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World Population Day 2024 : भारत की जनसंख्या 144 करोड़ के पार, अगले 77 साल में हो जाएगी दोगुनी, ये हैं चुनौतियां

World Population Day 2024 : भारत में प्रजनन दर में गिरावट आई है, लेकिन जो आबादी है वो धीरे-धीरे बड़ी हो रही है और लड़कियां प्रजनन की उम्र में प्रवेश करती जाती हैं, इसलिए प्रजनन दर कम होने के बावजूद भी जनसंख्या वृद्धि जारी रहती है.

World Population Day 2024 : भारत की जनसंख्या साल 2024 में 1,441.7 हो गई है और अगर जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार इसी तरह की रही, तो अगले 77 सालों में भारत की आबादी दोगुनी हो जाएगी. यह सूचना सामने आई है यूनाइडेट नेशन की रिपोर्ट से. यूनाइटेड नेशन पॉपुलेशन फंड की नवीनतम रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तो कई सावधान करने वाले आंकड़े मौजूद हैं. यूनाइटेड नेशन पॉपुलेशन फंड संयुक्त राष्ट्र की यौन और प्रजनन स्वास्थ्य एजेंसी है, जो लोगों को जनसंख्या वृद्धि और उससे उत्पन्न चुनौतियों के बारे में शिक्षित करती है. आखिर किस तरह भारत की आबादी अगले 77 साल में दोगुनी हो जाएगी इस जानने के लिए कुछ आंकड़ों को भी जानना बहुत जरूरी है.

भारत की कुल आबादी का 68.7% 15-64 साल की आयुवर्ग का

पॉपुलेशन फंड की रिपोर्ट के अनुसार भारत की कुल आबादी का 68.7% 15-64 साल की आयुवर्ग का है. 0-14 साल की आबादी का प्रतिशत 24.2 प्रतिशत है, जबकि 7.1 प्रतिशत आबादी 65 साल से अधिक आयुवर्ग के लोगों की है. इसमें 10-19 साल की आबादी 17 प्रतिशत है, जबकि 10-24 साल की आबादी 26 प्रतिशत है. कुल आबादी में एक महिला की औसत आयु 74 वर्ष और पुरुष की 71 साल है, वहीं एक महिला पर कुल प्रजनन दर 2 है, यानी औसतन एक महिला दो बच्चों को जन्म देती है.


भारत की आबादी अगले 77 सालों में दोगुनी हो जाएगी

यूनाइटेड नेशन पॉपुलेशन फंड की रिपोर्ट को अगर सच मानें तो आंकड़े यह कहते हैं कि भारत की आबादी अगले 77 सालों में दोगुनी हो जाएगी. हालांकि भारत में प्रजनन दर में गिरावट आई है, लेकिन जो आबादी है वो धीरे-धीरे बड़ी हो रही है और लड़कियां प्रजनन की उम्र में प्रवेश करती जाती हैं, इसलिए प्रजनन दर कम होने के बावजूद भी जनसंख्या वृद्धि जारी रहती है. भारत की जनसंख्या में वृद्धि की एक और बड़ी वजह मृत्यु दर में कमी आना है. संस्थागत प्रसव यानी डाॅक्टर्स की देखरेख में प्रसव की संख्या में वृद्धि होने की वजह से भी जनसंख्या में वृद्धि दर्ज हो रही है.

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89 प्रतिशत प्रसव कुशल और ट्रेंड लोगों की देखरेख में हुए


संस्थागत प्रसव के आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत में साल 2004 से 2020 के बीच 89 प्रतिशत प्रसव कुशल और ट्रेंड लोगों की देखरेख में हुए हैं. इसका परिणाम यह हुआ है कि प्रति एक लाख बच्चों पर 103 बच्चों की मौत प्रसव के दौरान हो रही है. यह आंकड़ा पहले के आंकड़ों से बेहतर है. बात अगर परिवार नियोजन की करें, तो देश में 15-49 साल की 78 प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन के आधुनिक तरीके अपनाती हैं. वहीं अगर किसी भी तरीके की बात करें तो 51 प्रतिशत महिलाएं परिवार नियोजन के तरीकों को अपना रही हैं. वहीं विवाहित और विवाह योग्य महिलाओं में यह आंकड़ा 68 प्रतिशत का है. परिवार नियोजन के आधुनिक तरीकों से संतुष्टि की अगर बात करें तो यह 78 प्रतिशत है.

जनसंख्या वृद्धि और चुनौतियां


ये आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि देश में जनसंख्या वृद्धि कई तरह की चुनौतियों को पेश कर सकते हैं. जनसंख्या के लिहाज से भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है, चीन को भारत ने अप्रैल 2023 में ही पीछे छोड़ दिया था. वहीं क्षेत्रफल की बात करें तो भारत सातवें नंबर पर है. विश्व की कुल आबादी का 17.76 प्रतिशत भारत में रहता है, जबकि विश्व के कुल क्षेत्रफल का मात्र 2. 4 प्रतिशत भारत के हिस्से में है. इस वजह से कई तरह की चुनौतियों हमारे सामने खड़ी हैं, जिसमें रोजगार की समस्या, संसाधनों की समस्या, गरीबी की समस्या और पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं स्पष्ट तौर पर सामने नजर आ रही हैं.

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