. जबकि 2021 में यह आंकड़ा 64.5 प्रतिशत था. वहीं इन मामलों में आरोप-पत्र (चार्ज शीट) दाखिल करने की दर 75.8 रही.

गायब होने वालों में महिलाओं का प्रतिशत अधिक

रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में देशभर में कुल 4,42,572 लोगों के गायब होने की सूचना दर्ज की गयी, जिनमें से 2,93,500 महिलाएं थीं. हालांकि इनमें से 2,66,250 महिलाओं को बरामद किया गया/पता लगाया गया. इस प्रकार देखा जाए, तो 27,250 महिलाओं का कुछ भी पता नहीं चल सका. लापता होने वालों में 83,350 बच्चे भी शामिल रहे और इनमें बड़ी संख्या (62,946) बच्चियों की रही. हालांकि कुल 80,561 बच्चे बरामद किये गये/पता लगाया गया, जिनमें 60,281 संख्या बच्चियों की रही.

बड़ी संख्या में बच्चियों का हुआ अपहरण

वर्ष 2022 में अपहरण के कुल 1,10,140 मामले दर्ज हुए. अपहृत होने वालों में महिलाओं की संख्या सर्वाधिक (88,861) रहीं. अपहृत की गयी कुल महिलाओं में से 62,099 बच्चियां थीं, जो गंभीर चिंता का विषय है.

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