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प्रेमचंद, जिनके बिना हिंदी साहित्य की कल्पना अधूरी

प्रेमचंद हिंदी साहित्य के पुरोधा हैं. वे हिंदी के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं. उनका वास्तविक नाम धनपत राय था. उन्हें नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है. उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 26, 2017 4:50 PM
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प्रेमचंद हिंदी साहित्य के पुरोधा हैं. वे हिंदी के महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं. उनका वास्तविक नाम धनपत राय था. उन्हें नवाब राय और मुंशी प्रेमचंद के नाम से भी जाना जाता है. उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था.

प्रेमचंद ने हिंदी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया. आगामी एक पूरी पीढ़ी को गहराई तक प्रभावित कर प्रेमचंद ने साहित्य की यथार्थवादी परंपरा की नींव रखी. उनका लेखन हिंदी साहित्य की एक ऐसी विरासत है जिसके बिना हिंदी के विकास का अध्ययन अधूरा होगा. वे एक संवेदनशील लेखक थे. उनकी पहली रचना एक व्यंग्य थी, जिसे उन्होंने अपने मामा पर लिखा था. प्रेमचंद के प्रसिद्ध उपन्यासों में शामिल हैं:- सेवासदन, प्रेमाश्रम,रंगभूमि, निर्मला,कायाकल्प, गबन, कर्मभूमि,

गोदान . उनकी कई कहानियां भी कालजयी हैं जिन्हें हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं. मसलन ‘पंच परमेश्‍वर’, ‘गुल्‍ली डंडा’, ‘दो बैलों की कथा’, ‘ईदगाह’, ‘बड़े भाई साहब’, ‘पूस की रात’, ‘कफन’, ‘ठाकुर का कुआं’, ‘सद्गति’, ‘बूढ़ी काकी’, ‘तावान’, ‘विध्‍वंस’, ‘दूध का दाम’, ‘मंत्र’ आदि.

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